एलन मस्क ट्विटर पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता चाहते हैं, लेकिन 'भाषण के बाद की स्वतंत्रता' सरकारों पर निर्भर करेगी

खुल कर और पूरे विश्वास से कुछ जमीन के ऊपर प्रत्यक्ष तौर से और कुछ अपनी कब्रों के भीतर आनंदित हो रहे हैं

Update: 2022-04-28 04:50 GMT
प्रशांत सक्सेना |
निरंकुशतावादी मुस्कुरा रहे हैं, खुल कर और पूरे विश्वास से कुछ जमीन के ऊपर प्रत्यक्ष तौर से और कुछ अपनी कब्रों के भीतर आनंदित हो रहे हैं. जैसे कि एलन मस्क (Elon Musk) ('स्वतंत्र भाषण एक कार्यशील लोकतंत्र का आधार है') और युगांडा के तानाशाह इदी अमीन ('भाषण की स्वतंत्रता है, लेकिन मैं भाषण के बाद की स्वतंत्रता की गारंटी नहीं दे सकता'). खुद अपने मुंह से मुक्त अभिव्यक्ति की बात करने वाले एलन मस्क के पास नकदी का पहाड़ है और इसमें कोई संदेह नहीं है. 44 बिलियन डॉलर में उन्होंने ट्विटर (Twitter) को खरीद लिया है यह इतनी बड़ी राशि है जो उन्हें द्वीप राष्ट्र श्रीलंका (Sri Lanka) के कुल ऋण को चुकता कर पूरे देश को खरीदने की क्षमता रखती है.
अभिव्यक्ति की बिक्री हो रही है; स्वतंत्रता खतरे में नहीं है. अविश्वसनीय रूप से इनकी उपलब्धता असीमित है, बशर्ते आपके पास लागत वहन करने की क्षमता हो. सबसे पहले, लागत वाले हिस्से पर चर्चा. अगस्त 2018 में मस्क ने ट्वीट किया कि उनके पास इतना फंड मौजूद है कि 420 डॉलर प्रति शेयर के दर पर वे पब्लिक कंपनी टेस्ला को प्राइवेट कर दें. लेकिन अमेरिकी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) ने जांच के बाद निष्कर्ष निकाला कि वास्तव में ट्वीट का कोई आधार नहीं है और इससे निवेशकों को चोट पहुंचा है. मस्क और टेस्ला पर अलग-अलग 20 मिलियन डॉलर का जुर्माना ठोंक दिया गया.
मस्क के ट्विटर अकाउंट पर 84 मिलियन फॉलोअर्स हैं
इस दंड ने "उन सभी लोगों के लिए चेतावनी का काम किया जो अपने शब्दों की सटीकता या प्रभाव की परवाह किए बगैर कोई सार्वजनिक घोषणा करते हैं (मस्क ने कहा कि यह मजाक इसी के योग्य था)." उस 2018 के समझौते के हिस्से में एक खंड यह भी शामिल था कि मस्क के पास कानूनी सलाहकार होंगे जो टेस्ला के बारे में अग्रिम रूप से उनकी हर ट्वीट्स को मंजूरी देंगे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनमें बाजार को प्रभावित करने वाली खबरें शामिल नहीं हों. आश्चर्यजनक रूप से मस्क ने उन शर्तों का पालन नहीं किया. 2020 में मस्क के एक ट्वीट से कि "टेस्ला स्टॉक की कीमत बहुत अधिक है", शेयर बाजार में टेस्ला की कीमत 14 बिलियन डॉलर घट गई.
मस्क के ट्विटर अकाउंट पर 84 मिलियन फॉलोअर्स हैं – जिनके साथ वह अपनी इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी टेस्ला से संबंधित जानकारी और मीम साझा करते हैं और अधिकांश ट्विटर उपयोगकर्ताओं की तरह उनके अकाउंट में उनके जीवन पर एक छोटी सी टिप्पणी भी होती है. अपने ऑनलाइन गतिविधि के लिए उन्हें बड़ी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा है और कुछ मामलों में तो कानूनी कार्रवाई भी हुई है. "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक कामकाजी लोकतंत्र का आधार है और ट्वीटर वह डिजिटल टाउन स्क्वायर है जहां मानवता के भविष्य को लेकर महत्वपूर्ण मामलों पर बहस होती है." ट्विटर के एक बयान में एलन मस्क ने कहा. "मैं नई सुविधाओं के साथ ट्विटर को पहले से भी बेहतर बनाना चाहता हूं. इसके एल्गोरिदम ऐसे होंगे जिससे लोगों का इसमें विश्वास बढ़ेगा. इसमें मैसेज छुपाने के लिए स्पैम बॉट्स नहीं होंगे और ये सभी मनुष्यों को ऑथेंटिकेट करेगा."
