भारत में कई राजवंशों का राज रहा है. कई प्रतापी राजाओं ने शासन किया था. हर मशहूर राजा क़िले बनाया करता था. देशभर में कई क़िले बनाए गए हैं. क़िलों को बनाने की शैली अलग-अलग होती थी. क़िलों का ऐतिहासिक महत्व तो होता ही था, आर्किटेक्चरल स्टाइल्स की वजह से भी वे मशहूर होते थे. हम आज आपको उत्तर भारत के तीन ऐसे ही मशहूर क़िलों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें देखे बिना आपका उत्तर भ्रमण अधूरा ही कहा जाएगा.
लाल क़िला, दिल्ली
17वीं शताब्दी में मुग़ल बादशाह शाह जहां द्वारा बनाए इस क़िले का नाम लाल क़िला इसलिए पड़ा, क्योंकि इसे लाल बलुए पत्थरों से बनाया गया है. अपने निर्माण के बाद अगले 200 सालों तक लाल क़िला मुग़ल सल्तनत का केंद्र बना रहा. आज भी यह क़िला काफ़ी अच्छी स्थिति में है. लाल क़िले ने भारत के इतिहास के कई अहम लम्हों को जीवंत किया है. भारत की आज़ादी की पहली लड़ाई में इस ऐतिहासिक क़िले की बड़ी भूमिका थी. अब लाल क़िला यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत घोषित किया गया है. देश की राजधानी जानेवाले यात्रियों के लिए लाल क़िला आकर्षण का अहम् केंद्र है.
मेहरानगढ़ क़िला, जोधपुर, राजस्थान
स्वर्ण मंदिर, अमृतसर
गोल्डन टेंपल के नाम से जाना जानेवाला स्वर्ण मंदिर सिख समुदाय का सबसे पवित्र धार्मिक स्थल है. हालांकि यहां सभी धर्मों के लोग मत्था टेकने जाते हैं. स्वर्ण मंदिर की स्थापना वर्ष 1574 में सिख गुरु राम दास ने की थी. यहां दिनभर गुरुग्रंथ साहब की गुरुबाणी चलती रहती है. यहां सभी धर्मों और जातियों के श्रद्धालुओं का खुले दिल से स्वागत किया जाता है. यहां के लंगर में दिनभर खाना परोसा जाता है. हर दिन लाखों लोग यहां भोजन करते हैं. अगर आपकी इच्छा हो तो आप लंगर में सेवा कर सकते हैं. यह मंदिर अमृत सरोवर के तट पर बना है. इस सरोवर के पानी में रोगों को ठीक करने की शक्ति बताई जाती है. स्वर्ण मंदिर में जाते हुए आपको अपना सिर ढंकना होता है.
temples sacred pilgrimage
अमरनाथ मंदिर, अनंतनाग, जम्मू और कश्मीर
उत्तर भारत का यह तीर्थस्थल भगवान शिव को समर्पित है. लोककथाओं के अनुसार अमरनाथ धरती पर भगवान शिव का घर था. कहते हैं इस गुफा में भगवान शिव माता पार्वती के साथ गए थे, जहां उन्होंने माता पार्वती को संसार की संरचना और अमरता का ज्ञान दिया था. हर वर्ष श्रद्धालू जुलाई से अगस्त तक चलनेवाले 45 दिनों के श्रवण मेला के दौरान यहां आते हैं. समुद्र सतह से 3,900 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर बर्फ़ से प्राकृतिक रूप से बननेवाले शिवलिंग के लिए जाना जाता है. इस मंदिर का हिंदू धर्म में बहुत ज़्यादा महत्व है.
