IIT के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर ने कहा- पानी में कोरोना वायरस बहता है पर नष्ट नहीं होता...

IIT के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर

Update: 2021-05-29 12:55 GMT

पानी में कोरोना वायरस का जीवन कितना है, यह कितना खतरनाक हो सकता है, इस पर कानपुर आईआईटी शोध करेगा। यह बात आईआईटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर विनोद तारे ने कही। उन्होंने कहा कि हालांकि यह प्रक्रिया काफी लंबी है और इसे बिना किसी एक्सपर्ट की मदद के आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है।

पहले गंगा के पानी में लगातार शवों का मिलना, फिर सीवर में कोरोना वायरस के मिलने के बाद से शोध संस्थानों को नया विषय मिल गया है। सीवर में वायरस कैसे पहुंचा, इस पर भी आईआईटी के वैज्ञानिक भी शोध करेंगे। प्रोफेसर तारे का कहना है कि सीवर में वायरस मिलने से यह साबित हुआ है कि वायरस पानी में बहता है, लेकिन यह पूरी तरह से नष्ट नहीं होता।
इसी पर आगे शोध करना है कि पानी में मिला वायरस कितना शक्तिशाली है, यह कितना खतरनाक है। इसके अलावा सीवेज और नदी के पानी साधारण पानी में काफी अंतर होता है। साधारण पानी में ऑक्सीजन की मात्रा अधिक होती है। यह अलग-अलग शोध होगा कि क्या केवल सीवेज में ही वायरस जिंदा रहता है या नदी के पानी, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में भी जीवित रहता है और अगर जीवित रहता है तो कितना शक्तिशाली होता है।
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