ज्यादातर लोग जब बाहर जाते हैं या ऑफिस जाते हैं तो पानी की बोतल साथ लेकर जो हैं। घर पर भी लोग उसी बोतल से पानी पीते हैं। ज्यादातर लोग पानी की बोतल को रीयूज यानी पुनः इस्तेमाल करते हैं। यही बोतल कभी पानी भरने तो कभी जूस भरने के काम में आती है। वहीं एक नए शोध में पानी की बोतल को लेकर चौकाने वाले खुलासे हुए हैं। इस रिसर्च के बारे में जानने के बाद आप शायद पानी की बोतल का पुन: इस्तेमाल करना छोड़ देंगे। शोध के अनुसार, रीयूजेबल पानी की बोतल टॉयलेट सीट से कहीं ज्यादा गंदी होती है। रिसर्च के मुताबिक रीयूजेबल बोतलों में टॉयलेट सीट की तुलना में लगभग 40,000 गुना अधिक बैक्टीरिया हो सकते हैं।
पानी के ट्रीटमेंट और शुद्धता पर काम करने वाली अमरीकी कंपनी वॉटरफिल्टरगुरु के शोधकर्ताओं की एक टीम ने टोंटी, ढक्कन सहित पानी की बोतलों के विभिन्न हिस्सों की जब जांच की तो पाया कि इनपर अधिक मात्रा में बैक्टीरिया मौजूद हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इस पर ग्राम निगेटिव रॉड्स और बैसिलस पाए गए। वहीं ऑस्ट्रेलियाई कैथोलिक विश्वविद्यालय क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट और नैदानिक मनोवैज्ञानिक और होर्डिंग डिसऑडर एक्सपर्ट, एसोसिएट प्रोफेसर केओंग याप का कहना है कि हमारे आसपास मौजूद रोज इस्तेमाल किए जाने वाले सामान भी हमें धोखा देते हैं।
शोध में पाया गया कि पानी की बार-बार इस्तेमाल की जा सकने वाली बोतल भले ही साफ दिखती हो, उसके प्लास्टिक को कंपनियों में हानिरहित बताया हो, लेकिन तब भी उससे पानी पीना सेफ नहीं। बोतल के मुंह पर टॉयलेट सीट से लगभग 40 हजार गुना ज्यादा जर्म्स होते हैं। ये अमाउंट पालतू कुत्ते-बिल्लियों के पानी पीने के बर्तन से भी 14 गुना ज्यादा है। यानी उनका बर्तन भी हमारी बोतल से कई गुना साफ रहता है। स्टडी के दौरान शोधकर्ताओं ने बोतल के अलग-अलग हिस्सों की जांच की। इसमें बोतल के ढक्कन, ऊपर का हिस्सा, मुंह, बॉटल की तली सभी शामिल थे। यहां पर दो तरह के बैक्टीरिया ज्यादा दिखे- बेसिलियस और ग्राम निगेटिव।