टूट रही हमारी गैलेक्सी? नासा के स्पिट्जर टेलीस्कोप और ESA के Gaia अभियान से हो रहा अध्ययन

टूट रही हमारी गैलेक्सी?

Update: 2021-08-19 15:03 GMT

हमारी गैलेक्सी मिल्की वे (Milky Way) का आकार सर्पिल है और इसके बहुत से हिस्से से हमारे वैज्ञानिक अनजान हैं. गैलेक्सी (Galaxy) के अंदर पर जहां हमारी पृथ्वी स्थित है वहां से इसका अध्ययन करना बहुत मुश्किल है, लेकिन हाल ही में किए गए अध्ययन ने इस विशाल स्तर की संचरना के बारे में नई तरह की जानकारी हासिल की है. वैज्ञानिकों ने मिल्की वे की सर्पिल भुजा (Spiral Arm) में से कुछ युवा तारों और तारों को बनाने वाले बादलों का समूह का पता लगाया है जो उससे बाहर की ओर निकला है और भुजा के टूटने का आभास देता लग रहा है. 

सर्पिल भुजा (Spiral Arm) का यह टुकड़ा करीब तीन हजार प्रकाश वर्ष तक फैला है और यह पहली ऐसी संरचना है जो गैलेक्सी (Galaxy) की भुजा से इस तरह से बाहर निकली हुई है और भुजा से बहुत अलग है. खगोलविदों को मिल्की वे (Milky Way) की भुजाओं की आकार और विस्तार के अस्पष्ट अंदाजा है, लेकिन इसमें बहुत कुछ ज्ञात नहीं है. वे हमारी गैलेक्सी का पूरा आकार नहीं देख सकते क्योंकि पृथ्वी खुद उसी के अंदर है. यह बिलकुल वैसा ही है जैसे भारत की राजधानी के कनॉट प्लेस में रह कर नई दिल्ली का नक्शा बनाने की कोशिश करना.
और अधिक जानने के लिए इस नए शोध के अध्ययनकर्ताओं ने गैलेक्सी में पास की भुजा, जिसे सैजिटेरियस भुजा कहा जाता है, पर ध्यान दिया. नासा (NASA) के स्पिट्जर स्पेस टेलीस्कोप के जनवरी 202 में रिटायर होने से पहले उसके आंकड़ों का उपयोग कर शोधकर्ताओं ने नवोदित तारों और उनके पास के गैस और धूल के बादलों या नेबुला (Nebulae) का अध्ययन किया जहां उन तारों का निर्माण हुआ था. स्पिट्जर वह इफ्रारेड प्रकाश पकड़ सता है तो इन बादलों को पार कर सकता है, लेकिन दिखने वाला प्रकाश नहीं पार कर सकता. ये युवा तारे और बादल भुजाओं के आकार के साथ ही स्थित माने जाते हैं भुजा के हिस्से का त्रिआयामी दृश्य हासिल करने के लिए वैज्ञानिकों ने यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) के गाइगा अभियान के ताजा आंकड़ों का उपयोकर तारों के बीच की सटीक दूरी का मापन किया. संयुक्त आंकड़ों से खुलासा हुआ कि सैजिटेरस भुजा से जुड़े हुए पतली लंबी संरचना युवा तारों से बनी है जो एक ही वेग और दिशा से चल रहे हैं.
नासा (NASA) के कैलटेक में एस्ट्रोफिजिसिस्ट और इस शोध के प्रमुख लेखक माइकल कुन्ह ने बताया कि सर्पिल भुजा (Spiral Arm) की विशेषता यह होती है कि वह गैलेक्सी के आसपास कैसे 'बंधी' होती है. इस विशेषता को भुजा के पिच कोण (Pitch Angle) से नापा जाता है. एक वृत्त का पिच कोण शून्य होता है और जैसे जैसे सर्पिल खुलने लगता है पिच कोण भी बढ़ने लगता है. मिल्की वे के अधिकांश मॉडल सुझाते हैं कि सैजिटेरियस भुजा एक सर्पिल भुजा है जिसका पिच कोण करीब 12 डिग्री है, लेकिन इस संरचना के अध्ययन से पता चला कि इसका पिच कोण वास्तव में 60 डिग्री है.

इसी तरह की संरचनाएं जिन्हें कई बार स्पर्स या पंख भी कहा जाता है, जो दूसरी सर्पिल गैलेक्सी (Galaxy) की भुजाओं से निकलती दिखाई देती हैं. बरसों तक वैज्ञानिक यह जानना चाह रहे थे कि क्या हमारी मिल्की वे में भी इस तरह की संचरनाएं हैं या वह पूरी तरह सपाट है. इस नई खोजी गई संरचना में चार नेबुला या निहारिकाएं (Nebulae) है, ईगल, ओमेगा, ट्रिफिड, और लैगून. 1950 के दशक में खगोलविदों ने क टीम ने इनके कुछ तारों की दूरी मापी थी और सैजिटेरियस भुजा के अस्तित्व के बारे में पता लगाने में सफल रहे थे. उनका कार्य हमारी गैलेक्सी के सर्पिल आकार पर पहले प्रमाणों में से एक था. 

इरविन स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया कमें इंफोर्मेटिक्स के व्याख्याता और खगोलभौतिकविद और इस शोध के सहलेखक अल्बर्टो क्रोने मार्टिन्स कहते हैं कि खगोलविज्ञान में दूरियां नापना बहुत ही मुश्किल काम होता है. मार्टिन्स गैया डेटा प्रोसेसिंग् एंड एनालेसिस कंसोर्टियम (DPAC) के सदस्य भी हैं. उन्होंने कहा कि गैया से सीधी दूरी का मापन संभव हुआ जिससे इस नई संरचना की ज्यामिति इतनी स्पष्ट हो सकी. इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने स्पिट्जर के जरिए किए गैलेक्सी (Galaxy) के सर्वे में खोजे गए लाखों नवोदित तारों की खोज से बने कैटलॉग का भी उपयोग किया जिसे गैलेक्सिक लेगेसी इंफ्रारेट मिड प्लेन सर्वे एक्स्ट्राऑर्डीनरी (GLIMPSE) कहा जाता है. कुन्ह ने बताया कि जब उन्होंने गैया और स्पिट्जर के आंकड़ों साथ मिलाया और विस्तार से त्रिआयामी नक्शे की पड़ताल की, तब वे इस इलाके की जटिलता को समझ सके जो अब तक दिखाई नहीं दी थी.

खगोलविद अभी तक यह पूरी तरह से नहीं समझ सके हैं कि हमारी जैसी गैलेक्सी (Galaxy) में सर्पिल भुजा (Spiral Arm)बनने का कारण क्या होता है. हालांकि हम अपनी मिल्की वे (Milky Way) की पूरी संरचना को नहीं देख सकते, एक-एक तारे की वेग का मापन कर इस प्रक्रिया को समझने के लिए बहुत ही कारगर है. नई खोजी गई संरचनाओं में तोरे एक ही समय में एक ही इलाके में बनते हैं और एक ही तरह के खास बलों के प्रभाव में विकसित होते हैं जिसमें गुरुत्व और गैलेक्सी के घूर्णन का प्रभाव भी शामिल है. शोधकर्ताओं का कहना है कि संरचना का यह छोटा हिस्सा पूरी गैलेक्सी के बारे में काफी जानकारी दे सकता है. 
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