ब्रॉकन हार्ट सिंड्रोम क्यों होता है? वैज्ञानिकों से जानें

प्रोफेसर सियन हार्डिंग ने कहा कि ताकोत्सुबो सिंड्रोम अब एक गंभीर और खतरनाक हकीकत बनकर हमारे सामने आ चुका है

Update: 2021-06-21 13:10 GMT

प्रोफेसर सियन हार्डिंग ने कहा कि ताकोत्सुबो सिंड्रोम अब एक गंभीर और खतरनाक हकीकत बनकर हमारे सामने आ चुका है. हालांकि ये किन परिस्थितियों में ज्यादा गंभीर हो जाता है, इसका पता लगना बाकी है.

दिल का टूटना अबतक सिर्फ भावनात्मक स्थिति मानी जाती थी. लेकिन वैज्ञानिकों ने कहा है कि ये सिर्फ भावनात्मक ही नहीं, बल्कि शारीरिक स्थिति भी है. क्योंकि दिल टूटने से आदमी की जान तक चली जाती है. आपने कई ऐसे जोड़ों के बारे में सुना होगा, जिन्होंने बेहद कम अंतराल के बीच ही दुनिया को अलविदा कह दिया. भारत के महान धावक मिल्खा सिंह और उनकी पत्नी भी ऐसे ही जोड़ों में से थे. अपनी पत्नी की मौत के 5 दिन बाद ही कोरोना से उबर चुके उड़न सिख मिल्खा सिंह ने दम तोड़ दिया था.
ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने बताया है कि दिल टूटने से इंसान की जान तक चली जाती है. लंबे समय के तनाव और अचानक कई दुखद घटनाओं की वजह से ताकोत्सुबो सिंड्रोम यानी ब्रोकेन हार्ट सिंड्रोम हो सकता है. इसकी वजह से हार्ट अटैक भी हो सकता है. वहीं सीने में दर्द और सांस उखड़ने की समस्या भी हो सकती है.
सिर्फ यूके में हर साल ऐसे 2500 के करीब मामले सामने आते हैं. इसमें पोस्ट-मेनोपॉजल महिलाओं की संख्या ज्यादा है. चूंकि महिलाएं मेनोपाज से गुजरते समय काफी तनाव में होती हैं. ऐसे में कोई बड़ी ट्रेजेडी उन्हें ब्रोकेन हार्ट सिंड्रोम की तरफ ले जाती है. कई मामलों में ये जानलेवा तक साबित होता है.
ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन (British Heart Foundation (BHF) की रिपोर्ट कार्डियोवैस्कुलर रिसर्च जर्नल में छपी है. इस रिपोर्ट के मुताबिक तनाव इस सिंड्रोम के होने के पीछे बड़ी भूमिका निभाता है. ऐसे में किसी रिश्ते का अचानक टूटना, बहुत सारे पैसे गंवाना या किसी बेहद नजदीकी की मौत होने पर ब्रोकेन हार्ट सिंड्रोम का खतरा बढ़ जाता है.
इंपीरियल कॉलेज लंदन के कार्डियक फार्माकोलॉजी के प्रोफेसर सियन हार्डिंग ने कहा कि ताकोत्सुबो सिंड्रोम अब एक गंभीर और खतरनाक हकीकत बनकर हमारे सामने आ चुका है. हालांकि ये किन परिस्थितियों में ज्यादा गंभीर हो जाता है, इसका पता लगना बाकी है. वैसे, अचानक किसी चौंकाने वाली घटना की वजह से ये तेजी से बढ़ता है. इसमें माइक्रोआरएनए-16 और 26ए को भी जिम्मेदार माना जाता है.
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