चिदंबरम की ओर से कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर किसान नेताओं के पीछे कांग्रेस का हाथ
कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग से एक बार फिर यह स्पष्ट हुआ कि इसी मांग पर जोर दे रहे किसान नेताओं के पीछे कांग्रेस
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कांग्रेस नेता पी चिदंबरम की ओर से कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग से एक बार फिर यह स्पष्ट हुआ कि इसी मांग पर जोर दे रहे किसान नेताओं के पीछे कांग्रेस का ही हाथ है और वह भी अंधविरोध की राह पर चल निकले हैं। कम से कम उन्हेंं तो इन कानूनों को खत्म करने की मांग करने से बचना चाहिए था, क्योंकि वह कांग्रेस की उस समिति के अध्यक्ष थे, जिसने 2019 के लोकसभा चुनावों का घोषणा पत्र तैयार किया था और जिसमें यह लिखा था कि कांग्रेस कृषि उपज मंडी समितियों के अधिनियम में संशोधन करेगी, ताकि कृषि उपज के निर्यात और अंतरराज्यीय व्यापार में लगे सभी प्रतिबंध समाप्त हो जाएं। इसी घोषणा पत्र में यह भी दर्ज था कि बड़े गांवों और छोटे कस्बों में आवश्यक बुनियादी ढांचे के साथ ऐसे किसान बाजार स्थापित किए जाएंगे, जहां किसान अपनी उपज बेच सकें। एक अन्य बिंदु यह भी था कि आवश्यक वस्तु अधिनियम को बदलकर आज की आवश्यकताओं के अनुरूप नया कानून बनाया जाएगा। मोदी सरकार ने तीन कृषि कानूनों के माध्यम से यही सब किया है।