उम्र के साथ शरीर में होते हैं परिवर्तन, करे ये पोषक भोजन
50 की उम्र के बाद थोड़ी सी सावधानी बरतने की जरूरत होती है। कारण, उम्र के साथ हमारे शरीर की विकास प्रक्रिया में बदलाव होता रहता हैै और उम्र के प्रत्येक चरण में पोषक तत्वों के एक अलग समूह की आवश्यकता होती है।
50 की उम्र के बाद थोड़ी सी सावधानी बरतने की जरूरत होती है। कारण, उम्र के साथ हमारे शरीर की विकास प्रक्रिया में बदलाव होता रहता हैै और उम्र के प्रत्येक चरण में पोषक तत्वों के एक अलग समूह की आवश्यकता होती है। यह जीवन का आनंद लेने और स्वास्थ्य की स्थिति को सही बनाए रखने के लिए बहळ्त आवश्यक है। वास्तव में जीवन का हर चरण सेहत के लिहाज से बहळ्त महत्वपूर्ण होता है। इसलिए उम्र के हिसाब से पोषकता से पूर्ण भोजन का सेवन करना चाहिए।
कैल्शियम और विटामिन: हड्डियों के निर्माण और स्वस्थ रहने के लिए शरीर में पोषक तत्वों की पूर्ति बनी रहनी चाहिए। कैल्शियम के साथ विर्टांमस हड्डियों संबंधी समस्याओं से बचाने में मदद करते हैं। आयु बढ़ने के साथ शरीर के लिए विर्टांमस और अधिक महत्वपूर्ण हो जाते aहैं, क्योंकि यह न केवल हड्डियों को मजबूती देते हैं, बल्कि प्रतिरक्षा प्रणाली को समृद्ध करते हैं। यदि आप खानपान की विभिन्न चीजों या मांसाहार से इनकी पूर्ति नहीं कर सकते हैं तो कैल्शियम को पूरक आहार और सुबह व शाम की 20 मिनट की धूप से विटामिन-डी लेकर पूरा करें।
विटामिन बी-6: 50 वर्ष के होने बाद विटामिन बी-6 को अवशोषित करना कठिन हो जाता है। विटामिन बी-6 प्रतिरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ये मांसाहार से अधिक मिलता है, लेकिन यदि आप मांसाहार नहीं करते हैं तो डाइटीशियन की सलाह पर इसे सप्लीमेंट के तौर जरूर लें।
विटामिन बी-12: एक बहुत ही महत्वपूर्ण विटामिन है। इससे भरपूर आहार का सेवन जरूर करना चाहिए और यदि आवश्यक हो तो इसे सप्लीमेंट के रूप में लें। मस्तिष्क की सक्रियता के लिए भी विटामिन बी-12 की आवश्यकता होती है। इसके अच्छे स्रोतों में साबुत अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां आदि हैं।
प्रोटीन: जैसे-जैसे हमारी आयु बढ़ती है, ज्यादातर लोग पाचन संबंधी समस्याओं का सामना करते हैं। कहा जाता है कि इस उम्र में प्रोटीन को पचाना थोड़ा कठिन होता है। हालांकि मांसपेशियों के निर्माण, वृद्धि और विकास में प्रोटीन की बड़ी भूमिका है। इसलिए बढ़ती उम्र में प्रोटीन शरीर के लिए बहळ्त जरूरी होता है। अधिकांश लोगों में प्रोटीन की कमी रहती है। वसा रहित दूध और डेयरी उत्पादों का सेवन करके प्रोटीन की पूर्ति करनी चाहिए। शाकाहारी लोगों के लिए दालें और अंकुरित अनाज प्रोटीन का अच्छा स्रोत हैं। इनके अतिरिक्त डाइटीशियन की सलाह पर प्रोटीन सप्लीमेंट का सेवन भी किया जा सकता है।
ओमेगा-3: ओमेगा-3 एक आवश्यक फैटी एसिड है और इसके कई कार्य हैं। ओमेगा-3 चयापचय को बढ़ाने का काम करता है, जो बढ़ती उम्र में बहुत जरूरी है। यह वसा को जलाने और प्रतिरक्षा को बढ़ाने में बहळ्त सहायक है। मेवे और अलसी आदि ओमेगा-3 के अच्छे स्रोत हैं।
पोटेशियम: पोटेशियम रक्तचाप, हृदय के स्वास्थ्य और मांसपेशियों के संकुचन को बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण खनिज है। यह हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है। पोटेशियम मेवों, बीजों, साबुत अनाज, डेयरी उत्पाद आदि में पाया जाता है।
फाइबर: आंतों की गतिशीलता बढ़ती उम्र के साथ कम होने लगती है। इससे पाचन की समस्या होती है। आंतों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए फाइबर युक्त भोजन का सेवन करना चाहिए। फाइबर युक्त आहार ग्लाइसेमिक नियंत्रण को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है।
महत्वपूर्ण हैं एंटीआक्सीडेंट: एंटीआक्सीडेंट्स कोशिकाओं को खराब होने से बचाते हैं। इनसे उम्र के बढ़ने, कैंसर व अन्य गंभीर रोगों से बचाव होता है। एंटीआक्सीडेंट्स से भरपूर आहार शरीर को प्राकृतिक तरीके से डिटाक्स करने का काम करते हैं। इसीलिए एंटीऑक्सीडेंट युक्त आहार को प्रतिदिन अपने भोजन में शामिल करना चाहिए।