पिता जैसे कि नाम और शाब्दिक ध्वनि से हृदय स्पर्शी भावना मन में उकरती ही चली जाती हैं समूचे ब्रह्मांड the whole universe में संतान रूपी बिटिया और बेटा दोनों के लिए पिता की भूमिका , छवि , वात्सल्य इत्यादि अगर मैं कहूं कि एक बिटिया अपने पिता के साथ थोड़ी अधिक निकट होती है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी क्योंकि यह मेरा निकटता से देखा गया अनुभव है बहुत से पाठक मेरे इस अनुभव से इत्तेफाक रखते होंगे, बरहाल अक्सर देखा गया है की यदि मां अगर परिवार का दिल है तो पिता उस दिल की धड़कन होते हैं। पिता हमारे जीवन का एक ऐसा अमूल्य रत्न है जो अपने संतान की जिंदगी बनाने के लिए खुद को अपनी जिंदगी को अपने वजूद को भूल जाते हैं क्योंकि उनके लिए उनकी जिंदगी उनके परिवार उनके बीवी बच्चों के इर्द गिर्द सिमट कर रह जाती है । हमारे जीवन में पिता का महत्व इस बात से ही समझा जा सकता है कि उन्हें परिवार का महत्वपूर्ण स्तंभ माना जाता है जो हमें सही और गलत राह के बीच का फर्क समझाते हैं। पिता से हम संघर्ष करना और मुसीबत के समय में कैसे परिस्थिति का सामना करना है और हिम्मत नहीं हारना है सीखते हैं। किसी भी मुसीबत में एक पिता ही होते हैं जो हमेशा अपने बच्चों के साथ खड़े रहते हैं। पिता प्रकृति का एक ऐसा किरदार है जो बाहर से नारियल की भांति भले ही सख्त हों और अपनी भावनाएं जल्दी किसी के सामने व्यक्त नहीं करते लेकिन अंदरसे उतना ही नरम दिल और मीठा होता है जो कभी भी अपने बच्चों को मुसीबत आने पर अकेला नहीं छोड़ते हैं। बच्चे की पहचान समाज में पिता से ही होती है। पिता अपने बच्चों के साथ थोड़े सख्त होते हैं लेकिन उसमे भी वह उनकी भलाई ही चाहते हैं। पिता अपनी पूरी जिंदगी संघर्ष और मेहनत करते-करते बिताते हैं ताकि उनका परिवार खुश रहे और उनके सभी सपनो को वो पूरा कर सकें। परिवार का पूरा भार अपने कंधो पर लेकर भी जो मुस्कुराए और माथे पर एक सिकन भी न दिखने दे उस महान व्यक्ति को पिता कहा जाता है। पिता के महान बलिदान को देख कर हर बच्चा यही कहता है कि माई फादर माई हीरो!
हर बच्चे के लिए उनका पिता हीरो के समान होता है और वह परिवार के एक महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं। वे हमें अपने अनुभवों से बहुत कुछ सिखाने की कोशिश करते हैं, जिनसे हमें एक बेहतर व्यक्ति बनने में मदद मिल सके। पिता की जगह दुनिया का कोई भी व्यक्ति नहीं ले सकता और मैं यदि यह भी कहूं की पिता की जगह मां भी नहीं ले सकती तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी हालांकि कुछ अपवाद के साथ खुशी होती है और नतमस्तक हूं जब देखता हूं कुछ एकल माताएं अपनी संतान के प्रति एक पिता की जिम्मेदारी को बखूबी निभा रही हैं। पिता की मौजूदगी से पूरा परिवार खुद को सुरक्षित महसूस करता है। पिता के साथ बिताए पल बच्चों के लिए बहुत खास होते हैं। बचपन से लेकर बड़े होने तक एक पिता ही अपने बच्चे को बाहर की दुनिया से परिचित कराते हैं और बताते हैं कि कैसे समाज के हिसाब से जीवन को जीना चाहिए।
मां भले ही एक बच्चे को प्यार से पालती है लेकिन पिता का प्यार, अनुशासन और अनुभव बच्चे को एक मजबूत और परिपक्व व्यक्ति बनने में मदद करता है। पिता के साथ खेलना, पढ़ाई करना, घूमने जाना आदि यह सारे अनुभवों का मजा लेना हर बच्चे की ख्वाहिश होती है। घर की सभी जिम्मेदारी पिता बखूबी निभाते हैं, इसलिए उनकी खुशी परिवार के लिए सबसे जरूरी होती है। बच्चे के लिए पिता एक आदर्श होते हैं, वे भी अपने पिता के कदमों पर ही चलने की कोशिश करते हैं। पिता अपनी भावनाओं को बहुत कम व्यक्त कर पाते हैं, इसलिए लोग अक्सर उन्हें कठोर स्वभाव का समझ लेते हैं लेकिन वास्तव में एक पिता का मन बहुत कोमल होता है वो सिर्फ और सिर्फ अपने बच्चे को जीतता हुआ देखना चाहते हैं। परिवार में एक पिता का साया होना किसी आशीर्वाद से कम नहीं होता है, इसलिए मैं कहता हूँ माई फदर माई हीरो!
