पत्रकारों का वही हाल
भारत में भी कई पत्रकारों के ऊपर मामले दर्ज होते आए हैं
भारत में भी कई पत्रकारों के ऊपर मामले दर्ज होते आए हैं। कई पत्रकारों को रिपोर्टिंग के लिए गिरफ्तारी तक का सामना करना पड़ा है। राज्य सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों पर हमले तक हुए हैं। पत्रकारों के ऊपर राजद्रोह जैसे गंभीर मामले लगाने पर सुप्रीम कोर्ट भी चिंता जाहिर कर चुका है।
ये कहावत पत्रकारों के मामले बिल्कुल सही साबित होती है कि चाहे गया साल हो या नया साल, उनकी स्थिति नहीं बदलती। वे लगातार निहित स्वार्थ तत्वों और निरंकुश सत्ता के निशाने पर बने रहते हैं। इस बात की पुष्टि साल 2021 ने भी की है, जो अपने हम से विदा लेने की तरफ बढ़ रहा है। इस साल का जायजा लेते हुए एक गैर सरकारी संस्था ने बताया है कि फिलहाल दुनिया भर में 488 मीडियाकर्मी जेलों में कैद हैं। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) नाम की इस संस्था का कहना है कि 25 साल में यह संख्या सबसे अधिक है। आरएसएफ के मुताबिक 2021 में 46 पत्रकार मारे गए। स्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स हर साल पत्रकारों को लेकर अपनी रिपोर्ट जारी करता है। उसके मुताबिक पिछले 25 सालों में मारे गए पत्रकारों की संख्या इस साल सबसे कम है। उसने इसका कारण पश्चिम एशिया में लड़ाई में आए ठहराव को मान है।
प्रेस की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाले एनजीओ ने एक बयान में कहा है- 1995 में आरएसएफ ने अपना वार्षिक आंकड़ा जारी करना शुरू किया। उसके बाद से हिरासत में लिए गए पत्रकारों की संख्या इतनी अधिक कभी नहीं रही। म्यांमार, बेलारूस और हांगकांग में मीडिया पर कार्रवाई के कारण पिछले एक साल में यह संख्या लगभग 20 प्रतिशत बढ़ी है। कभी भी उतनी अधिक महिला पत्रकारों को हिरासत में नहीं देखा गया था, जितनी अब है।
उनकी कुल संख्या अभी 60 है। चीन 127 पत्रकारों को जेल में बंद करने के साथ सबसे ऊपर है। इस साल हांगकांग में चीनी सरकार की कार्यवाही भी तेज हुई। इसी साल जून में लोकतंत्र समर्थक अखबार ऐपल डेली के दफ्तर पर छापे मारे गए और उसके संपादकों व पत्रकारों को गिरफ्तार कर लिया गया। उसके बाद अखबार बंद हो गया था। म्यांमार में भी 53 पत्रकारों को जेल बंद किया गया। इसके बाद वियतनाम में 43, बेलारूस में 32 और सऊदी अरब में 31 पत्रकार जेलों में डाले गए। रिपोर्ट में उचित ही इस बात का जिक्र किया गया है कि भारत में भी कई पत्रकारों के ऊपर मामले दर्ज होते आए हैं। कई पत्रकारों को रिपोर्टिंग के लिए गिरफ्तारी तक का सामना करना पड़ा है। राज्य सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों पर हमले तक हुए हैं। गौरतलब है कि पत्रकारों के ऊपर राजद्रोह जैसे गंभीर मामले लगाने पर सुप्रीम कोर्ट भी चिंता जाहिर कर चुका है।
नया इण्डिया