क्या जीवन के पनपने के लिए आवश्यक मूल पदार्थ तारों और ग्रह के निर्माण के पहले ही बनने लगे थे, जानें सच्चाई

लंबे समय से हमारे वैज्ञानिक और खगोलविद अंतरिक्ष में जीवन के संकेत (Signs of life) तलाश कर रहे हैं

Update: 2020-11-18 14:42 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। लंबे समय से हमारे वैज्ञानिक और खगोलविद अंतरिक्ष में जीवन के संकेत (Signs of life) तलाश कर रहे हैं. इसके लिए उनकी नजर खास तौर पर पृथ्वी (Earth) जैसे ग्रहों पर रहती है जहां वे जीवन नहीं तो पानी, वायुमंडल और कार्बनिक पदार्थ जैसे उन तत्वों की तलाश करते हैं जो जीवन के पनपने के लिए बहुत आवश्यक हैं. लेकिन ताजा शोध कह रहा है कि जीवन के आवश्यक मूल पदार्थ (substances) तारों (Stars) और ग्रहों (Palnets) के निर्माण से पहले हुए होंगे जो की पूरी तरह से संभव है.

मूल पदार्थ कहां मिल सकते हैं

इस अध्ययन में बताया गया है कि इस जीवन के निर्माण के लिए मूल तत्वों में कम से कम से एक पूर्वजैविक पदार्थ अंतरतारकीय स्थान की कठिन परिस्तथितियों में बना होगा. आमतौर पर जीवन के संकेत और अन्य पदार्थों की खोज के लिए खगोलविद तारों और ग्रहों का ही अध्ययन और अवलोकन करते हैं. यह शोध एक अलग ही बात कहता दिखाई दे रहा है.

ग्लायसीन की चर्चा

एमीनो एसिड ग्लायसीन नाम का एक सरलतम अमीनोएसिड में से एक है. इसके बारे में माना जाता है कि इसके बिना जीवन संभव ही नहीं है और इसके निर्माण के लिए तारों से आए विकिरण से होता है. लेकिन लैबोरेटरी में हुए नए प्रयोग बताते हैं कि इसका निर्माण 'डार्क कैमिस्ट्री' के जरिए हो सकता है जिसमें किसी विकिरण की जरूरत नहीं होती.

कहां-कहां मिला है ग्लायसीन

ग्लायसीन कई दिलचस्प जगहों पर मिला है. यह एक उल्कापिंड और शुक्र ग्रह के वायुमंडल में पाया गया है जिससे पूरा विज्ञान जगत कम हैरान नहीं हुआ है. इसके अलावा 67P/ चुर्युमोव गेरासिमेंको नाम के धूमकेतु के वायुमंडल में इसकी मौजूदगी यह इशारा कर रही है कि यह अणु सूर्य और ग्रहों से हटकर भी बना हो सकता है. लैबोरेटरी प्रयोगों और मॉडलिंग बताते हैं कि ग्लायसीन तब बनता है जब अंतरतारकीय बर्फ पर तारों के निर्माण के बाद की अवस्थाओं के पराबैंगनी, कॉस्मिक, थर्मल और एक्सरे जैसे विकरणों की बारिश होती है.

क्या और भी तरीके हैं

उच्च ऊर्जा वाले विकिरण अमीनो एसिड को नष्ट कर सकते हैं इसलिए यूके की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी, लंदन के एस्ट्रोकैमिस्ट सर्गियो लोपोलो की अगुआई में खगोलविदों की टीम यह जानने का प्रयास किया कि क्या इन पदार्थों के निर्माणों के अन्य रास्ते भी हैं और इसमें उन्हें सफलता भी मिली. यह अध्ययन नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित हुआ है.


 

अंतरतारकीय तारों को सिम्यूलेशन

लोपोलो ने बताया, "लैब में हम काले अंतरतारकीय बादलों को हालातों का सिम्यूलेशन करने में सफल रहे है जहां ठंडी धूल के कण बर्फ की पतली परत से ढंके रहते हैं और उसके बाद उन पर पड़े वाले अणओं से प्रतिक्रिया करते हैं. शोधकर्ताओं ने इसकी शुरुआत मिथाइलामाइन जो ग्लायसीन से पहले बनने वाला अमीनो एसिड है.


यहां भी बन सकता है ग्लायसीन

ग्लायसीन के अंतरतारीय माध्यम में बनने के प्रमाण तो अब तक नहीं मिले हैं, लेकिन खगोलविदों को वहां मिथाइलामाइन जरूर मिला है जो धूमकेतु में मिला था. इसके अलावा स्वतंत्र रूप से हुए प्रयोगों से शोधकर्ता यह भी दर्शा चुके हैं के मिथाइलामाइन बिना ऊर्जा वाले अंतरतारीय हालातों में बन सकता है. इसके बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि इन्हीं हालातों में बर्फ से समृद्ध मिथाइलामाइन ग्लायसीन बन सकता है. इसकी पुष्टि शोधकर्ताओं ने अपने एस्ट्रोकैमिकल मॉडलिंग से भी की.


अपने नतीजों के अध्ययन से उन्होंने पाया कि ग्लायसीन अंतरतारीय स्थानों में छोटी मात्रा में भी बन सकता है. ये जीवन का निर्माण तो करने की स्थिति में नहीं होंगे, लेकिन यह जरूर है कि ये तारों के निर्माण से काफी पहले बन गए होंगे.

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