बद्रीनाथ मंदिर, बद्रीनाथ, उत्तराखंड
भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर चार धाम के चार पवित्र मंदिरों में से एक है. अलकनंदा नदी के तट पर बने इस मंदिर परिसर की सुंदरता और भव्यता देखने जैसी है. बद्रीनाथ भारत में सबसे अधिक श्रद्धालुओं की संख्या वाले मंदिरों में एक है. यह मंदिर समुद्र सतह से 3,100 मीटर की ऊंचाई पर है. यहां भगवान विष्णु का काले पत्थर से बनी मूर्ति है, जो तीन फ़ीट ऊंची है. यहां माता मूर्ति का मेला नामक आयोजन के दौरान सबसे अधिक श्रद्धालू आते हैं. अत्यधिक ऊंचाई पर स्थित होने और कठिन मौसम के कारण यहां साल के केवल छह महीनों तक ही जाया
वैष्णो देवी मंदिर, जम्मू
देवी महालक्ष्मी को समर्पित वैष्णो देवी मंदिर उत्तर भारत के सबसे लोकप्रिय तीर्थस्थलों में ख़ास जगह रखता है. वैष्णो देवी की गुफा 5,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यहां पहुंचने के लिए आख़िरी के 14 किलोमीटर की यात्रा पैदल करनी पड़ती है. काफ़ी ऊंचाई पर स्थित होने और बेहद कठिन मौसम के बावजूद यहां हर साल लगभग 1 करोड़ श्रद्धालू आते हैं. मंदिर में देवी बाघ पर बैठी हुई हैं, जिनकी 8 भुजाएं हैं. देवी को शक्ति का प्रतीक माना जाता है.
मनसा देवी मंदिर, हरिद्वार
गंगा नदी के तट पर बसा यह मंदिर पवित्र नगरी हरिद्वार के पांच मशहूर मंदिरों में एक है. मनसा का शाब्दिक अर्थ है ‘इच्छा’. यहां देवी के सामने व्यक्त की जानेवाली इच्छाएं पूरी होती हैं. नवरात्र और कुंभ मेला के दौरान इस मंदिर में भक्तों की भीड़ बढ़ जाती है. पहले मंदिर तक जाने के लिए केवल सीढ़ियां चढ़कर जाना होता था, अब यहां केबल कार से भी जाने की सुविधा उपलब्ध है. केबल कार से जाते हुए श्रद्धालुओं को पूरी घाटी का मनोरम दृश्य भी दिखता है.Femina
पहाड़ी पर बना यह क़िले अपने मज़बूत और ख़ूबसूरत ढांचे के लिए जाना जाता है. वर्ष 1459 में बनाए या मेहरानगढ़ क़िला भारत के मशहूर क़िलों में एक है. जब आप क़िले के ऊपर पहुंचते हैं तो वहां से नीचे देखने पर ख़ूबसूरत जोधपुर शहर अपने नीले छतों वाले घरों के साथ आपको सम्मोहित कर लेता है. किसे ज़माने में देश के सबसे मज़बूत क़िलों में गिना जानेवाले मेहरानगढ़ में एक म्यूज़ियम भी बनाया गया है, जो राठौड़ राजपूत योद्धाओं की शानदार विरासत की झलकियों से गुलज़ार है. क़िले के अंदर के महल काफ़ी अच्छी स्थिति में हैं. इसके विशालकाय दरवाज़ों की भी अच्छी देखरेख की गई है. यही कारण है कि क़िले का प्रांगण पर्यटकों को अपनी पुरानी भव्यता का एहसास कराता है.
चित्तौड़गढ़ क़िला, चित्तौड़, राजस्थान
चित्तौड़गढ़ का क़िला भारत के सबसे बड़े क़िलों में एक है. यह यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत घोषित की गई जगहों में एक है. अपनी बुलंदी के दौर में चित्तौड़ राजस्थान के मेवाड़ इलाक़े की राजधानी हुआ करता था. इस क़िले ने इतिहास के कई बड़े उलटफेर देखे हैं. बहादुरी और शौर्य की गाथाएं यहां लिखी गईं तो बाहरी हमले और अंदरूनी विश्वासघात की काली कहानियां भी इस क़िले की दीवारों में क़ैद हैं. यह क़िला बहादुर राजपूत योद्धाओं के बलिदान और उनकी हिम्मती पत्नियों के जौहर का साक्षी रहा है. राजपुताना शैली में बने इस क़िले को उत्तर भारत ही क्या, पूरे भारत के सबसे मशहूर ऐतिहासिक स्थलों में शामिल किया जाता है. क़िले के महल, मंदिर और जलाशय कमाल के हैं. समय निकालकर चित्तौड़गढ़ ज़रूर हो आएं.