स्वस्थ रहने के लिए लोग क्या कुछ नहीं करते हैं, अच्छे से अच्छा खानपान और जरूरी दवाओं और सप्ली मेंट्स सब कुछ लेते हैं फिर भी आजकल हर व्यक्ति किसी ना किसी शारीरिक समस्या से घिरा हुआ है। ऐसे में अगर कुछ सेहतमंद करने के लिए कुछ उपयोगी है तो वो आयुर्वेद का सहारा। जी हां, आयुर्वेद मनुष्य के लिए वरदान हैं, क्योंकि इसमें कृत्रिम दवाओं के ऊपर निर्भरता नहीं होती है, बल्कि इसमें प्राकृतिक संसाधनों के जरिए बेहतर स्वास्थय का लक्ष्य साधा जाता है। आयुर्वेद में जड़ी बुटियों से लेकर घास-फूस के जरिए दुर्लभ रोगों का इलाज किया जाता है। आज हम आपको एक ही घास के महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं, जो जो कई तरह के रोग-विकारों को खत्म करने की क्षमता रखता है।
हम बात कर रहे हैं दूब घास की, जो घरों के बाहर, मैदानों की मिट्टी में घास की तरह जमीन पर फ़ैल जाती है। आपको ये दूब घास बेकार लग सकती है पर आयुर्वेद की माने तो ये बेहद गुणकारी औषधि है। जो कि चमत्कारी ढंग से कई रोगों मे कारगर साबित होती है।तो चलिए दूब घास के कुछ ऐसे ही स्वास्थय लाभ के बारे में जानते हैं..
शरीर में रक्त की कमी से एनीमिया जैसा घातक रोग होता है, जो कि कई बार जानलेवा भी साबित होता है। आपको बता दे कि दूब घास में एनीमिया को ठीक करने की चमत्कारी क्षमता होती है। दरअसल इसीलिए दूब के रस को हरा रक्त भी कहा जाता है, क्योंकि इसे पीने से एनीमिया की समस्याक से निजात मिलती है।
स्वास्थय विशेषज्ञों की माने तो दूब स्वाद में भले कड़वी होती है, पर ये शरीर को ठंडक देती है। साथ ही दूब के रस के सेवन से रक्त विकार भी खत्म होते हैं।
दूब घास में विटामिन ‘ए’ और ‘सी’ प्रचूर मात्रा में होती है। ऐसे में दूब के रस का सेवन से आँखों के लिए विशेष लाभकारी है, इससे आंखों की रोशनी बढ़ती है। वहीं घास पर पर नंगे पांव चलना भी आंखों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होता है।
दूब घास, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहायक है। दरअसल दूब घास एंटीवायरल और एंटीमाइक्रोबिल गुणों से भरपूर होती है। ऐसे में इसके सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
वहीं पौष्टिकता से भरपूर दूब घास शरीर को एक्टिव बनाये रखने में बेहद मददगार साबित होती है। इसके नियमित रूप से सेवन से अनिद्रा, थकान, तनाव जैसे रोगों से निजात मिलता है है।
दूब घास के कारगर उपाय
रक्त-पित्त की समस्या होने पर दूब को पानी के साथ पीस ले, फिर उसे किसी कपड़े में बांधकर, उसका रस निचोड़ लें।इसका 15 मिलीलीटर रस सुबह-शाम को पीने से रक्तस्राव बंद होता है।
वहीं सफेद दूब घास का 15 मिलीलीटर रस, कुशा की जड़ के साथ पीसकर, चावल के मांड के साथ मिलाकर सेवन करने से रक्त प्रदर रोग में काफी लाभ होता है।
दूब घास के 15 मिलीलीटर रस का सुबह-शाम सेवन करने से गुर्दे की पथरी धीरे-धीरे खत्म होने लगती है।
दूब की जड़ पीसकर, अगर दही में मिलाकर उसका सेवन किया जाए तो इससे पेशाब में रूकावट की खराबी दूर होती है।
वहीं दूब घास के क्वाथ से कुल्ला करने से मुंह के छालों में आराम मिलता है|
दूब घास के रस को बूंद-बूंद कर नाक में टपकाने से नाक से होने वाले क्तस्राव में काफी मिलता है।