लाल किले के प्राचीर से कही ये 6 बातें हमें भारतीय लोकतंत्र पर गर्व और भरोसे से भर देती हैं
लीडर का पहला काम होता है अपनी टीम में जोश और जज्बा बनाए रखना
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | संयम श्रीवास्तव | लीडर का पहला काम होता है अपनी टीम में जोश और जज्बा बनाए रखना. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी शानदार भाषण शैली से एक बार फिर लाल किले के प्राचीर से भारतीय जन मन में अपने देश के लिए प्राइड फीलिंग पैदा की है. यही उनकी ताकत है कि कोरोना से पीड़ित लाखों देशवासियों जिनके अंदर निराशा भाव पैदा हो रहा था उन्हें ऊर्जा से सराबोर कर दिया. उनके इस भाषण से एक उम्मीद जगती है कि भविष्य में सब कुछ ठीक होगा.
हम दुनिया में आगे निकलने की दौड़ में शामिल हैं. हम जल्द ही प्रोडक्शन में चीन को पीछे छोड़ सकते हैं. हमारे छोटे किसानों की जिंदगी में भी बहार आने का समय आ गया गया है. बेरोजगार युवकों को लिए सरकार चिंतित है उनके लिए भी योजनाएं हैं. महिलाएं और खिला़ड़ी देश के लिए असेट हैं जिनके लिए सरकार चिंतित है. ऊर्जा के खत्म होते श्रोत के विकल्प के लिए भी सरकार के पास एक बड़ी योजना है जिससे पूरे विश्व में हम नेतृत्व करने में सक्षम साबित हो सकते हैं.
1-सहकारिता पर ध्यान दिया तो बदल सकती है देश की तकदीर
देश में दुग्ध क्रांति की बयार बहाने में सहकारी समितियों का बड़ा योगदान रहा है. आपने अमूल और लिज्जत पापड़ जैसे ब्रांड का नाम अवश्वय सुना होगा. ये दोनों कंपनियां न प्राइवेट हैं और न ही सरकारी हैं. न ये विदेशी मल्टी नैशनल कंपनियां हैं पर इनका उत्पाद गुणवत्ता के मानक पर किसी भी विदेशी ब्रांड से कम नहीं है. अब ये ब्रांड बड़े इंटरनैशनल ब्रैंड को आइना दिखाते हैं. यही हाल चीनी मिलों का भी है. देश में तैयार होने वाली 35 फीसदी चीनी का उत्पादन सहकारिता से जुड़ी समितियां करती हैं. बैंकिंग और फाइनेंस को ग्रामीण स्तर तक पहुंचाने में भी सहकारिता का बड़ा योगदान रहा है. नाबार्ड की 2019-20 की रिपोर्ट के अनुसार स्टेट कोऑपरेटिव बैंक ने कृषि क्षेत्र से जु़ड़ी इंडस्ट्री को 1 लाख 48 हजार 625 करोड़ रुपए का लोन बांटा है यानि छोटे किसानों के संकट के समय भी इनका योगदान महत्वपूर्ण रहा है.
सरकार सहकारी क्षेत्र में सुधार के लिए कितना गंभीर है ये दो काम स्पष्ट करते हैं. पहला केंद्र में एक अलग से सहकारिता मंत्रालय का गठन और दूसरा सहकारी बैंकों को फ्रॉड और भ्रष्टाचार से बचाने के लिए उसे रिजर्व बैंक के नियंत्रण में लाने की कवायद. हाल ही में बैंकिंग नियम अधिनियम 1949 में कुछ संशोधन किए गए थे, जिसके बाद यूसीबी पर यानि शहरी सहकारी बैंकों पर आरबीआई की शक्तियां बढ़ गई हैं. अब शहरी सहकारी बैंकों पर आरबीआई उसी तरह से नियम और निगरानी कर सकता है जैसा कि वह अन्य अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों पर करता है. हालांकि निदेशकों पर फिलहाल आरबीआई ने साफ तौर पर यह नहीं कहा है कि निदेशक मंडल को धारा 10A कि उपधारा 2 के प्रावधानों का पूरी तरह पालन करना होगा या नहीं.
