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विज्ञान
चीन के लैब में खतरनाक प्रयोग, वैज्ञानिकों ने बनाया दुर्लभ यूरेनियम-214
Apurva Srivastav
22 April 2021 2:50 PM GMT
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दुनिया भर में कोरोना वायरस से संक्रमण फैलाने और लाखों लोगों को मौत के मुंह में ढ़केलने वाला चीन एक बार फिर किसी बड़ी साजिश में जुटा है
दुनिया भर में कोरोना वायरस (Coronavirus) से संक्रमण फैलाने और लाखों लोगों को मौत के मुंह में ढ़केलने वाला चीन (China) एक बार फिर किसी बड़ी साजिश में जुटा है. चीन (China) के वैज्ञानिकों (Scientists) ने अब एक ऐसा यूरेनियम (Uranium) बनाया है, जो दुर्लभ है. इस यूरेनियम का नाम है Uranium-214. ये नए तरह का यूरेनियम (Uranium) अब तक का दुनिया का सबसे हल्का परमाणु स्रोत है.
चीन के लैब में खतरनाक प्रयोग
चीन के लैब में पहले भी कई खतरनाक प्रयोग किए जा चुके हैं. और सबसे खास बात है कि चीन के वैज्ञानिकों ने पूरी दुनिया से छुप कर ये यूरेनियम बनाया है. यह काम दुनिया से छिपाकर किया है और इसके उपयोग के बारे में भी अब तक कोई जानकारी नहीं दी है. प्राकृतिक यूरेनियम Uranium-238 की अपेक्षा ये यूरेनियम बिल्कुल अलग और नया है.
चीन ने बनाया नया हथियार?
अब आपको बताते हैं प्राकृतिक यूरेनियम और इस नए यूरेनियम में क्या अंतर है. प्राकृतिक यूरेनियम-238 में 146 न्यूट्रॉन्स होते हैं, जबकि चीन के वैज्ञानिकों द्वारा बनाए गए इस यूरेनियम-214 में बीएस 122 न्यूट्रॉन्स हैं. आपको बता दें कि किसी एलिमेंट के आइसोटोप्स में प्रोटॉन्स की संख्या हमेशा बराबर होती है. यूरेनियम में भी ये 92 कॉन्स्टेंट होते हैं. लेकिन इसमें न्यूट्रॉन्स की संख्या कई बार बदलती रहती है.
दुर्लभ यूरेनियम-214
चाइनीज एकेडेमी ऑफ साइंसेस (Chinese Academy of Sciences) के साइंटिस्ट झियुआन झांग और उनकी टीम ने ये नया और दुर्लभ यूरेनियम-214 बनाया है. इसके लिए झियुआन झांग ने टंगस्टन के सैंपल पर ब्लास्टिंग किया. इस तत्व पर आर्गन और कैल्शियम की बीम भी छोड़ी गई. दोनों के एटम को फ्यूज्ड कराने के बाद, यूरेनियम-214 के कणों को उसमें डाला गया. इस तरह से इस यूरेनियम को सेपरेटर में डाल कर नया यूरेनियम सफलता पूर्वक बनाया गया.
संदेह में चीनी यूरेनियम
झियुआन झांग के अनुसार, इस तरह से एटम का उत्पादन करना बहुत मुश्किल है. यह जरूरी नहीं कि हर कोलिजन मन मुताबिक परिणाम दे. चीनी वैज्ञानिको द्वारा बनाए गए इस यूरेनियम-214 का रेडियोएक्टिविटी खत्म होने का समय मात्र 0.52 मिलीसेकेंड हैं. जबकि यूरेनियम-216 और यूरेनियम-218 का 2.25 मिलीसेकेंड और 0.65 सेकेंड है. इससे इस तत्व के बनाए जाने पर संदेह जरूर उठता है.
चीनी लैब में फिर साजिश!
झांग ने इस तत्व के बारे में थोड़ी जानकारी देते हुए बताया कि यूरेनियम-214 और यूरेनियम-216 की रेडियोएक्टिविटी खत्म होने को अल्फा डिके कहते हैं. इसमें एक बार में दो प्रोटॉन्स और दो न्यूट्रॉन्स खत्म होते हैं. इससे यह साफ होता है कि इन दोनों यूरेनियम में प्रोटोन्स और न्यूट्रॉन्स के बीच स्ट्रांग बॉन्डिंग है. इस तरह से चीनी लैब में नए तरह के यूरेनियम को बनाया गया.
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