पेट्रोल पर रियायत

झारखंड सरकार अगर दोपहिया चालकों को 25 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल की रियायत देने जा रही है

Update: 2021-12-30 18:45 GMT

झारखंड सरकार अगर दोपहिया चालकों को 25 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल की रियायत देने जा रही है, तो यह फैसला न केवल ऐतिहासिक, बल्कि दूसरे राज्यों के लिए अनुकरणीय भी है। इस वर्ष पेट्रोल, डीजल के भाव में जिस तरह बढ़ोतरी हो रही थी, उसकी जरूरत सरकारों को भले हो, लेकिन इसकी निंदा भी खूब हो रही है। केंद्र सरकार और ज्यादातर राज्यों ने नंवबर की शुरुआत के बाद से ही वैट या उत्पाद शुल्क में कमी करके ग्राहकों को राहत देने की कोशिश की है। मई से लगातार हो रही वृद्धि के बाद एक समय तो ऐसा भी आया था, जब प्रति लीटर पेट्रोल पर महज उत्पाद शुल्क ही 40 रुपये के करीब और डीजल पर 30 रुपये के करीब पहुंचने लगा था। एक समय ऐसा लगने लगा था कि पेट्रोल की कीमत अब सौ रुपये से नीचे नहीं आएगी, लेकिन नवंबर में लोगों को राहत देने की कोशिश शुरू हुई। अब यदि लोगों को ज्यादा से ज्यादा राहत देने की होड़ शुरू हो जाए, तो आश्चर्य नहीं। अक्सर चर्चा होती रहती है कि गरीबों व जरूरतमंदों को ज्यादा राहत मिलनी चाहिए, पर इस दिशा में झारखंड सरकार की ताजा कोशिश एक मिसाल है।

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा किए गए एलान के बाद राज्य में मोटरसाइकिल और स्कूटर चालकों में खुशी की लहर है, और दूसरे राज्यों में भी लोगों की उम्मीदें बढ़ गई हैं। पेट्रोल की कीमत अगर एकमुश्त 25 रुपये प्रति लीटर कम होती है, तो झारखंड में पेट्रोल की कीमत करीब 74 रुपये प्रति लीटर हो जाएगी। लगभग साढे़ तीन साल पहले देश में पेट्रोल की कीमत यही थी। झारखंड में अभी पेट्रोल की कीमत दूसरे राज्यों से तुलनात्मक रूप से ज्यादा ही है। अत: स्वाभाविक ही राज्य सरकार पर कुछ दबाव भी होगा। वैसे झारखंड में दोपहिया चालकों को 26 जनवरी से यह लाभ मिलना शुरू होगा। हेमंत सोरेन की सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर यह राज्य के नागरिकों को एक तोहफा ही है, लेकिन इसे जन-जन तक पहुंचाने का काम आसान नहीं होगा।
क्या यह रियायत देने के लिए हर पेट्रोल पंप पर दोपहिया वाहनों के लिए अलग से व्यवस्था करनी पड़ेगी? बड़़े पेट्रोल पंप पर इसे लागू करना आसान होगा, लेकिन दूरदराज के इलाकों में छोटे पेट्रोल पंपों पर इसे लागू करने में मुश्किल आ सकती है। इसके अलावा क्या यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि इस रियायत का दुरुपयोग नहीं होगा? अगर इसी कीमत पर चौपहिया वाहनों में भी पिछले दरवाजे से पेट्रोल भरने लगे, तो लगाम कैसे लगेगी? पेट्रोल पंपों की ईमानदारी वैसे भी संदेहास्पद ही रही है, तो रियायत की नई व्यवस्था से पारदर्शिता और प्रभावित होगी। गरीबों या जरूरतमंदों तक मदद पहुंचाने की कोई भी कोशिश स्वागतयोग्य है, लेकिन उनके लिए दी जा रही रियायत के रिसाव को कैसे रोका जाएगा? दिलचस्प यह है कि अब बाकी राज्य भी झारखंड की नई रियायत व्यवस्था के क्रियान्वयन को देखना चाहेंगे। इस अपेक्षाकृत नए राज्य के पास एक मौका है कि इस रियायत का यथोचित व्यावहारिक ढांचा विकसित हो, ताकि ईंधन के भाव बढ़ने पर कम आय वाले लोगों पर असर न पड़े। हम यह देख पा रहे हैं कि पेट्रोल के भाव बढ़ने से देश भर में सड़कों पर साइकिलों की संख्या बढ़ रही है। अत: इस देश में ईंधन संबंधी किसी भी रियायत या सब्सिडी को सही हाथों तक पहुंचाने की व्यवस्था चाक-चौबंद होनी चाहिए।

हिन्दुस्तान।

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