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Monsoon में हेल्दी रहने के लिए अपनाएं ये आयुर्वेदिक टिप्स

Sanjna Verma
1 Aug 2024 1:02 PM GMT
Monsoon में हेल्दी रहने के लिए अपनाएं ये आयुर्वेदिक टिप्स
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Health care स्वास्थ्य देखभाल: मौसम में होने वाले बदलावों के हिसाब से खुद को ढालना शरीर के लिए मुश्किल होता है। किसी भी मौसम में स्वस्थ रहने के लिए उस मौसम के हिसाब से खुद को ढालना जरूरी होता है। बारिश के मौसम में बुखार, खांसी, बार-बार बीमार होने जैसे वायरल संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। मानसून के दौरान इम्यून सिस्टम को मजबूत रखना जरूरी है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, बारिश के मौसम में वात दोष बढ़ जाता है। वात का बढ़ना कई बीमारियों के लिए जिम्मेदार होता है।
इसलिए मानसून में अपने वात को संतुलित रखने के लिए, पाचन को बेहतर बनाने और इम्यून सिस्टम को मजबूत रखने के लिए आपको खान-पान में कुछ आयुर्वेदिक नियमों का पालन करना चाहिए। तो आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको मानसून में स्वस्थ रहने के नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं और मानसून में क्या खाना चाहिए यह भी बताने जा रहे हैं।
पूरे दिन शुंठी सिद्ध पानी पिएं
यदि आप पूरा दिन शुंठी सिद्ध पानी पीते हैं, तो आपकी इम्यूनिटी, भूख और चयापचय को बेहतर रखने में सहायता मिलती है। इस पानी को पीना बहुत आसान है। इस जल को बनाने के लिए 1 लीटर पानी लें औऱ इसमें आधा चम्मच सूखा अदरक पाउडर यानी शुंठी या ताजे
Ginger
का एक छोटा डंठल डालकर मीडियम आंच पर 10 मिनट तक पकाएं। पानी में उबाल आने के बाद इसको छान लें। अब इसको कमरे के तापमान पर ठंडा कर लें। इसके बाद इस पानी को स्टील की बोतल में भरकर रख दें। फिर आप पूरा दिन इस पानी का सेवन कर सकते हैं।
शहद खाएं
यदि आप रोजाना सुबह उठने के बाद या फिर रात में सोने से पहले एक चम्मच शहद का सेवन करते हैं, तो इससे कफ को संतुलित करने में सहायता मिलती है। साथ ही यह आपके वजन को कंट्रोल करने में मदद करता है। मानसून में शहद का सेवन करने से आपको जुकाम और खांसी जैसी बीमारियां नहीं होती हैं।
पुराने अनाज का सेवन करें
बारिश के मौसम में आप पुराने अनाज जैसे- पुरानी दाल, पुराने चावल या पुराने बाजरे का सेवन कर सकते हैं। यानी की आपको ताजी उपज का नहीं बल्कि 1-2 साल पहले की उपज वाले अनाज का सेवन करना चाहिए। आयुर्वेद में भी मानसून के दौरान पुरानी उपज वाले अनाज के सेवन की सलाह दी जाती है। क्योंकि यह आसानी से पच जाता है और वात या पाचन संबंधी समस्याओं के खतरे को कम करता है। वहीं नए अनाज का सेवन पाचन संबंधित समस्याओं की वजह बन सकता है।
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