बहरहाल संक्रमण के ये आंकड़े कहां तक पहुंचेंगे, इस संदर्भ में विशेषज्ञों के आकलन भिन्न हैं। आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मणीन्द्र अग्रवाल समेत कुछ विशेषज्ञों का आकलन है कि रोज़ाना संक्रमित होने वाले मामले 4-8 लाख तक जा सकते हैं। यह कोरोना की मौजूदा लहर के 'चरम' के दौरान हो सकता है। यदि आंकड़े 4.14 लाख से ज्यादा होते हैं, तो दूसरी लहर के 'चरम' को भी पार कर जाएंगे। कुछ विशेषज्ञ मान रहे हैं कि जितनी जल्दी संक्रमण बढ़ेगा, उसी अनुपात में संक्रमित मामले भी घटेंगे। जब अधिकतर लोगों में एंटीबॉडी बन जाएंगे, तो यकीनन संक्रमण बेअसर होगा। इस दृष्टि से विशेषज्ञों का आकलन है कि आगामी 8-10 दिनों में संक्रमित मामले घटने लगेंगे। एक आकलन यह है कि कड़ी पाबंदियों के कारण लहर कुछ देर से आएगी, लेकिन यह ज्यादा समय तक ठहरेगी। अधिकतर विशेषज्ञ मान रहे हैं कि लॉकडाउन कारगर साबित नहीं होगा, क्योंकि उस दौरान आर्थिक, सामाजिक और मानसिक समस्याएं बढ़ जाएंगी। आकलन यह भी है कि हमारे चिकित्सा ढांचे पर दूसरी लहर जैसा दबाव नहीं पड़ेगा। आईसीएमआर के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. समिरन पांडा का मानना है कि आगामी तीन महीनों में कोरोना संक्रमण 'समतल' की स्थिति में हो सकता है।
हालांकि फरवरी में इसके 'चरम' के बाद आंकड़े कम होने लगेंगे। सारांश यह है कि कोरोना वायरस की तीसरी लहर जारी है, संक्रमण के मामले अभी तेजी से बढ़ेंगे, मंगलवार को स्थिति और भी स्पष्ट होगी, क्योंकि सप्ताहांत के बाद सोमवार 10 जनवरी को टेस्ट अपेक्षित संख्या में किए जाएंगे। नतीजतन उसी अनुपात में संक्रमित केस भी सामने आएंगे। अभी तक के अनुभव और वायरस के लक्षणों के मद्देनजर विशेषज्ञ और चिकित्सक भी इस निष्कर्ष तक पहुंचे हैं कि ओमिक्रॉन के अधिकतर मामले लक्षणहीन हैं अथवा हल्के लक्षण हैं, लिहाजा अधिकतर लोगों का इलाज घर पर ही किया जा रहा है। हालांकि सक्रिय मरीजों की संख्या 6 लाख को पार कर चुकी है, जो 50,000 से भी नीचे लुढ़क आई थी। देश ऐसे मरीजों की संख्या 10 लाख से भी अधिक देख चुका है। बहरहाल कोरोना संक्रमण के ऐसे 'चरम' दौर में ही निर्वाचन आयोग ने 5 राज्यों-उप्र, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर-में मतदान, मतगणना का पूरा कार्यक्रम घोषित कर दिया है। इन राज्यों में आचार संहिता लागू हो चुकी है। चुनाव भी लोकतंत्र का एक महत्त्वपूर्ण पर्व हैं। आयोग ने सख्त और सकारात्मक निर्णय लिया है कि 15 जनवरी तक सभी रैलियों, जनसभाओं, रोड शो, नुक्कड़ सभाओं, बाइक-साइकिल रैली आदि पर पूर्ण पाबंदी रहेगी। हालांकि पांच प्रतिनिधि मिलकर घर-घर प्रचार कर सकेंगे। इसके अलावा रेडियो, टीवी चैनलों और सोशल मीडिया के जरिए विभिन्न दल अपना प्रचार कर सकेंगे। वर्चुअल संबोधन भी किए जा सकेंगे। यानी डिजिटल दौर में अब चुनाव प्रचार का तरीका भी ऑनलाइन होगा। इससे देश के वे मतदाता और नागरिक वंचित रह सकते हैं, जिनके पास कोई मोबाइल ही नहीं है अथवा वे डिजिटल साक्षर नहीं हैं।