लाइफ स्टाइल

तरबूज़ और उसके बीज दोनों है सेहत के लिए फ़ायदेमंद

Kiran
8 July 2023 3:56 PM GMT
तरबूज़ और उसके बीज दोनों है सेहत के लिए फ़ायदेमंद
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तरबूज़ को गर्मियों के मौसम के लिए अगर एक वरदान कहा जाए तो ग़लत नहीं होगा. तरबूज़ के पल्प के साथ इसके बीज के भी अनेकों फ़ायदे हैं, जिन्हें आप अनजाने फेंक देते हैं. बीज का चाय व स्नैक्स के रूप में इस्तेमाल कर आप अपनी सेहत में सुधार कर सकते हैं. तरबूज़ खाने से हमें कई सारे स्वास्थ्य संबंधी फ़ायदों के साथ तपती और चिलचिलाती गर्मी से भी राहत मिलती है. इसमें बीटा कैरोटिन के साथ-साथ ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फ़ॉस्फ़ोरस और पोटैशियम भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. जिस तरह हम वज़न कम करने से लेकर शरीर को हाइड्रेट करने तक के लिए तरबूज़ को अपनी डायट में शामिल करते हैं, उसी तरह इसके बीज को भी शामिल करना चाहिए. बीज में भी भरपूर मात्रा में ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स और आयरन होता है जो हमारे शरीर, मांसपेशियों और त्वचा के लिए फ़ायदेमंद हैं. इसे प्राकृतिक वायग्रा भी कहा जाता है. तरबूज़ में एल-सिट्रीलीन नामक एमिनो एसिड होता है जो ब्लड सर्कुलेशन को कम करता है, जिससे सेक्स की अवधि बढ़ती है. हालांकि अधिक तरबूज़ खाने के अपने नुक़सान भी हैं.
तरबूज़ डायट प्लैन
आजकल बाज़ार में तरबूज़ डायट प्लैन ख़ूब चलन में है. सुबह से शाम तक तरबूज़ खाकर डीटॉक्स करने के बारे में हमने जब डायटीशियन अनिता लांबा से पूछा तो वे कहती हैं,“डायट में सिर्फ़ तरबूज़ खाना ठीक नहीं है. आपको उसके साथ बाक़ी पोषण लेना भी ज़रूरी है. अगर कोई वज़न कम करने के लिए इसे अपनी डायट में शामिल करना चाहता हो, तो वह रोज़ाना 500 ग्राम तरबूज़ ले सकता है. लेकिन सिर्फ़ तरबूज़ लेना सही नहीं है.” सामान्य व्यक्ति जिन्हें कोई स्वास्थ्य संबंधी परेशानी नहीं है तो वह 200-300 ग्राम ले सकता है. इसके अलावा सुबह के नाश्ते में टोस्ट के साथ एक कटोरी दलिया या पनीर का टुकड़ा खाया जा सकता है. लंच में तरबूज़ के 2-3 स्लाइस और लंच में सलाद, उबला हुआ चिकन या मछली खाएं. डिनर में सिर्फ़ तरबूज़ खाया जा सकता है, लेकिन अधिक मात्रा में नहीं खाना चाहिए.
वज़न घटाने का साथी
यह डायट ज़्यादातर पांच दिनों के लिए ही सुझाई जाती है. इन गर्मियों में जिन लोगों ने तेज़ी से अपना वज़न कम करने का लक्ष्य रखा है, उन्हें अपनी डायट में आज से ही तरबूज़ शामिल कर लेना चाहिए. यह बॉडी को डीटॉक्स करके टॉक्सिन्स को शरीर से बाहर निकाल देता है. लेकिन इसे अपनी डायट में शामिल करते समय इसके अनुपात का ध्यान रखें कि आप दिन में कितना तरबूज़ खा रहे हैं. तरबूज़ में 92 प्रतिशत पानी, 6 प्रतिशत शक्कर और 2 ग्राम फ़ाइबर होता है. जब हम इसे चबाकर खाते हैं, तो इसमें मौजूद फ़ाइबर अधिक समय तक हमें पेट भरे होने का एहसास देता है.
क्या कहता है शोध?
जरनल ऑफ़ अफ्रिकन फ़ूड ऐंड केमिस्ट्री के द्वारा किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि तरबूज़ खाना गले की मांसपेशियों के लिए फ़ायदेमंद है. हालांकि वज़न कम करने लिए तरबूज़ डायट का पालन कर रहे हों तो उस समय आपको भारी कसरत नहीं करनी चाहिए. यदि आप हल्की-फुल्की एक्सरसाइज़ कर रहे हैं, तो तरबूज़ डायट मांसपेशियों के दर्द से राहत दिलाएगी.
तरबूज़ बीज के फ़ायदे
तरबूज़ के साथ-साथ उसके बीज भी सेहत के लिए काफ़ी फ़ायदेमंद होते हैं. आप इन्हें अपनी डायट में चाय (तरबूज़ के बीज को उबालकर चाय बनाया जा सकता है) के रूप में भी शामिल कर सकते हैं. इसमें मौजूद डायट्री फ़ाइबर पाचन प्रक्रिया को ठीक रखने में मदद करता है और पेट संबंधी समस्याओं में लाभकारी होता है.
पीलिया में तरबूज़ के बीज का सेवन फ़ायदेमंद होता है. यह अन्य तरह के संक्रमण से भी बचाए रखता है.
इसमें भरपूर मात्रा में ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स होते हैं, जो त्वचा को कसा हुआ और ख़ूबसूरत दिखाने के लिए फ़ायदेमंद होते हैं. डिप्रेशन में भी इससे फ़ायदा मिलता है.
तरबूज़ के बीज से बननेवाली चाय के सेवन से किडनी की समस्याओं से भी बचा जा सकता है. यह किडनी स्टोन में भी लाभकारी है.
तरबूज़ में मौजूद लोइकोपीन कैंसर के रोकथाम में भी सहायक होता है.
तरबूज़ के नुक़सान
अनिता लांबा के अनुसार हर सिक्के के दो पहलू होते हैं और तरबूज़ के साथ भी ऐसा ही है. अगर तरबूज़ सही मात्रा में नहीं लिया जाए तो इसके अपने नुक़सान हैं. अगर कोई व्यक्ति किडनी की समस्या से परेशान है, तो उसे बहुत ही कम मात्रा में तरबूज़ लेना चाहिए, क्योंकि तरबूज़ में पानी की मात्रा अधिक होती है, अगर किडनी शरीर से पानी को बाहर नहीं निकाल पाएगी तो वाटर रिटेंशन की समस्या हो सकती है. डायबिटीज़ के मरीजों को भी तरबूज़ कम खाना चाहिए, क्योंकि इसमें मौजूद शर्करा ब्लड शुगर को बढ़ाता है. गर्भवती महिलाओं को भी इसे कम मात्रा में लेना चाहिए. ब्लडप्रेशर के मरीज़ों को भी इसे ज़्यादा नहीं खाना चाहिए, क्योंकि इसमें मौजूद पोटैशियम रक्तचाप को कम करके हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ा सकता है.
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