अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक विशालकाय पक्षी के जीवाश्म की पहचान, करीब 21 फुट लंबा है, दुनिया का सबसे विशाल पक्षी माना
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक ऐसे विशालकाय पक्षी के जीवाश्म की पहचान की है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| लॉस एंजिलिस: अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक ऐसे विशालकाय पक्षी के जीवाश्म की पहचान की है जो लगभग पांच करोड़ साल पहले पाया जाता था। इस पक्षी के पंख 21 फुट लंबे होते थे। अंटार्कटिका से 1980 के दशक में बरामद जीवाश्म दक्षिणी समुद्रों में विचरण वाले पक्षियों के एक विलुप्त समूह के सबसे पुराने विशालकाय सदस्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
तुलनात्मक रूप से समुद्र के ऊपर विचरण करने वाले पक्षियों में वांडरिंग अल्बाट्रॉस को सबसे बड़ा उड़ने वाला पक्षी कहा जाता है और इनके पंख, सभी परिंदों में सबसे ज्यादा लंबे यानी साढ़े 11 फुट तक फैल सकते हैं। पेलेगोर्निथिड कहे जाने वाले, पक्षियों ने आज के अल्बाट्रोस की तरह एक स्थान को भरा और कम से कम छह करोड़ वर्षों तक पृथ्वी के महासागरों में व्यापक रूप से यात्रा की।
डायनासोर के विलुप्त होने के बाद पक्षी विकसित हुए
'जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स' में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, एक दूसरा पेलगोर्निथिड जीवाश्म, जो जबड़े की हड्डी का हिस्सा है, लगभग चार करोड़ साल पहले का है। अमेरिका में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले में एक स्नातक छात्र पीटर क्लोइस ने कहा, 'हमारी जीवाश्म खोज, जिसमें पांच से छह मीटर के पंखों-लगभग 20 फुट- वाले पक्षी शामिल हैं, से पता चलता है कि डायनासोर के विलुप्त होने के बाद पक्षी वास्तव में अपेक्षाकृत तेजी से विशाल आकार के लिए विकसित हुए और कई वर्षों तक महासागरों के ऊपर घूमते रहे।'
ये पक्षी कई हफ्तों तक समुद्र के ऊपर उड़ते रहते थे। उस समय तक समुद्र पर व्हेल और सील का राज नहीं होता था। ये पक्षी आसानी से समुद्र के अंदर विचरण करते थे। इस जीवाश्म से यह भी पता चलता है कि अंटार्कटिका उस समय से लेकर अब तक काफी गरम हो गया है। इसके बाद से वहां पर पेंग्विन का जन्म हुआ। वैज्ञानिकों ने कहा कि अंटार्कटिका उस समय बेहद समृद्ध और विविधता से भरा इलाका था।