लोकसभा चुनाव 2024 : यूपी की तर्ज पर बीजेपी कट्टर हिंदुत्व और मोदी-योगी विकास की कहानी दोहराने को तैयार है

लोकसभा चुनाव 2024

Update: 2022-04-14 07:00 GMT
एम हसन | 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान 'यूपी प्लस योगी, बहुत है उपयोगी' का नारा दिया था. यह नारा मुख्यमंत्री के रूप में पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद योगी के अच्छे कामों को उजागर करने के लिए था. अब यह बीजेपी की राष्ट्रीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है, खासकर 2024 के महत्वपूर्ण लोकसभा चुनावों (2024 Lok Sabha Election) के दौरान. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने भी एक चुनावी रैली के दौरान घोषणा किया था कि 'यूपी में योगी की जीत के बिना, बीजेपी 2024 में सत्ता बरकरार नहीं रख पाएगी.'
बीजेपी 'टफ गवर्नेंस' की छवि अपनाना चाहती है
चूंकि मोदी-योगी कॉम्बिनेशन (Modi-Yogi combination) विकास की राजनीति और कट्टर हिंदुत्व में तब्दील होता है, इसलिए यह लोकसभा चुनावों के लिए बीजेपी की योजना में पूरी तरह से फिट बैठता है. गुजरात मॉडल (Gujarat Model) का फायदा बीजेपी ने 2014 में उठाया था, अब आगामी राज्य विधानसभा चुनावों में भी योगी के 'सख्त शासन' (Tough Governance) के मॉडल को प्रदर्शित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं.
एमपी में भी 'बुलडोजर सियासत' गर्म
योगी का बुलडोजर इन दिनों न केवल अपराधियों बल्कि भ्रष्ट अधिकारियों और पुलिस की अवैध संपत्तियों को ध्वस्त करने के लिए ओवरटाइम काम कर रहा है. हाल ही में, अवैध संपत्तियों को तेजी से हटाने के लिए सरकारी एजेंसियों द्वारा डायनामाइट का भी उपयोग किया जा रहा है. मध्य प्रदेश में योगी की बुलडोजर सियासत पहले से ही गूंज रही है. राज्य सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा पर विशेष जोर देते हुए माफियाओं और गैंगस्टरों के खिलाफ एक व्यापक अभियान भी चलाया है.
योगी ने मंत्रियों को दिया 100 दिन का टारगेट
योगी सरकार ने नए शामिल किए गए मंत्रियों को 100 दिनों की सीमित समय सीमा में अपनी क्षमता के अनुसार सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने को कहा है. जिन मंत्रियों को 100 दिनों के लिए लक्ष्य निर्धारित करने को कहा गया, वे पहले ही मुख्यमंत्री के सामने अपना प्रेजेंटेशन दे चुके हैं और अब उन्हें अपने लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में काम करने के लिए कहा गया है.
परफॉर्म करने के दवाब में यूपी के मंत्री
मंत्रियों को शार्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म दोनों तरह के लक्ष्य निर्धारित करने और फिर उन्हें समय पर हासिल करने का निर्देश दिया गया है. वे अपना मंत्री पद बरकरार रखने के लिए परफॉर्म करने के दबाव में हैं और हर महीने उनके रिपोर्ट कार्ड की समीक्षा की जाएगी. उन्हें राज्य छोड़ने से पहले सरकार को पहले से सूचित करने की भी आवश्यकता होगी. मुख्यमंत्री ने मंत्रियों की फिजूलखर्ची रोकने के कुछ उपाय किए हैं और विभागीय कामकाज में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए चेक और बैलेंस की एक प्रणाली शुरू की है.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं.)
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