2-100 लाख करोड़ रुपये में गतिशक्ति योजना विकास के साथ बेरोजगारी पर भी करेगी चोट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैसा लाल किले से कहा कि भारत आने वाले कुछ समय में गति शक्ति योजना का एक राष्ट्रीय मास्टर प्लान देश के समक्ष रखेगा. पीएम मोदी के अनुसार 100 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक की यह योजना लाखों बेरोजगार लोगों के लिए रोजगार का अवसर मुहैया कराएगी. यह पूरे देश के लिए ऐसा मास्टर प्लान होगा, जो हॉलिस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर की नींव रखेगा. अभी परिवहन के साधनों में कोई तालमेल नहीं है. यह योजना इस गतिरोध को भी तोड़ेगी.
100 लाख करोड़ कम नहीं होता . इतनी बड़ी रकम अगर इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करने की बात की जा रही है. इन्फ्रास्ट्रक्चर में पहले ही देश में फोर लेन और सिक्स लेन हाइवे का जाल बिछ चुका है या काम हो रहा है. रेलवे का फ्रेट कॉरिडोर भी करीब-करीब कंप्लीट होने के कगार पर है. पर जैसा पीएम ने कहा कि अभी परिवहन के साधनों में कोई तालमेल नहीं है. इसलिए माना जा रहा है कि पीएम कोई एकीकृत परिवहन योजना की भी घोषणा कर सकते हैं. जिससे किसान उत्पादों- उद्योगों और टूरिस्टों के लिए लास्ट माइल कनेक्टिविटी मिल सके. अगर ऐसा होता है तो देश के लाखों लोगों के लिए स्व रोजगार का रास्ता निकालता है. प्रधानमंत्री बार-बार नौकरियों के बजाय स्वरोजगार की बात करते रहे हैं. इसके साथ ही समझा जा रहा है कि कई तरह के स्पेशल इकॉनामिक जोन के खुलने के लिए भी ये योजना कारगर साबित हो सकती है.
3-मोबाइल का निर्यातक देश बना देश
जिस देश में अभी कुछ साल पहले तक लोग मोबाइल फोन के लिए पूरी तरह विदेशों पर आश्रित थे उस देश में चीजें पूरी तरह बदल गई हैं. ये सुनकर आश्चर्य होता है कि हमने कितनी जल्दी ये बड़ा काम कर दिखाया है. प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस मोबाइल का हम बड़े पैमाने पर आयात करते थे अब हम बड़े पैमाने पर निर्यात कर रहे हैं.
अभी कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री ने एक अन्य कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना न केवल विनिर्माण के पैमाने को बढ़ाने में मदद करेगी बल्कि वैश्विक गुणवत्ता और दक्षता के स्तर को भी बढ़ाएगी. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा था कि भारत एक समय करीब आठ अरब डॉलर मूल्य का मोबाइल फोन का आयात करता था, पर आज यह घटकर 2 अरब डॉलर रहा गया है. इसी प्रकार, सात साल पहले, देश केवल 30 करोड़ डॉलर मूल्य का मोबाइल फोन निर्यात करता था और अब यह बढ़कर 3 अरब डॉलर हो गया है.
जबसे कोरोनावायरस दुनिया भर में कमजोर हुआ है, तब से पूरी दुनिया के बाजार फिर से खुलने लगे हैं. इसके साथ ही लोगों की डिमांड भी बढ़ने लगी है. यही वजह है कि भारत जैसे देश इस मौके का फायदा उठाकर तेजी से एक्सपोर्ट कर रहे हैं. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के नए जारी आंकड़ों के मुताबिक जुलाई 2021 के महीने में देश ने बीते 9 साल के रिकॉर्ड स्तर पर एक्सपोर्ट किया है. इस बार जुलाई महीने में देश ने 35.17 अरब डॉलर के वाणिज्य वस्तुओं का निर्यात किया है. इस बार जुलाई महीने में गैर पेट्रोलियम वस्तुओं का निर्यात 29.57 अरब डॉलर का था, जो पिछले साल की तुलना में 34.39 फ़ीसदी ज़्यादा था. वहीं अगर इसकी तुलना जुलाई 2019 से करें तो यह 30 फ़ीसदी ज़्यादा है.
