लाइफ स्टाइल

कीटो डाइट में फैट की जगह प्रोटीन ज्यादा होने से हो सकती है किडनी फेल, एक्सपर्ट से जानिए यह डाइट कैसे काम करती है

Nilmani Pal
12 Oct 2020 12:44 PM GMT
कीटो डाइट में फैट की जगह प्रोटीन ज्यादा होने से हो सकती है किडनी फेल, एक्सपर्ट से जानिए यह डाइट कैसे काम करती है
x
कीटो डाइट को फॉलो करने से पहले इसके फायदे और नुकसान को समझना जरूरी है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हाल ही में एक्ट्रेस मिस्टी मुखर्जी की किडनी फेल होने के कारण मौत हुई। वह कीटो डाइट ले रही थीं। मीडिया रिपोर्ट्स में मौत की बड़ी वजह कीटो डाइट को बताया गया है। यह ऐसी डाइट है जिसे कई सेलिब्रिटी फॉलो करते हैं। कीटो डाइट को फॉलो करने से पहले इसके फायदे और नुकसान को समझना जरूरी है।

एक्सपर्ट कहते हैं, इस डाइट का इस्तेमाल वजन घटाने के लिए किया जाता है लेकिन इसमें फैट की मात्रा ज्यादा होती है। इसलिए इसे एक्सपर्ट की मदद से ही प्लान करें। क्लीनिकल न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. सुरभि पारीक से जानिए, कीटो डाइट लेते समय किन बातों का ध्यान रखें और कौन सी लापरवाही हार्ट और किडनी के लिए खतरा बढ़ाती है...

1. क्या है कीटो डाइट?

इसे कीटोजेनिक डाइट भी कहते हैं। यह फैट, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट का कॉम्बिनेशन है। इसमें 65-70 फीसदी फैट, 20-25 प्रतिशत प्रोटीन और 5 फीसदी कार्बोहाइड्रेट शामिल किया जाता है। कुछ लोगों को लगता है कि इसमें फैट का एक बड़ा हिस्सा शामिल होता है इसलिए वजन बढ़ सकता है जबकि ऐसा नहीं है। अगर इसे एक्सपर्ट के मुताबिक प्लान किया जाए तो वजन कंट्रोल होता है साथ ही बैड कोलेस्ट्रॉल का लेवल भी घटता है।

एक्सपर्ट जब भी किसी को इस डाइट के लिए सलाह देते हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखा जाता है। जैसे - शरीर को इस डाइट की कितनी जरूरत है, शरीर की लम्बाई और वजन। कभी भी बिना एक्सपर्ट इसे फॉलो न करें।

2. मिस्टी मुखर्जी के मामले में किडनी फेल होने की नौबत क्यों आई?

न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. सुरभि कहती हैं, अक्सर लोग इस डाइट को प्लान करने में लापरवाही करते हैं। जैसे फैट और प्रोटीन की मात्रा अधिक बढ़ा लेते हैं। शरीर में प्रोटीन की मात्रा बढ़ने पर सीधेतौर पर दबाव किडनी पर पड़ता है। जो बाद में किडनी फेल्योर का कारण बनता है।

कुछ लोग यू-ट्यूब और इंटरनेट से अधूरी जानकारी लेकर कीटो डाइट प्लान करते हैं। ऐसे हालात में शरीर में कई तरह के पोषक तत्वों की कमी हो जाती है और फैट बढ़ जाता है जो हृदय रोगों की वजह भी बन सकता है।

यह डाइट खासतौर मिर्गी, पार्किंसन, अल्जाइमर्स और ऑटिज्म के मरीजों के लिए है। डाइटिंग करना चाहते हैं तो खुद से इस प्लान की शुरुआत कतई न करें।

3. कैसे काम करती है यह डाइट?

ज्यादातर डाइट प्लान में एनर्जी के लिए कार्बोहाइड्रेट ही सोर्स होता है लेकिन कीटो डाइट में फैट ही एनर्जी देने का काम करता है। ऐसी स्थिति में जब व्यक्ति को एनर्जी की जरूरत होती है तो कार्बोहाइड्रेट न होने पर फैट काम आता है। इस तरह जिनका वजन ज्यादा है उनमें एनर्जी की जरूरत होने पर शरीर अतिरिक्त फैट का इस्तेमाल करता है जिससे वजन कम होता है।

4. किन लोगों के लिए जरूरी है कीटो डाइट?

यह मिर्गी के मरीजों के लिए भी फायदेमंद हैं। इसके अलावा जो वजन को कंट्रोल करना चाहते हैं वे इसे एक्सपर्ट से सलाह लेकर फॉलो कर सकते हैं। आमतौर पर लोग डाइट में कार्बोहाइड्रेट अधिक लेते हैं। मिर्गी के मामलों में शरीर में मौजूद ग्लूकोज (कार्बोहाइड्रेट) दौरों तो तेज कर सकता है। इसलिए इस डाइट की मदद से कार्ब कम और फैट को बढ़ाकर मिर्गी के रोगियों का इलाज किया जाता है।

5. कैसे हुई कीटोजेनिक डाइट की शुरूआत?

इसकी शुरुआत 1920 में मिर्गी के दौरों को कंट्रोल करने करने के लिए वैकल्पिक डाइट के तौर पर हुई थी। बाद में इसे मस्तिष्क से जुड़े दूसरे रोगों जैसे ऑटिज्म, पार्किंसंस ​डिजीज, अल्जाइमर और कैंसर के इलाज में प्रयोग किया और सकारात्मक परिणाम देखे गए।

6. इस डाइट के फायदे क्या हैं?

ये नींद न आने की समस्या और मेंटल डिसऑर्डर से दूर रखती है। चूंकि, ये डाइट भूख को कंट्रोल करती है इसलिए ऐसे लोग जो वजन घटाना चाहते हैं वे इसे फॉलो कर सकते हैं लेकिन एक्सपर्ट की सलाह से। इसमें फैट की अच्छी मात्रा होने के कारण स्किन स्मूद और चमकदार रहती है।

Next Story