ज़हर का असर कम करने में होती थी सौंफ इस्तेमाल, जानें इससे जुड़ी हैं कई रोचक बातें
सौंफ इतनी मशहूर है कि अधिकतर घरों की मसालेदानी में इसके दर्शन हो जाएंगे, घरों, रेस्तरां या ढाबों में माउथ फ्रेशनर के लिए इसे छोटी-छोटी स्टील की कटोरियों में रखा जाता है.
सौंफ इतनी मशहूर है कि अधिकतर घरों की मसालेदानी में इसके दर्शन हो जाएंगे, घरों, रेस्तरां या ढाबों में माउथ फ्रेशनर के लिए इसे छोटी-छोटी स्टील की कटोरियों में रखा जाता है. स्पेशल वेज या नॉनवेज सब्जी बनानी है तो मसाले में सौंफ का प्रयोग जरूर होगा. यानी खान-पान में सौंफ एक अनिवार्य आहार सा बन गया है. वह इसलिए कि इसमें गुण कम नहीं है. खान-पान के अलावा दूसरे मसलों पर भी चर्चित रही है यह यह छोटी-छोटी सौंफ.
2 हजार साल से हो रहा है प्रयोग
सौंफ को घरेलू औषधि के रूप में भी प्रयोग में लाया जाता है. माना जा रहा है कि करीब 2 हजार साल से सौंफ को उगाया और खाया जा रहा है. सौंफ पर रिसर्च करने वाले विशेषज्ञ मानते हैं कि हजारो सालों पूर्व इसका उत्पत्ति केंद्र पृथ्वी का उर्वर अर्धचंद्राकार (fertile crescent) रहा है, जिसमें इजरायल, सीरिया, जॉर्डन, लेबनान, इराक, ईरान, तुर्कमेनिस्तान और एशिया के कुछ क्षेत्र शामिल हैं. इस मसाले को लेकर जो अन्य ऐतिहासिक जानकारी मिली है, उसके अनुसार मिस्र में 3500 वर्ष पूर्व स्वास्थ्य व
अन्य सामग्री के रूप में इसका प्रयोग किया जा रहा था. एक वर्ग का यह भी दावा है कि हजारों साल पूर्व भारत के ठंडे क्षेत्रों में सौंफ उगाई व खाई जा रही थी. लेकिन यह स्पष्ट है कि भारत के प्राचीन धार्मिक व आयुर्वेद से जुड़े ग्रंथों में सौंफ का कोई वर्णन नहीं है.
ज़हर का असर कम करने में होती थी इस्तेमाल
खान-पान या मसालों में तो सौंफ का प्रयोग सालों से हो ही रहा है, कुछ अन्य मसलों पर भी सौंफ चर्चित रही है. यूनानी व रोमवासी इसे कीमती मानते थे और दवा, भोजन के अलावा कीट-पतंगों को दूर रखने के लिए इसका इस्तेमाल करते थे. रोमन यह भी मानते थे कि इससे मोटापे को नियंत्रित किया जा सकता है. भारत और चीन में सांप या बिच्छू के काटे जाने पर पीड़ित को सौंफ खिलाई जाती थी, जिससे जहर का असर कम हो जाता था. मध्य युग में कुछ देशों में सौंफ को बेहद पवित्र माना जाता था. घरों से बुरी आत्माओं को दूर रखने के लिए सौंफ की पोटली को घर के दरवाजे पर लटकाने का रिवाज था, साथ ही भूत-प्रेतों को घर में प्रवेश करने से रोकने के लिए सौंफ के दानों को की-होल में भर दिया जाता था.
उस समयकाल में पागल कुत्तों के काटने पर सौंफ की जड़ों को पीसकर उसका प्लास्टर जख्मी स्थान पर लगाने का रिवाज था. रोमन योद्धाओं को साहस प्रदान करने के लिए सौंफ खिलाई जाती थी और उन्हें इसके पत्तों की मालाएं भी पहनाई जाती थीं सोर्स न्यूज़ 18 .