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गर्भावस्था में अच्छे और सही आहार का खाना बहुत ज़रूरी होता है, क्योंकि आप केवल ख़ुद को नहीं, बल्कि अपने अंदर पल रहे शिशु का भी पोषण कर रहे होते हैं. हमने डायटीशियन्स से बात करके यह पता लगाने की कोशिश की कि प्रेग्नेंसी के दौरान क्या खाना और न खाना सही रहेगा.
मौसम के अनुसार खाएं
आजकल हर मौसम में हर चीज़ बाज़ार में उपलब्ध होने से हज़ारों लोग यह जानकारी खो चुके हैं कि मौसम के अनुसार क्या खाना और क्या खाने से बचना चाहिए. याद रखें, आपको सारी चीज़ें सालभर इसलिए मिलती हैं, क्योंकि उन्हें किसी बड़े कोल्ड स्टोरेज में ठंडा रखा जाता है. तो मॉल से छोटे बाज़ार का रुख़ करें और उन चीज़ों को लें जिन का मौसम है. आजकल फल और सब्ज़ियां केमिकल से उगाई और पकाई जा रही हैं, ऐसे में उनको खाते वक़्त अतिरिक्त सावधानी रखनी ही चाहिए. फलों को या तो रातभर भिगोने के बाद खाएं या गरम पानी से अच्छी तरह धोकर. मोबाइल से जितना हो सके दूरी बनाकर रखें.
एक समय के मुख्य आहार में अचार या चटनी शामिल करें
भले ही इन्हें हमें विटामिन बी 12 के स्रोत के रूप में न बताया गया हो, लेकिन वास्तव में आवश्यक चिकनाई से भरे ये अतिरिक्त व्यंजन पाचन में, और बी 12 बनाने में भी हमारी मदद करते हैं. आप अपने स्वाद और क्षेत्र के मुताबिक़ मूंगफली, तिल, नारियल की चटनी से लेकर आम, मिर्च, मशरूम के अचारों में से चुन सकती हैं. ये व्यंजन शरीर को वसा, हर्ब्स और मसालों की वह आवश्यक खुराक तो प्रदान करते ही हैं, उन्हें हमारी इंसुलिन की प्रतिक्रिया को सुधारने में भी बड़ी महारत हासिल होती है.
घर में जमाया दही है वरदान
पेट के लिए अनुकूल विभिन्न बैक्टीरिया से लेकर आवश्यक एमिनो एसिड्स और विटामिन बी तक, दही ऐसा चमत्कारिक खाना है जिसे चूकना आप अफ़ोर्ड नहीं कर सकतीं. घर में जमाया गया दही पहली तिमाही में एसिडिटी को भी नियंत्रित रखता है. इसलिए रोज़ाना खाने के साथ एक कटोरी दही लें.
ज़रूरी है संतुलन
आरडीआई (रिकमंडेड डायट्री इनटेक) के मुताबिक़,“किसी भी महिला का वज़न प्रेग्नेंसी के दौरान 12-13 किलो नॉर्मली बढ़ना चाहिए. एक नॉर्मल वज़न वाली स्वस्थ महिला को प्रेग्नेंसी के पहले तीन महीने में हर दिन 1,900 कैलोरी लेनी चाहिए. उसके बाद के तीन महीने में 300 कैलोरी (2,200 कैलोरी) बढ़ा देनी चाहिए और उसके बाद के तीन महीने में यह मात्रा 2,500 तक हो जानी चाहिए, क्योंकि भीतर बच्चे का विकास हो रहा है.” याद रखें कि-स्वस्थ बच्चे के लिए संतुलित आहार की ज़रूरत है न कि ताबड़तोड़ आहार की. गर्भावस्था में विटामिन सी का सेवन फ़ायदेमंद होता है. कम मसाले वाला आहार लें. जंक फ़ूड और बाहर का खाना कम से कम खाएं. जूस के बजाय फलों और मेवों को प्राथमिकता दें. कैल्शियम, विटामिन, खनिज, विशेष रूप से फ़ॉलिक एसिड और आयरन युक्त भोजन लें. ब्लड प्रेशर की समस्या हो तो नमक पर नियंत्रण रखें और शुगर लेवल हाई हो तो मीठे फल और दूसरी शर्करा युक्त चीज़ें न खाएं, इससे बच्चे को भी शुगर का ख़तरा हो सकता है. आजकल बच्चे जन्म से ही शुगर प्रॉब्लम लेकर पैदा हो रहे हैं. उसकी वजह प्रेग्नेंसी के समय मां के खानपान कि गड़बड़ी ही है.
पैकेट बंद उत्पादों का प्रयोग कम करें
ऐसी कोई चीज़ न खाएं जिसके पैकेट पर पोषक तत्वों का लेबल लगा हो. चाहे वे सीरियल्स हों, दूध हो या बिस्किट हों, पैकेज्ड आहार आपके लिए नहीं हैं. ख़ासकर लो-फ़ैट दही, चीज़, या आइस क्रीम. अगर आप इसीलिए इन्हें ख़रीदती हैं तो जान लें कि आप ऐसे जाल में फंस गई हैं जो आपके स्वास्थ्य और जेब दोनों पर भारी पड़ रहा है.
आप ऐसा आहार लें, जो...
• पकाने और पचाने में आसान हों.
• पानी की कमी पूरी करें और प्राकृतिक ऐंटीसिड का काम करें.
• आसानी से जज़्ब होने वाला एमिनो एसिड प्रदान करें.
• आयरन, फ़ॉलिक एसिड, कैल्शियम जैसे माइक्रो न्यूट्रिएंट से भरपूर हों.
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