आमतौर पर लोग मां के प्यार और स्नेह की बात करते हैं, जिसमें पिता के प्यार को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। माँ के प्यार के बारे में बार-बार हर जगह बात की जाती है, फिल्मों में, शो में और भी बहुत कुछ। फिर भी, जिस चीज़ को हम स्वीकार करने में असफल होते हैं वह एक पिता की ताकत है जिस पर अक्सर ध्यान नहीं दिया जाता है। पिता एक ऐसा आशीर्वाद है जो बहुत से लोगों के जीवन में नहीं होता। यह कहना भी गलत होगा कि हर पिता अपने बच्चों के लिए आदर्श नायकIdeal hero होता है क्योंकि ऐसा नहीं है। हालाँकि, जब एक आदर्श व्यक्ति होने की बात आती है तो मैं बिना किसी हिचकिचाहट के अपने पिता का समर्थन कर सकता हूँ। जैसा कि हर कोई यह मानना पसंद करता है कि उनके पिता अलग हैं, वैसे ही मैं भी मानता हूं। फिर भी, यह विश्वास केवल उनके प्रति मेरे प्यार पर आधारित नहीं है, बल्कि उनके व्यक्तित्व के कारण भी है। सिर्फ संतान पैदा कर लेने से ही पिता का दर्जा नहीं मिल जाता पिता बनने के लिए मन वचन कर्म से समर्पित भाव से अपना 100% अपनी संतान और परिवार के प्रति अपनी कर्तव्यनिष्ठा जिम्मेदारियों को निःस्वार्थ रूप से निभाना पड़ता है तभी मैं समझता हूं कि पिता बनना और पिता कहा जाना सार्थक है। इसलिए सिर्फ एक दिन पिता दिवस मनाना ही काफी नहीं अपितु हर दिन पिता दिवस मनाएं पिता को सम्मान दीजिए गर्व कीजिए अपने पिता पर और मुझे यह कहते हुए अत्यंत खुशी है कि हां मैं अपने पिता का अंश हूं और मेरा अस्तित्व उन्हीं में निहित है मेरी पहचान मेरा वजूद उन्हीं से है।
(सभी पिताओं को मेरी तरफ से समर्पित आलेख)
पिताजी के सम्मान मैं चंद पंक्तियों के साथ मैं अपने आलेख को विराम देता हूं।
“हां वो मेरे बाबूजी हैं”
निःस्वार्थ कठोर तपस्या कर जिन्होंने मुझे काबिल बनाया, मेरी नन्हीं उंगलियों को थामे मुझे चलना सिखाया हां वो मेरे बाबूजी हैं।।
मेरा पेट भर जाए इसलिए खुद खाली पेट रहना मंजूर किया, अपनी छेद वाली चप्पल को छुपा मुझे नए जूते दिलाए हां वो मेरे बाबूजी हैं।।
मां के दुलार लाड प्यार में जब जब बिगड़ा मेरा बचपन जिन्होंने हर बार डॉट लगा कर सही रास्ता दिखाया मेरे मार्गदर्शन मेरे पथ प्रदर्शक हां वो मेरे बाबूजी हैं।।
अपने परिवार की हर छोटी मोटी जिम्मेदारी और जरूरतों को निभाते निभाते आज जो बूढ़े से दिखने लगे हैं हां वो मेरे बाबूजी हैं।।
मेरे जीवन का अस्तित्व मेरे सांसों की अटूट डोर मेरा वजूद मेरे आधार स्तंभ सब कुछ हां वो मेरे बाबूजी हैं ।।
एक बार फिर दुबक जाना चाहता हूं तुम्हारी बाहों में बाबूजी, मैने जीवन मैं भगवान तो नहीं देखे मेरे लिए तो भगवान से बढ़कर तो हां वो मेरे बाबूजी हैं।।
आलेख:©® डॉ.राकेश वशिष्ठ, वरिष्ठ पत्रकार एवं संपादकीय लेखक