सेना में सेनाध्यक्ष

भारत जनसंख्या के हिसाब से विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मुल्क है और करीब संसार की 18 फीसदी आबादी भारत में रहती है

Update: 2021-12-24 19:07 GMT

भारत जनसंख्या के हिसाब से विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मुल्क है और करीब संसार की 18 फीसदी आबादी भारत में रहती है। उससे यह जाहिर है कि दुनिया का हर छठा व्यक्ति भारतीय है। ताज़ा सर्वे की रिपोर्टों से पता चल रहा है कि भारत में महिलाओं की संख्या 48 फीसदी से ज्यादा है जो लगभग पुरुषों के बराबर है। इसके परिणाम अब भारतीय राजनीति में भी दिखने लगे हैं, जब राजनीतिक पार्टियों की घोषणाएं महिलाओं पर केंद्रित हो रही हैं, जैसे महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा, उनके खाते में हर महीने 5000 रुपए, महिलाओं के विवाह की उम्र पर चर्चा, लड़की हूं, लड़ सकती हूं। इन सब घोषणाओं के महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ राजनीतिक मायने भी हैं। इन घोषणाओं के जरिए हर राजनीतिक पार्टी की नज़र देश की आधी आबादी पर है क्योंकि अगर राजनीति के इतिहास और नेताओं के चरित्र का ढंग से आकलन किया जाए तो इतिहास गवाह है कि राजनेताओं द्वारा की गई ज्यादातर घोषणाएं चुनाव जीतने और सत्ता में बने रहने का एक जरिया हैं।

वैसे तो यह माना जाता है कि राजनीति एक जन सेवा है, पर यह भी सत्य है कि कारगर ढंग से जनसेवा के लिए सत्ता में रहना भी जरूरी है, बिना सत्ता के जनसेवा मात्र लेखों, किताबों और प्रार्थना पत्रों तक ही सीमित रह जाती है। दूसरा चाहे जनसेवा हो या देश की तरक्की के लिए बनाए जाने वाली पॉलिसीज़, इस सब के लिए सत्ता में होना तो जरूरी है ही, पर यह तभी संभव है जब हमारा देश बाहरी और आंतरिक सुरक्षा में सशक्त हो और इसकी जिम्मेदारी देश की सेना पर होती है। भारतीय सेना को इस काम के लिए सुदृढ़ और परिपक्व बनाने के लिए हर वर्ष सैनिकों की भर्तियां की जाती हैं, हर साल स्कूल और कॉलेज से निकलने वाले करोड़ों युवाओं में से कुछेक सेना के मापदंडों पर उत्तीर्ण होने के बाद ट्रेनिंग एकेडमी में पहुंचते हैं और योग्यता अनुसार अधिकारी एवं सिपाही बनकर सेना का हिस्सा बनते हैं।
सेवा के दौरान अपनी काबिलियत के हिसाब से प्रमोशन पाते हैं। एक सिपाही 28 से 30 साल की उत्कृष्ट सेवा के बाद सूबेदार मेजर बनता है, जो एक सिपाही का सबसे ऊंचा पद है, जबकि एक अधिकारी 35 से 37 साल की सेवा के बाद जनरल बनता है, जो सेनाध्यक्ष होता है। उससे भी ऊपर सीडीएस सेना के तीनों अंगों जल, थल एवं वायु के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए नई पोस्ट बनाई गई है, जिसमें तीनों सेनाओं में से सीनियर मोस्ट सेनाध्यक्ष को नियुक्त किया जाता है और वह थे जनरल बिपिन रावत। इतना अनुभव और योग्यता और हमने उनको एक हैलिकॉप्टर क्रैश में खो दिया। क्या यह हम अफोर्ड कर सकते हैं? जनरल साहब युद्ध क्षेत्र में सेना की अगुवाई करते हुए शहीद नहीं हुए, बल्कि हमने उनको शांतिकाल में ऐसे खोया जब वह सेना के ही हैलिकॉप्टर में जिसे एक सैनिक उड़ा रहा था और एक ऐसे क्षेत्र में जिसका आतंकवाद से कोई लेना-देना नहीं। ऐसा कैसे हुआ? आज के हालात में जब हमारे पड़ोसी सीमाओं पर हर दिन नया पंगा कर रहे हैं, विश्व की बड़ी ताकतें हमें एक बड़े बाजार की तरह देख रही हैं, जब सुरक्षा के हिसाब से हमें ज्यादा सतर्क और सशक्त होने की आवश्यकता है, सेनाध्यक्ष को यूं खोना दुःखदायी एवं चिंतनीय है।
कर्नल (रि.) मनीष धीमान
स्वतंत्र लेखक
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