सदियों से हम दादी-नानी के जिन नुस्ख़ों और कहावतों पर अमल करते आ रहे हैं, क्या आपको नहीं लगता कि समय के साथ, उनमें कुछ बदलाव लाज़मी है? वातावरण में बढ़ते प्रदूषण और हमारी बदली हुई लाइफ़स्टाइल के चलते बाल, त्वचा और सेहत से जुड़े इन तमाम नुस्ख़ों में परिवर्तन अब ज़रूरत बन गया है. हमने एक्सपर्ट्स से बात करके जाना इन नुस्ख़ों में किन ट्विस्ट्स के साथ हम इन्हें अपना सकते हैं. हमने इस सिरीज़ का नाम दिया है दादी मां के अपडेटेड नुस्ख़े
दादी मां का नुस्ख़ा: दो बार खाओ, जमकर खाओ
एक्सपर्ट की सलाह: पहले के लोगों की खाने में भोजन की मात्रा (पोर्शन) बहुत ज़्यादा होती थी और वे केवल दो ही समय भोजन करते थे: सुबह 10 बजे के आसपास और शाम सात बजे से पहले. जैसा कि मैंने बताया, उनकी शारीरिक मेहनत बहुत हो जाती थी अत: उनके लिए यह ठीक था, पर हम लोग आज के समय में अपने ज़्यादातर काम कुर्सी पर बैठे-बैठे करते हैं. ऐसे में हमें इतनी मात्रा में भोजन की ज़रूरत नहीं होती. तिस पर हम सुबह से उठकर रात तक कुछ न कुछ खाते रहे हैं, क्योंकि खाने की पैकेज्ड चीज़ें हमें बड़ी आसानी से उपलब्ध हैं इसलिए बहुत ज़रूरी है कि थोड़ी-थोड़ी मात्रा में ही खाएं. हम अपने शरीर को तो कुछ न कुछ खिलाते रहते हैं, पर अपने ऑर्गन्स को भूखा ही रखते हैं. पेट भरा रहता है, पर पोषण नहीं मिलता. पहले जिस तरह कुपोषण का अर्थ दुबले-पतले हड्डी निकले हुए लोगों से लगाया जाता था, आज उसी तरह इस अर्थ में ओबीस लोग तेज़ी से शामिल हो रहे हैं. लिवर, हार्ट, ब्रेन और किडनी के लिए जो माइक्रोन्यूट्रिएंट्स ज़रूरी हैं, हम उन्हें नहीं देते हैं. आपने पिज़्जा खा लिया, आपका पेट तो भर गया, लेकिन मेरे शरीर को जो विटामिन ए, बी या सी चाहिए था, वो नहीं मिला. अत: थोड़ा-थोड़ा पोर्शन खाइए और सेहतमंद चीज़ें खाइए.