शिक्षा, अक्ल और समझ; महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ के ये तीन गुण भीतर जरूर उतारें

शिक्षित व्यक्ति अक्लमंद भी हो, यह जरूरी नहीं है

Update: 2022-03-01 08:44 GMT
पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: 
कई लोग शिक्षा, अक्ल और समझ को एक मान लेते हैं, लेकिन ये तीनों अलग-अलग चीजें हैं। शिक्षित व्यक्ति अक्लमंद भी हो, यह जरूरी नहीं है। ऐसे ही बड़े-बड़े अक्लमंद लोग समझदार भी हों, ऐसा भी नहीं होता। ये तीनों बातें एक साथ किसी में हों, इसके लिए आंतरिक भोलापन बड़ा जरूरी है। अब, यदि किसी के मन में यह सवाल उठ आए कि ऐसा कौन होगा? तो इसका उत्तर है- हमारे शंकर भगवान।
यदि आप भोलेनाथ के भक्त हैं तो उन पर न्योछावर शिवरात्रि पर संकल्प ले सकते हैं कि ये तीनों गुण हमारे भीतर भी उतरें। लंका कांड के एक प्रसंग में रामजी के कहने पर जब विभीषण ने अपने विमान से वानर-भालुओं के लिए वस्त्र-आभूषण बरसाए तो तुलसीदासजी ने शंकरजी द्वारा पार्वतीजी को कही गई बात इस प्रकार लिखी- 'उमा जोग जप दान तप नाना मख ब्रत नेम। राम कृपा नहिं करहिं तसि जसि निष्केवल प्रेम।'
शिवजी ने कहा- उमा, अनेक प्रकार के योग, जप, दान, तप, यज्ञ, व्रत और नियम करने पर भी श्रीराम वैसी कृपा नहीं करते, जैसी अपने भक्त के प्रति अनन्य प्रेम होने पर करते हैं। यहां जो अनन्य प्रेम की बात आई है, इसका सूत्र शिवजी ने दिया है भोलापन। राम कृपा का यह सरल सूत्र शंकरजी ने अपने ढंग से बताया है और यही हमारे लिए आज महाशिवरात्रि का प्रसाद है।
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