अध्ययन से खुलासा, प्राकृतिक आपदाओं से बढ़ रह है डिमेंशिया का खतरा

प्राकृतिक आपदाएं विनाश और असामयिक मृत्यु की वजह बनती हैं

Update: 2021-10-05 07:43 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| प्राकृतिक आपदाएं विनाश और असामयिक मृत्यु की वजह बनती हैं, लेकिन एक हालिया अध्ययन की मानें तो इनसे मनोभ्रंश (डिमेंशिया) का जोखिम भी रहता है। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने जापान में 2011 की सुनामी से सबसे बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों के रिहायशी लोगों का स्वास्थ्य सर्वे किया। इसके बाद सर्वे के डेटा का उपयोग करते हुए उन्होंने प्राकृतिक आपदाओं और संज्ञानात्मक गिरावट के बीच संबंध का पता लगाया। उन्होंने पाया कि इस घटना के कारण 20,000 लोग मारे गए और 100,000 बच्चों को घरों से बेघर होना पड़ा था। अब ऐसी संभावना है कि इसके चलते बुजुर्गों की याददाश्त में गिरावट आई है।

घर खोने वालों में अधिक जोखिम देखा गयाः

अध्ययन के दौरान 73 वर्ष की औसत आयु वाले 3,000 से अधिक लोगों से उनकी याददाश्त की स्थिति के बारे में पूछताछ की गई। आपदा में अपना घर खोने वालों ने संज्ञानात्मक गिरावट की दर में इजाफे का अनुभव किया। हालांकि किसी प्रियजन को खोने का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। टीम का कहना है कि डिमेंशिया बढ़ते अकेलेपन से जुड़ा हुआ है। अविवाहित, कम शिक्षित और बुजुर्गों में संज्ञानात्मक गिरावट बढ़ने का जोखिम सबसे ज्यादा होता है।

प्रमुख अध्ययनकर्ता कोइचिरो शीबा और उनके सहयोगियों द्वारा डेटा का अध्ययन किया गया। इसके जरिए वे यह जानना चाहते थे कि क्या प्रत्यक्ष रूप से सुनामी का अनुभव करने और 9 तीव्रता के भूकंप के कारण याददाश्त पर प्रभाव पड़ा। शीबा के मुताबिक विशेष रूप से अतिसंवेदनशील उप-जनसंख्या की पहचान करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे भविष्य में आपात स्थितियों में सार्वजनिक स्वास्थ्य संसाधनों आवंटित करने में मदद मिलेगी।

प्रभावित क्षेत्रों पर फोकस कियाः

प्राकृतिक आपदाओं और घटती याददाश्त के बीच संबंध को समझने के लिए शोधकर्ताओं ने जापान जेरोन्टोलॉजिकल इवैल्यूएशन स्टडी की और देश में 65 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों से विभिन्न बिंदुओं पर बात की। शीबा ने मियागी प्रान्त में इवानुमा से लिए गए आंकड़ों पर फोकस किया, क्योंकि ये सुनामी से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र थे। कुल मिलाकर उन्होंने आपदा से सात महीने पहले सर्वे प्रतिक्रियाओं के साथ 73 वर्ष की औसत आयु वाले 3,350 लोगों की जानकारी का उपयोग किया और प्राकृतिक आपदा के बाद ढाई और फिर पांच साल तक उन्हें ट्रैक किया। उनसे उनकी संज्ञानात्मक स्थिति के बारे में पूछा गया। इसमें देखभाल करने वालों की प्रतिक्रियाओं को भी शामिल किया गया।

टीम ने पाया कि प्राकृतिक आपदा के दौरान जिन लोगों ने अपना घर खोया है, उनकी याददाश्त में गिरावट की गति में तेज हुई है। हमारे विश्लेषण से पता चला है कि घर खोने के नुकसान से याददाश्त की कमी स्ट्रोक के समान हो सकती है। यह भी संज्ञानात्मक गिरावट का एक जोखिम कारक है। अध्ययन में यह भी देखा गया कि कम आय वालों में प्राकृतिक आपदा से गुजरने के बाद संज्ञानात्मक गिरावट की दर में अधिक थी। इसका कारण यह हो सकता है कि उनके वृद्ध, अविवाहित और कम पढ़े-लिखे होने की संभावना अधिक रही।


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