लाइफ स्टाइल

Life Style : रोज की भागदौड़ से थक गया है शरीर के साथ ही दिमाग

Kavita2
7 July 2024 7:03 AM GMT
Life Style : रोज की भागदौड़ से थक गया है शरीर के साथ ही दिमाग
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Life Style लाइफ स्टाइल : आजकल चिंता और तनाव के कारण जीवनशैली सुस्त-सी होती जा रही है और दिमाग भी अपनी पूर्ण क्षमता के अनुसार काम नहीं कर पाता है। अनावश्यक सोशल मीडिया स्क्रॉलिंग, तुलनात्मक जीवन और नेचर से दूरी दिमाग को और भी कुंठित करती जा रही है। यहीं से शुरू कई सारी शारीरिक और मानसिक समस्याओं की शुरुआत होती हैं। थकान और आलस के साथ मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है और फिर जल्दी ही इसका असर शारीरिक स्वास्थ्य पर भी दिखना शुरू हो जाता है। इसलिए अपनाएं ये रोज की ऐसी आदतें जिससे आपका दिमाग तेज और सक्रिय रहेगा-हेल्दी न्यूट्रिशन
स्वस्थ शरीर ही स्वस्थ दिमाग की नींव है। इसलिए अपने खानपान को जितना हो सके उतना हेल्दी रखें। मेडिटेरेनियन डाइट जैसी डाइट फॉलो करें या फिर कम शब्दों में तेज मसाला और तेल से दूरी बनाएं, कैफीन और शराब से परहेज करें और साथ ही फल, सब्जी और नट्स का अधिक से अधिक सेवन करें।
फिजिकल एक्सरसाइज Physical Exercise
एक दिन में कम से कम एक घंटे के लिए किसी सक्रिय शारीरिक गतिविधि में शामिल हों। वर्कआउट, स्विमिंग, रनिंग, जॉगिंग, डांसिंग आदि किसी भी प्रकार से शरीर को मूव कराएं, इससे दिमाग बहुत सक्रिय रहेगा और शरीर भी स्वस्थ बना रहता है।
स्ट्रेस मैनेज करना Managing stress
योग या ध्यान से अपने स्ट्रेस पर काबू पाने की कोशिश करें। जर्नल करें, किसी की मदद लें या फिर साइकेट्रिस्ट से काउंसलिंग कराएं, लेकिन अपने स्ट्रेस को अपने लेवल पर मैनेज करें, जिससे दिमाग शांत हो कर सकारात्मक ऊर्जा से रिचार्ज हो सके।
आराम करें
जॉब, घर, बच्चे, जिम्मेदारी के बीच दिमाग कभी भी सोचना बंद नहीं करता है। ऐसे में सभी काम से कम से कम एक घंटे के लिए ब्रेक ले, एक अच्छा पावर नैप लें या फिर सुकून से नेचर के बीच बैठ कर मन शांत करें। बागवानी करें या फिर शांति से एक कप चाय पिएं। ये छोटी-छोटी बातें आपके दिमाग को पूरा रेस्ट देती हैं। इससे दिमाग को आराम मिलता है और ये और भी सक्रिय होता है। रात में 8 घंटे की नींद जरूर लें।
हेल्थ कंडीशन को मैनेज करें
अगर बीपी या शुगर के मरीज हैं, तो इस स्थिति में अपने खानपान और जीवनशैली को इसी अनुसार ढालें, जिससे ये बीमारियां बढ़ने न पाएं और आपके दिमाग पर मरीज होने का बोझ न बढ़ाएं।
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