चाणक्य नीति के अनुसार इन 5 स्थानों पर व्यक्ति को कभी नहीं रहना चाहिए
5 स्थानों पर व्यक्ति को कभी नहीं रहना चाहिए
चाणक्य नीति कहती है कि व्यक्ति को रहने और कार्य करने की दृष्टि से स्थान का चयन करते समय बहुत ही सावधानी और सतर्कता बरतनी चाहिए. कई बार जल्दबाजी में गलत स्थान का चयन कर लेते हैं. जिस कारण उन्हें आगे चलकर परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
आचार्य चाणक्य ने अपनी चाणक्य नीति में कुछ ऐसी महत्वपूर्ण बातें बताई हैं, जिनको जानना बहुत ही आवश्यक हो जाता है. आज के परिपेक्ष्य में तो ये बात और भी अधिक प्रासंगिक हो जाती है.
चाण्क्य की गिनती भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में की जाती है. चाणक्य को विभिन्न विषयों की जानकारी थी. चाणक्य के बारे में कहा जाता है कि उन्हें अर्थशास्त्र, राजनीति, कूटनीति और समाज शास्त्र आदि विषयों की बहुत ही गहरी जानकारी थी. व्यक्ति को रहने और कार्य करने के लिए किन स्थानों का चयन नहीं करना चाहिए, चाणक्य नीति के इस श्लोक के माध्यम से बताते हैं-
लोकयात्रा भयं लज्जा दाक्षिण्यं त्यागशीलता ।
पञ्च यत्र न विद्यन्ते न कुर्य्यात्तत्र सड्गतिम् ।।
चाणक्य नीति के इस श्लोक के अनुसार व्यक्ति को इन 5 स्थानों पर नहीं रहना चाहिए और समय रहते त्याग कर देना चाहिए. इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य बताते हैं कि-
बुद्धिमान और योग्य व्यक्ति को ऐसे देश या स्थान पर कभी नहीं जाना चाहिए जहां पर रोजगार कमाने का कोई माध्यम ना हो, जहां लोगों को किसी बात का भय न हो, जहां लोगो को किसी बात की लज्जा न हो, जहां लोग बुद्धिमान न हो और जहां लोगो की वृत्ति दान धरम करने की ना हो. चाणक्य के इस श्लोक को गंभीरता से लेना चाहिए. चाणक्य द्वारा बताई गईं बातें संकट और परेशानियों को बचाने में मदद करती है. यही कारण है कि इतने वर्ष के बाद भी आचार्य चाणक्य की चाणक्य नीति की प्रासंगिकता कम नहीं हुई है. बड़ी संख्या में आज लोग चाणक्य नीति का अध्ययन करते हैं.