जलवायु की चुनौतियां

अमेरिका की अपनी तरह की पहली नैशनल इंटेलिजेंस इस्टीमेट रिपोर्ट में भारत को पाकिस्तान और अफगानिस्तान समेत उन 11 देशों में शामिल किया गया है, जो जलवायु परिवर्तन के लिहाज से चिंताजनक श्रेणी में माने गए हैं।

Update: 2021-10-27 02:03 GMT

अमेरिका की अपनी तरह की पहली नैशनल इंटेलिजेंस इस्टीमेट रिपोर्ट में भारत को पाकिस्तान और अफगानिस्तान समेत उन 11 देशों में शामिल किया गया है, जो जलवायु परिवर्तन के लिहाज से चिंताजनक श्रेणी में माने गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, ये ऐसे देश हैं, जो जलवायु परिवर्तन के कारण सामने आने वाली पर्यावरणीय और सामाजिक चुनौतियों से निपटने की क्षमता के लिहाज से खासे कमजोर हैं। संयोग कहिए कि यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है, जब उत्तराखंड में लगातार बारिश के चलते बाढ़ और भूस्खलन के रूप में आई त्रासदी ने पूरे देश को सकते में डाल रखा है। जाहिर है, हमें इन चुनौतियों के मद्देनजर अपनी तैयारियों पर ज्यादा ध्यान देना होगा। वैश्विक संदर्भ में देखें तो रिपोर्ट की टाइमिंग इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि इसी महीने के आखिर में ग्लासगो में कॉप 26 क्लाइमेट चेंज कॉन्फ्रेंस शुरू होने वाली है।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि आने वाले समय में ग्लोबल टेंपरेचर की दशा तय करने में चीन और भारत की अहम भूमिका रहने वाली है। आखिर चीन दुनिया का सबसे बड़ा उत्सर्जक देश है। भारत भले चौथे नंबर पर है, लेकिन चीन के साथ जुड़ इसलिए जाता है क्योंकि इन दोनों ही देशों में उत्सर्जन की मात्रा साल-दर-साल बढ़ रही है। दूसरे और तीसरे स्थान पर मौजूद अमेरिका और यूरोपियन यूनियन (ईयू) अपना उत्सर्जन कम करते जा रहे हैं। हालांकि यह भी कोई छुपा तथ्य नहीं है कि भारत जैसे देशों के लिए उत्सर्जन कम करना आसान नहीं है। इसके लिए जिम्मेदार सबसे बड़ा कारक कोयले का बहुतायत में इस्तेमाल है, जिसे रातोरात कम करना संभव नहीं। एक तो इसके सारे विकल्प अपेक्षाकृत महंगे पड़ते हैं और दूसरी बात यह कि आज भी यह सेक्टर बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार दिए हुए है। ऐसे में कोई भी बदलाव धीरे-धीरे ही किया जा सकता है। इसके अलावा इन बदलावों के आर्थिक पहलू की भी अनदेखी नहीं की जा सकती।


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