मूंग दाल हलवा का नाम सुनते ही अक्सर मुंह में पानी आ जाता है। यूं तो हर कोई मूंग दाल का नाम सुनकर टेढ़े-मेढ़े मुंह बनाता है, लेकिन जब बात मूंग दाल के हलवे की हो तो उससे दूरी बना पाना काफी मुश्किल हो जाता है। अक्सर लोग पार्टीज में मूंग दाल का हलवा जरूर खाते हैं। हालांकि, घर में मूंग दाल का हलवा बनाने से वे बचते हैं। दरअसल, मूंग दाल का हलवा खाने में जितना टेस्टी होता है, उसे बनाने में उतनी ही मेहनत लगती है।
इतना ही नहीं, अगर किचन में काफी देर मेहनत करने के बाद बाजार जैसा टेस्टी मूंग दाल का हलवा ना बने तो काफी निराशा होती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि घर पर मूंग दाल का हलवा बनाते समय हम कई छोटी-छोटी गलतियां कर बैठते हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको ऐसी ही कुछ मिसटेक्स के बारे में बता रहे हैं, जिसे आपको घर पर मूंग दाल का हलवा बनाते हुए करने से बचना चाहिए-
कम समय भिगोना
मूंग दाल हलवा बनाते समय की जाने वाली यह एक बेहद ही कॉमन मिसटेक्स है। यूं तो मूंग दाल को सोक करने के लिए अधिक समय नहीं चाहिए होता है। लेकिन जब बात हलवा बनाने की हो तो इसे कम से कम 4 से 6 घंटे या रात भर भिगोना आवश्यक है। ऐसा करने से दाल नरम हो जाती है और इसे पकाने में भी अधिक समय नहीं लगता है।
दाल को मोटा पीसना
दाल को भिगोने के साथ-साथ उसे पीसते समय भी अतिरिक्त सावधानी बरतनी आवश्यक होती है। अक्सर लोग दाल को जल्दी-जल्दी पीसते हैं, जिससे वह मोटा और दरदरा रह जाता है। इससे बाद में हलवे में भी एक दानेदार बनावट आ सकती है, जिससे हलवा खाते समय बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगता है। इसलिए ध्यान रखें कि आप दाल को अच्छी तरह पीसें, जिससे एक मुलायम पेस्ट बन जाए और उसमें किसी भी तरह के मोटे दाने ना हों।
दाल को अंडरकुक या ओवरकुक करना
मूंग दाल का हलवा बनाते समय कभी दाल को अंडरकुक या ओवरकुक नहीं करना चाहिए। अगर दाल को कम पकाया जाता है तो इससे बाद में हलवे में दाल का कच्चा स्वाद महसूस होता है। साथ ही साथ, हलवे का टेक्सचर भी अच्छा नहीं आता है। वहीं ओवरकुक करने से हलवा सूखा महसूस होता है। इससे भी टेस्ट में मजा नहीं आता है। इसलिए, हमेशा दाल को धीमी से मध्यम आंच पर तब तक पकाएं जब तक वह नरम और अच्छी तरह से मैश न हो जाए।
बहुत अधिक घी का इस्तेमाल करना
मूंग दाल के हलवे में घी उसके टेक्सचर और टेस्ट दोनों को कई गुना बढ़ा देता है। लेकिन आवश्यकता से अधिक घी का इस्तेमाल करना उचित नहीं माना जाता है। इससे हलवा बहुत अधिक ग्रीसी हो जाता है। साथ ही साथ, खाते समय आपको बहुत अधिक हैवी फील होता है। बेहतर होगा कि आप हलवा बनाते समय सीमित मात्रा में ही घी का इस्तेमाल करें।
लगातार ना हिलाना
कई बार मूंग दाल हलवा बनाते समय वह जल जाता है या फिर खाते समय वह एकसमान रूप से पका हुआ महसूस नहीं होता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि दाल डालने के बाद हम उसे लगातार चलाते नहीं है। हमेशा ध्यान रखें कि मूंग दाल को पकाते समय उसे लगातार चलाना बेहद जरूरी है। इससे दाल को पैन के तले में चिपकने से रोकने में मदद मिलती है। अगर आप इसे हिलाने में लापरवाही बरतती हैं तो इससे हलवा एकसमान रूप से पकता नहीं है। इतना ही नहीं, उसमें गांठें भी बन सकती हैं।
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