उल्का (Meteoroids) अंतरिक्ष की वे चट्टान या उसके टुकड़े होते हैं जो पृथ्वी की ओर आते हैं. जब ये पृथ्वी से टकराते हैं तो उल्कापिंड (Meteorites) कहलाते हैं. ये टुकड़े क्षुद्रग्रह (Asteroid) या धूमकेतु के भी हो सकते हैं. लंबे समय से हमारे वैज्ञानिक यह मानते थे कि ये उल्का क्षुद्रग्रह के घेरे (Asteroid Belt) के अलग अलग इलाकों से आते हैं. लेकिन नए अध्ययन से पता चला है कि इन इन सभी उल्काओं का स्रोत एक ही है लेकिन वह अब भी अज्ञात है.
प्रोसिडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस में प्रकाशित इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने 50 करोड़ साल पुराने समुद्री अवसादी चट्टानों के उल्कापिंडों (Meteorites) सहित 15 अन्य समयावधि के उल्कापिंडों का अध्ययन किया. उन्होंने पाया कि ये सभी उल्कापिंड क्षुद्रग्रह के घेरे (Asteroid Belt) से निकले थे. वहां से ये कहां से आए थे यह साफ नहीं हो सका है. शोधकर्ता फ्रेडरिक टेर्फेल्ट और बिर्जर स्मिट्ज ने अपने अध्ययन के सारांश में लिखा कि उल्कापिंड और छोटे क्षुद्रग्रह जो बहुत पहले पृथ्वी (Earth) तक पहुंचे थे. वे क्षुद्रग्रह के निर्माण की घटनाओं से कालक्रम से संबंधित नहीं थे
शोधकर्ताओं ने बताया कि इनके पृथ्वी (Earth) तक आए की प्रक्रिया का संबंध क्षुद्रग्रह घेरे (Asteroid Belt) के बहुत ही सीमित इलाके से दिखता है. शोधकर्ताओं ने अपने शोध से यह पता लगा सके कि ये उल्कापिंड (Meteorites) आमतौर से क्षुद्रग्रह के घेरे के एक छोटे से ही क्षेत्र स आया करते थे. इसके अलावा पिछले 50 करोड़ सालों से इनके पृथ्वी तक आने की एक ही तरह की प्रक्रिया है.
लुंड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रहे स्मिट्ज ने बताया कि वे अवसादी पत्थरों (Sedimentary Rocks) के अवलोकन के लिए दुनिया भर में कैलीफोर्निया, स्वीटन, चीन और रूस में घूमे. अलग अलग चट्टानों का अध्ययन कर उन्हें सवालों के जवाब तो कम मिले लेकिन उल्कापिंडों (Meteorites) के संबंधित उनके सवालों की संख्या जरूर बढ़ गई. स्मिट्ज बताते हैं कि यह उनके अध्ययन और आज विज्ञान की बड़ी समस्या है कि हम यह पता नहीं लगा पाए कि ये उल्कापिंड क्षुद्रग्रह के घेरे (Asteroid belt) के किस इलाके से आए
हर जगह से चट्टानों के नमूने जमा करने के बाद शोधकर्ताओं ने उन्हें हाइड्रोक्लोरिक एसिड में रखा. इन नमूनों में उल्कापिंडों (Meteorites) में पाया जाने वाला क्रोम-स्पाइनल ग्रेंस नाम का खनिज भी था. स्मिट्ज ने बताया कि वे भूसे के ढेर में छोटी छोटी सुइयां खोज रहे थे इसलिए उन्होंने भूसे को जला दिया. बहुत से क्षुद्रग्रह (Asteroids) प्रमुख क्षुद्रग्रह के घेरे (Asteroid belt) में रहते हैं यह क्षेत्र मंगल और गुरू ग्रह के बीच के इलाके में पड़ता है. नासा के मुताबिक इस घेरे में करीब 10 लाख ज्ञात क्षुद्रग्रह मौजूद हैं. लेकिन बहुत सारे अभी खोजे जाने बाकी हैं.
एक क्षुद्रग्रह या धूमकेतु का टुकड़ा उल्का (Meteroid) भी कहा जाता है पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने पर इसे उल्का के साथ ही आग का गोला या टूटता तारा भी कहा जाने लगता है. जब ये पृथ्वी की सतह तक पहुंच जाता है तो यह उल्कापिंड (Meteorite) कहलाने लगता है. माना जाता रहा है कि अभी तक उल्कापिंडों में के पृथ्वी तक पहुंचने का कारणों की एक टकराव वाले मॉडल से व्याख्या की जाती रही है. लेकिन शोधकर्ताओं को किसी भी टकराव की घटना का पता नहीं चला.
स्मिट्ज बताते हैं कि यह एक बड़ी पहेली है. उल्कापिंडों (Meteorites) की उत्पत्ति को समझने से हम न केवल सौरमंडल (Solar System) के निर्माण को बेहतर समझ सकेंगे, बल्कि यह भी जान सकेंगे कि भविष्य में कौन सा अंतरिक्ष पत्थर मानवता के लिए खतरा बनेगा. लेकिन इसके लिए बहुत जरूरी होगा की उन उल्काओं (Meteoroids) के उद्गम स्थल का पता लगे