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क्या बिना रोक-टोक मीठा खाने से आपका शेप बिगड़ गया है? क्या वह ख़ास ड्रेस जो आपने किसी ख़ास अवसर के लिए ली थी, अब आपको फ़िट नहीं आ रही? फ़ेमिना देश के टॉप न्यूट्रिशनिस्ट और सबसे फ़िट सेलेब्रिटीज़ की मदद से आपको दोबारा अपना वही शेप, वह भी सेहतमंद तरीक़े से पाने के टिप्स दे रही है.
अपने आसपास के 10 लोगों से उनके हेल्थ गोल के बारे में पूछें, उनमें से आठ लोगों का जवाब यक़ीनन वज़न कम करना होगा. दरअस्ल, यह अच्छा खाने, सक्रिय रहने और आमतौर पर एक रूटीन सेट करने के लिए होता है. लेकिन वही आठ लोग बताएंगे कि यह करना आसान भी नहीं है. अपने लक्ष्य को पाने के लिए फ़िटनेस रूटीन या डायट को कस्टमाइज़ करने से पहले जीवनशैली, फ़ायनैंस, शेड्यूल और ताज़ा खाद्य पदार्थों की उपलब्धता, जैसी चीज़ों को ध्यान में रखना सबसे अहम् है. आप सोच रही हैं कि शुरुआत कहां से करें? तो यहां भारत के कुछ बेहतरीन न्यूट्रिशनिस्ट्स आपको सही खानपान और सेहतमंद रूटीन की पूरी जानकारी दे रहे हैं.
आपके पूर्वजों ने जो खाया वही खाएं
चेन्नई की स्पोर्ट्स ऐंड प्रिवेन्टिव न्यूट्रिशनिस्ट शाइनी सुरेन्द्रन का मानना है कि इन दिनों लोगों के पास इतनी सारी जानकारियां हैं कि वे ख़ुद को असमंजस की स्थिति में पाते हैं. क्योंकि हर दिन एक नए तरह की डायट सुर्ख़ियों में रहती है और आसपास के लोगों का दबाव दुविधा को और भी बढ़ाता है. “आपका मेटाबॉलिक टाइप आपकी फ़िटनेस में बड़ी भूमिका निभाता है. किसी का मेटाबॉलिज़्म हाई-प्रोटीन डायट पर काम करता है तो किसी को ट्रेडिशनल खानपान की ज़रूरत होती है. हालांकि, सबसे सही होता है, खानपान की उन आदतों को फ़ॉलो करना, जिनका आपके पूर्वज पालन करते थे.” शाइनी की सलाह है कि हमें अपने शरीर की सुननी चाहिए, हमें देखना चाहिए कि हमारे शरीर को क्या सूट करता है. अपनी डायट में थोड़ा घी और मूंगफली, तिल और नारियल जैसे पारंपरिक तेल शामिल करें, क्योंकि आपको फ़ैट की भी ज़रूरत होती है. “ऑर्गेनिक खाएं, प्लास्टिक के बॉटल्स का इस्तेमाल कम से कम करें और कोशिश करें कि आप स्थानीय व मौसमी फलों व सब्ज़ियों का सेवन ज़्यादा से ज़्यादा करें. संडे को अपनी डायट के साथ थोड़ी चीटिंग कर लें, ताकि आप सप्ताह के बाक़ी दिनों में अपने इरादे से डिगे नहीं,” आगे जोड़ती हैं शाइनी.
थोड़ा-थोड़ा खाएं
“आप जितनी भी कैलोरी लेते हैं, आपका शरीर उसे बर्न करने के लिए उनमें से कुछ का इस्तेमाल करता है,” कहती हैं पूजा मखीजा, कंसल्टिंग न्यूट्रिशनिस्ट और क्लीनिकल डाइटीशियन. “यह बार-बार खाकर वज़न घटाने के पीछे का सबसे प्रमुख सिद्धांत है. दिन में छह से आठ मील्स खाने पर आपका शरीर पाचन के लिए ज़्यादा कैलोरीज़ का इस्तेमाल करता है.” जब आप अपने शरीर को लगातार ईंधन देते हैं तो इसका मतलब है कि आप उसे काम करने के लिए भी कह रहे हैं. इसे फ़ूड का थर्मोजेनिक इफ़ेक्ट कहते हैं, जो न केवल वज़न घटाने का स्मार्ट तरीक़ा है, बल्कि यह आपकी बीएमआर (बेसल मेटाबॉलिक रेट) बढ़ाने में भी मदद करता है. “मैं इसे इंटर्नल वर्कआउट कहती हूं-क्योंकि अपने शरीर को लगातार पाचन के लिए काम करने में लगाए रखने का मतलब होता है कि आप अपने शरीर का वर्कआउट करवा रहे हैं. इस दौरान शरीर में तेज़ गति से चल रही पाचन प्रक्रिया को भले ही आप न देख पा रहे हों, लेकिन यक़ीन करें आपका शरीर उस वक़्त बहुत तेज़ी से काम कर रहा होता है, बजाय यदि आप बहुत ज़्यादा अंतराल के बाद कुछ खाते हैं,” कहती हैं पूजा.