शुरुआत करने के लिए, ट्विटर इस्तेमाल करने वाले कई साल से इसमें एक एडिट बटन के लिए संघर्ष कर रहे हैं. मस्क ने अपने लाखों फॉलोअर्स से पूछा कि क्या वे एडिट बटन चाहते हैं. ट्विटर ने बाद में इस बात की पुष्टि की कि वह एक एडिट बटन पर काम कर रहा है. कुछ यूजर्स ने इसके बाद कुछ कयास लगाए कि यह कैसा दिख सकता है. ट्विटर में एडिट बटन को लेकर एनडीटीवी ने एक दिलचस्प उदाहरण पेश किया. "जैसे कि मैं एक बिल्ली प्रेमी होने के नाते ट्वीट करने का फैसला करता हूं कि "मुझे बिल्लियों से प्यार है!" फिर आप भी एक बिल्ली प्रेमी होने के नाते (आप क्यों नहीं होंगे) मेरे ट्वीट को कोट करने का निर्णय लेते हैं, "मैं भी करता हूं!" (याद रखें तब ट्विटर कितना मासूम हुआ करता था?) अब, अगर मैं अपने मूल ट्वीट को "आई लव डॉग्स" घोषित करने के लिए संपादित करूं तो क्या होगा? अब आपको कुत्ते-प्रेमी के रूप में गलत तरीके से प्रस्तुत किया जाता है और जब आपके बिल्ली-प्रेमी मित्र इसे देखेंगे (जो वे तब करेंगे जब मैं आपके ट्वीट का उन सभी का उल्लेख करते हुए जवाब दूंगा) तब वे आपको खुद से अलग कर देंगे.
मोदी सरकार सख्त सोशल मीडिया मानदंड लागू करने के लिए तैयार है
मस्क को भारत के आईटी नियमों के नए सेट और सोशल मीडिया को भारत विरोधी प्रचार से दूर रखने के सरकार के कदम पर फिर से विचार करना चाहिए. हमारी सरकार झूठी खबरें फैलाने वाले ऑनलाइन वीडियो-शेयरिंग और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी कार्रवाई लगातार जारी रखे हुए है. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सोमवार को 16 यूट्यूब न्यूज चैनल और एक फेसबुक पेज को ब्लॉक कर दिया है. रोके गए चैनलों में से 10 भारत से और छह पाकिस्तान से संचालित होते हैं. इनकी कुल व्यूअरशिप 68 करोड़ बताई जाती है.
इस महीने की शुरुआत में मंत्रालय ने ऐसे 22 चैनलों और सोशल मीडिया हैंडल को ब्लॉक कर दिया है. मंत्रालय ने जनवरी में 35 यूट्यूब न्यूज चैनल और दो वेबसाइटों को ब्लॉक करने का निर्देश जारी किया. दिसंबर में इसने पहली बार इन्हीं प्रावधानों के तहत पाकिस्तान से संचालित 20 यूट्यूब चैनलों और दो वेबसाइटों के खिलाफ कार्रवाई की. इस साल फरवरी में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में कहा था कि मोदी सरकार सख्त सोशल मीडिया मानदंड लागू करने के लिए तैयार है और देश में संचालित सभी माइक्रो-ब्लॉगिंग साइटों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.
सोशल मीडिया के कड़े नियमों को लेकर राज्यसभा सदस्यों की सहमति की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार इस मुद्दे को हाथ में लेने के लिए तैयार है. प्रश्नकाल के दौरान मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी नेता झरना दास बैद्य को जवाब देते हुए मंत्री ने कहा, "यदि उच्च सदन की सहमति है तो हम ट्विटर और फेसबुक जैसी माइक्रो-ब्लॉगिंग साइटों के लिए और भी सख्त सोशल मीडिया नियम पेश करना चाहते हैं." फिर पिछले साल जून में ट्विटर इंडिया के एमडी मनीष माहेश्वरी को यूपी पुलिस के समन से जुड़े एक मामले में ट्रांजिट अग्रिम जमानत के लिए कर्नाटक उच्च न्यायालय का रुख करना पड़ा. एक बुजुर्ग मुस्लिम शख्स की कथित रूप से पिटाई के बाद उसका वीडियो वायरल हुआ था जिसमें यूपी पुलिस ने उन्हें 24 जून को पेश होने के लिए समन जारी किया गया था.
पुलिस ने दावा किया कि कई पत्रकारों और कांग्रेस नेताओं के ट्वीट एक झूठे संदेश पर आधारित हैं. इस ट्वीट के जरिए सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की गई. इस विवादित कॉन्टेंट को हटा पाने में असमर्थता के लिए माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म का नाम सामना आया. यह वारदात मई में गाजियाबाद जिले के एक कस्बे लोनी में हुई थी. मुख्य कार्यकारी अधिकारी पराग अग्रवाल और चेयरमैन ब्रेट टेलर ने कर्मचारियों से कहा है कि "इस समय" नौकरी में कोई कटौती नहीं होगी. मगर उन्हें यह महसूस करना चाहिए कि भारत में माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म किस ओर जा रहा है. मस्क की सोशल नेटवर्किंग साइट खरीदने की पेशकश की घोषणा के बाद से ही ट्विटर के कर्मचारी हफ्तों से अनिश्चितता की स्थिति में थे.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं.)
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