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सफ़ेद चॉकलेट के बारे में तो आपने सुना ही होगा, पर क्या सफ़ेद चाय यानी वाइट टी के बारे में कुछ सुना है? अगर हां तो, बहुत अच्छी बात है और नहीं, तो हम आपको इसके बारे में बताते हैं. इस चाय को कैमेलिया नामक पौधों की कलियों में पाए जानेवाले सिल्वर स्ट्रिंग्ज़ से तैयार किया जाता है. सिल्वर स्ट्रिंग्ज़ सूखने के बाद सफ़ेद हो जाते हैं और उसी से वाइट टी तैयार की जाती है. वैसे तो, दुनियाभर में इसकी कई क़िस्में पाई जाती हैं, लेकिन सिल्वर नीडल और वाइट पोनी क़िस्म सबसे ज़्यादा फ़ेसम है. इसमें टैनीन, फ़्लोराइड्स, पॉलिफ़िनाइल्स और फ़्लेवोनॉइड्स जैसे कई और ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स पाए जाते हैं, जो हमें सेहतमंद बनाने का काम करते हैं.
वाइट टी के फ़ायदे
ग्रीन व ब्लैक टी के अलावा अन्य दूसरी क़िस्म की चाय के मुक़ाबले कम प्रॉसेस्ड होने के कारण वाइट टी में कैफ़ीन की मात्रा काफ़ी कम पाई जाती है, इसलिए आप इसे दिनभर में दो से तीन कप तक पी सकते हैं. इसमें ऐंटी-कैंसर और ऐंटी-एजिंग तत्वों के साथ वज़न कम करने, सर्दी-जुक़ाम से राहत दिलाने वाले, ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने और दांत व मसूड़ों के स्वास्थ्य के अनुरूप फ़ायदेमंद तत्व भी पाए जाते हैं. यह तनावमुक्त रखने और मानसिक शांति बनाए रखने में मददगार साबित होती है. वाइट टी के बारे में एक और बात जो कम लोगों को पता है, वह यह कि यह महिलाओं के मूडस्विंग के लिए भी अन्य चाय की अपेक्षा ज़्यादा फ़ायदेमंद साबित होती है.कई सारे शोध के मुताबिक़ वाइट टी में वायरस, बैक्टीरिया और फ़ंगस जो कि ख़ासतौर पर स्टैफ़ाइलोकॉकस इंफ़ेक़्शन और निमोनिया के लिए ज़िम्मेदार रहते हैं, उन्हें निष्क्रिय करने की अधिक क्षमता होती है.
वाइट टी तैयार करने का प्रॉसेस
कैमेलिया नामक पौधों की कलियों में पाया जानेवाले सिल्वर स्ट्रिंग्ज़ और अधखुली चाय की पत्तियों को भाप देकर सुखाया जाता है. सूखने के बाद सिल्वर स्ट्रिंग्ज़ सफ़ेद हो जाते हैं और इस तरह बहुत ही प्राकृतिक प्रक्रिया से हाई क्वॉलिटी वाइट टी तैयार की जाती है. मुख्य रूप से वाइट टी चाइना के यून्नान, थाईलैंड और उत्तरी म्यांमार में ही बनाई जाती है, लेकिन भारत के दार्जिलिंग में भी अधखुली चाय की साबूत पत्तियों से इसे तैयार किया जाता है, जो दार्जिलिंग वाइट टी के नाम से काफ़ी लोकप्रिय है.
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