19000 आईवीएफ को किया गया मॉनिटर, इस वजह से पड़ सकता है गर्भधारण पर असर

Update: 2022-07-27 04:10 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Latest Study on Pregnancy: प्रेग्नेंसी के लिए महिलाओं की उम्र को महत्वपूर्ण माना जाता है. कहा जाता है कि अधिक उम्र होने पर महिलाओं के गर्भवर्ती होने की संभावना कम होती है, लेकिन यह सिक्के का सिर्फ एक पहलु है. इसका एक और पहलु है जिस पर दुनिया का ध्यान नहीं जाता, लेकिन हाल ही में हुए एक अध्ययन से चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. स्टडी के अनुसार, आईवीएफ के माध्यम से बच्चे के जन्म के दौरान माता-पिता की उम्र एक महत्वपूर्ण कारक होती है, जिसमें पुरुष की उम्र अगर 40 से अधिक हो तो बच्चे के जन्म दर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.

19000 आईवीएफ को किया गया मॉनिटर
इस स्टडी में पाया गया है कि जिन महिलाओं की उम्र 35 से 40 के बीच थी और जिनके पार्टनर 40 या उससे अधिक थे, उनमें गर्भधारण की संभावना कम थी. रिसर्च में 19,000 आईवीएफ केस को मॉनिटर किया गया. इसके बाद पाया गया कि कम उम्र की महिला के अंडों में अधिक उम्र वाले पुरुषों के शुक्राणु के डीएनए की क्षति को ठीक करने की क्षमता होती है. शोध में पाया गया कि जब महिला 40 से अधिक होती है तो अंडे की गुणवत्ता कम हो जाती है और शुक्राणु में पाए जाने वाले नुकसान की भरपाई की संभावना भी कम होती है.
पुरषों की उम्र को इग्नोर करना ठीक नहीं
आम तौर पर महिलाओं की उम्र को बच्चे के जन्म के दौरान एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में देखा जाता था, लेकिन शोधकर्ताओं ने कहा कि माता-पिता की उम्र को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए और इसके लिए सिर्फ महिलाओं की बायोलॉजिकल क्लॉक पर ही ध्यान केंद्रित करना ठीक नहीं है. इसमें महिलाओं से ज्यादा पुरुषों के बायोलॉजिकल क्लॉक का रोल होता है.
40 से 44 के बीच में आने लगती है दिक्कत
यूके में हुए इस अध्ययन के दौरान 18,000 से अधिक आईवीएफ और आईसीएसआई चक्रों में पुरुषों और महिलाओं दोनों की उम्र का विश्लेषण किया गया. स्टडी में पाया गया कि जहां माता-पिता की उम्र 40 से 44 के बीच थी, वहां बच्चे के जन्म की संभालना 27 प्रतिशत तक थी. शोध में कहा गया है कि जब पुरुष साथी 55 वर्ष से अधिक उम्र का होता है तो प्रसव 25 प्रतिशत तक गिर जाता है. पहले पुरुषों के लिए माना जाता था कि वे अपने बुढ़ापे में भी गर्भ धारण करने में सक्षम होते हैं, लेकिन शोधकर्ताओं ने इस पूरी तरह सही नहीं माना. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उम्र बढ़ने के बाद अंडे और शुक्राणु के प्रभाव का अधिक बारीकी से अध्ययन करने की आवश्यकता है.


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