शेड्यूल के बजाय शरीर की सुनें
आयुर्वेद के अनुसार, अच्छी सेहत सही अनुपात में सही समय पर खाने से मिलती है. यह समझना ज़रूरी है कि हमारे शरीर को खाने से मिले फ़्यूल्स को इस्तेमाल करने के लिए वक़्त की ज़रूरत होती है. होलिस्टिक हेल्थ गुरु मिकी मेहता का मानना है कि हमारे शरीर का अपना एक नैसर्गिक तारतम्य होता है-दोपहर के 12 बजे से लेकर रात के आठ बजे तक, शरीर की पाचन क्षमता सबसे बेहतर होती है. इसीलिए इसी बीच ज़्यादा से ज़्यादा न्यूट्रिशन लेना चाहिए. सुबह चार बजे से लेकर दोपहर 12 बजे तक डीटॉक्स टाइम होता है. यह प्रक्रिया तब ही सही ठहरती है, जब आप सुचारू रूप से चीज़ें कर रहे हों. “सूर्यास्त के साथ-साथ शरीर की पाचन प्रक्रिया धीमी होती जाती है, क्योंकि धरती की ऊर्जा घट रही होती है. इसीलिए सूर्यास्त के बाद खाए गए भोजन को पचाना मुश्क़िल होता है. आप जितनी देर से खाते हैं, उतना सोच-समझकर खाने का चुनाव करें. लेकिन सबसे अहम् है कि किसी एक ढर्रे या नियम के अनुरूप न खाएं. बायो-फ़ीडबैक के अनुसार खाएं और अपनी भूख का ख़्याल रखें. भूख शरीर की ज़रूरत है और ज़्यादा खाने की इच्छा, शरीर का लालच. एकदम मशीन की तरह नियमित होकर न खाएं; सचेत होकर खाएं, क्योंकि आप केवल लौकिक ऊर्जा ही नहीं ले रहे, बल्कि लौकिक समझ (इन्टेलिजन्स) भी ले रही होते हैं.”
सोने से कुछ घंटे पहले खाएं
सेलेब्रिटी न्यूट्रिशनिस्ट और लेखक रुजुता दिवेकर का कहना है, कि सोने से कुछ घंटे पहले खाना खाने से आपके शरीर को भोजन को पचाने और आवश्यक पोषक तत्वों को सही हिस्सों तक पहुंचाने के लिए पूरा समय मिलता है. और जब आप सोते हैं तब आपका शरीर रिकवरी की बेहद अहम् प्रक्रिया पर अपना पूरा ध्यान लगा पाता है. “यदि आख़िरी मील बहुत ज़्यादा हैवी होगा या सोने से ठीक पहले खाया गया होगा तो शरीर रिकवरी के अपने काम पर फ़ोकस नहीं कर पाएगा और दूसरे दिन आपको असहज महसूस होगा.”
फल अच्छे हैं, लेकिन...
हालांकि फलों में काफ़ी फ़्लेवर और पोषक तत्व होते हैं, पर उनमें फ्रक्टोज़ की मात्रा भी बहुत होती है और इसलिए इन्हें एक सीमा में ही खाना चाहिए. ये डिज़र्ट की जगह खाने के लिए बिल्कुल सही हैं, लेकिन बहुत ज़्यादा भी फल न खाएं. “इसका सही तरीक़ा है-सेब, पेर, संतरा, नींबू, अमरूद और पपीता जैसे लो-ग्लाइसेमिक फल खाना. और बाक़ी फल जिनमें शक्कर की मात्रा ज़्यादा होती है, संयमित रूप से खाएं. वज़न कम करने के लिए फल खाने का सबसे सही समय दिन में होता है,” कहती हैं न्यूट्रिशनिस्ट करिश्मा चावला.
घी और कार्ब्स से परहेज़ न करें
अपने खानपान से घी को निकालने से आपको हाइपरटेंशन, दिल से जुड़ी समस्याएं और जोड़ों में दर्द हो सकता है. डायट विशेषज्ञ ध्वनि शाह कहती हैं,“पारंपरिक भारतीय कुकिंग और आयुर्वेदिक मेडिसिन में महत्वपूर्ण घी, के हज़ारों फ़ायदे हैं. यह फ़ैट को बेहतर ढंग से बर्न करता है, घुटनों की सूजन कम करता है, कोलेस्टरॉल के स्तर को संतुलित करता है, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम को सुरक्षा प्रदान करता है, दिमाग़ को सचेत रखता है, आंखों की सेहत को सुधारता है और बाल, त्वचा व नाख़ूनों के टेक्स्चर को बेहतर बनाता है.” हालिया ट्रेंड में लो-कार्ब डायट लेने के चलते कई लोग रोटी और चावल को छोड़ देते हैं. पूजा कहती हैं,“आपके कुल कैलोरी इनटेक में 60 से 65 प्रतिशत कार्ब्स होना चाहिए. इन्हें पूरी तरह से नज़रअंदाज़ करने पर हमारा पेट नहीं भरता, जिससे हम ग़ुस्सा और चिड़चिड़ापन महसूस करते हैं. जब हम सही समय पर सही खाना नहीं पाते, तो ग़लत वक़्त पर ग़लत चीज़ खा लेते हैं.”
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