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दक्षिण भारत के विभिन्न व्यंजनों में प्रमुखता से इस्तेमाल होने वाली टर्की बेरी यानी सुंडक्काई कई मायनों में सेहत के लिए फ़ायदेमंद है, ख़ासकर महिलाओं के लिए. लेकिन अब इसका इस्तेमाल बहुत ही कम या फिर किया ही नहीं जा रहा है. गर्म और उमस वाली जगह पर उगाई जाने वाली टर्की बेरी, स्वाद में कड़वी होती है और बारहमास मतलब पूरे साल पेड़ पर लगी रहती है.
हीमोग्लोबिन की कमी से परेशान लोगों के लिए टर्की बेरी का सेवन वरदान साबित हो सकता है, क्योंकि इसमें लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण की क्षमता होती है, जो अनीमिया और रक्त से जुड़ी अन्य समस्याओं को रोकने में मदद करती है. इसका सेवन पाचन क्रिया के लिए फ़ायदेमंद है और अपच के कारण दस्त, एसिडिटी और पेटदर्द की समस्याओं से भी आराम दिलाता है. स्वाद में कड़वी होने के कारण टर्की बेरी डायबिटीज़ को कंट्रोल करती है और टाइप -2 डायबिटीज़ की शुरुआत को भी रोकती है. इसमें इम्यून सिस्टम को बढ़ाने की भी क्षमता होती है, जो सर्दी, खांसी, और बुख़ार जैसी सामान्य बीमारियों से बचाने का काम करता है. इसके अलावा इसे खाने से ब्लड प्रेशर संतुलित करने में, हृदय संबंधित रोगों से बचाव और किडनी फ़ंक़्शन को सही रखने में भी मदद मिलती है.
टर्की बेरी का सेवन महिलाओं को पीरियड के दौरान होनेवाली परेशानियों से बचाने में कारगर साबित होती है. यह गर्भवती महिलाओं के लिए भी फ़ायदेमंद है. मेटबॉलिज़्म को ठीक रखने और कई तरह के कैंसर को रोकने में भी टर्की बेरी मदद करती है. इसमें प्राकृतिक रूप से ऐंटी-बैक्टीरियल गुण भी पाए जाते हैं.
खाने का तरीक़ा
टर्की बेरी को कई तरह के फ़ूड्स के साथ पकाया जाता है, लेकिन इसकी कढ़ी सबसे अधिक लोकप्रिय है और यह हल्दी और करी पत्ते के साथ पकाई जाती है.
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