Lifestyle.जीवन शैली: यूरिक एसिड की समस्या युवाओं के साथ-साथ 40 प्लस उम्र वालों में भी देखी जा रही है। इसमें जोड़ों में तेज दर्द और सूजन जैसी समस्याएं होने लगती हैं। यूरिक एसिड शरीर में प्यूरीन तत्वों के टूटने से बनता है और किडनी द्वारा फिल्टर होकर पेशाब के जरिए शरीर से बाहर निकल जाता है, लेकिन अगर यूरिक एसिड ज्यादा बनने लगे तो शरीर में इसका लेवल बढ़ने से हड्डियों पर बुरा असर पड़ने लगता है। अगर बढ़े हुए यूरिक एसिड पर ध्यान न दिया जाए तो यह क्रिस्टल में टूटकर जोड़ों में जमा होने लगता है। यूरिक एसिड को नियंत्रित करने के लिए सही दिनचर्या और संतुलित आहार लेना जरूरी है। अगर शरीर में यूरिक एसिड बढ़ जाए और जमा होने लगे तो किडनी में पथरी हो सकती है, इसके साथ ही गठिया की समस्या हो सकती है और इससे शरीर में ग्लूकोज का लेवल भी बढ़ जाता है, जिससे आपको डायबिटीज होने की संभावना भी बढ़ जाती है, इसलिए समय रहते यूरिक एसिड के लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए और इसे नियंत्रित करने के लिए अपने खान-पान में सुधार करना सही रहता है।यूरिक एसिड बढ़ने के लक्षण क्या हैं?शरीर में यूरिक एसिड बढ़ने पर पीठ के निचले हिस्से, पैरों और टखनों में तेज दर्द, जोड़ों के आसपास की त्वचा का रंग बदलना, बुखार, पेशाब में झाग आना या रंग पारदर्शी हो जाना जैसे लक्षण दिखने लगते हैं।