4-छोटे किसान बनेंगे देश की शान
प्रधानमंत्री मोदी देश के छोटे किसानों की उन्नति के लिए कितने प्रतिबद्ध हैं ये किसानों के लाए गए उनके 3 बिलों को देखकर समझा जा सकता है. इसके पहले भी किसान निधि योजना, किसान क्रेडिट कार्ड का विस्तार और किसानों की पैतृक जमीन की मैपिंग कराकर उनको संपत्ति का रूप देना प्रमुख रूप से शामिल रहा है. पीएम बार-बार ये कहते रहे हैं कि देश के करीब 80 प्रतिशत किसानों के पास 2 हेक्टेयर से कम जमीन है. देश की कृषि संबंधी योजनाओं पर जितना खर्च होता है उसका लाभ 20 परसेंट किसानों को ही पहुंचता रहा है. किसान बीमा योजना, कृषि ऋण सबसिडी, अनाजों पर एमसपी घोषित करना और कृषि यंत्रों पर मिलने वाली सबसिडी सबका लाभ बड़े किसान ही उठाते रहे हैं. पीएम ने लाल किले के प्राचीर से एक बार फिर कहा है कि ''छोटा किसान बने देश की शान, यह हमारा सपना है. आने वाले वर्षों में हमें देश के छोटे किसानों की सामूहिक शक्ति को और बढ़ाना होगा. उन्हें नई सुविधाएं देन…
5-स्पोर्ट अब मेन स्ट्रीम में
पिछले कुछ सालों में देश में खेल गतिविधियां बढ़ी हैं . यहीं कारण है कि हम एक गोल्ड सहित 7 पदक ओलिंपिक में लाने में सफल रहे हैं. इसके साथ ही कई प्रतिस्पर्धाओं में हम चौथे स्थान पर भी रहे हैं. मतलब कुछ और पदक जीतने से हम चूक गए. ऐसी उम्मीद की जा रही है कि अगले ओलिंपिक तक देश के पास ढेर सारे पदक होंगे. इसके लिए तैयारी अभी से करनी होगी. आजकल किसी भी देश के विकास और ताकत का पैमाना उसके खेल शक्ति होने से भी आंका जाता है. भारत इस दिशा में बस फर्राटा भरने ही वाला है. इसे देखते ही पीएम ने मूलभूत सुधार के लिए जरूरी चीजों पर ध्यान दिया है. हमारे एजुकेशन सिस्टम में अगर स्पोर्ट को मेन स्ट्रीम में शामिल कर लिया गया तो हमें आधी सफलता तो वैसे ही मिल गई. क्योंकि हमारे देश में बचपन में ही बहुत सी प्रतिभाएं दम तोड़ देती हैं. अगर स्पोर्ट मेन स्ट्रीम में आता है तो समझिए बहुत पदकवीर होनहार अपने लक्षण शुरू में दिखा देंगे और उनकी प्रतिभा को मरने के पहले निखारा जा सकेगा. देश में स्पोर्ट के लिए माहौल बनाने में भी यह कारगर साबित होगा.
6. सैनिक स्कूलों में लड़कियां भी ले सकेंगी एडमिशन
हमारा देश को महिलाओं को अधिकार देने में यूरोप और अमेरिका के देशों से भी आगे रहा है. महिलाओं को पूर्ण मताधिकार के मामले में भी भारत इन दोनों देशों से आगे रहा है. पहली महिला प्रधानमंत्री भी भारत ने इन दोनों आधुनिक देशों से पहले देकर दुनिया को आइना दिखाया है. अब पीएम मोदी ने कहा है कि सैनिक स्कूलों में भी देश की बेटियां एडमिशन ले सकेंगी. यह देश के लिए गौरव की बात है कि शिक्षा हो या खेल, बोर्ड्स के नतीजे हों या ओलिंपिक का मेडल, हमारी बेटियां आज अभूतपूर्व प्रदर्शन कर रही हैं. दो-ढाई साल पहले मिजोरम के सैनिक स्कूल में पहली बार बेटियों को प्रवेश देने का प्रयोग किया गया था. अब सरकार ने तय किया है कि देश के सभी सैनिक स्कूलों को देश की बेटियों के लिए भी खोल दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि आज मैं एक खुशी देशवासियों से साझा कर रहा हूं. मुझे लाखों बेटियों के संदेश मिलते थे कि वो भी सैनिक स्कूल में पढ़ना चाहती हैं, उनके लिए भी सैनिक स्कूलों के दरवाजे खोले जाएं.
जिस देश में मातृशक्ति की पूजा होती रही हो. जिस देश में सेना एक्शन में आने से पहले माता की जयकारे लगाती हो उस देश की मातृशक्ति जब रणभूमि में उतरेगी तो निश्चित ही काल उसके पीछे-पीछे चलेगा.