कोलंबिया हादसे ने बदल दी अंतरिक्ष की दुनिया, जानें क्या है पूरा मामला
जानें क्या है पूरा मामला
आज से 19 साल पहले अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) का कोलंबिया स्पेस शटल (Columbia Space Shttle) हादसे का शिकार हुआ था जिसमें भारतीय मूल की महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला समेत सात अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई थी. इसके बाद कल्पना चावला जहां दुनिया भर में लड़कियों की प्रेरणा बन गई थीं. वहीं इसने नासा के काम करने के तरीके को बदल कर दुनिया में भी एक बड़ा बदलाव ला दिया था.
आज ही के दिन 19 साल पहले एक ऐसी अंतरिक्ष दुर्घटना हुई थी जिसने पूरी दुनिया पर असर डाला था. 1 फरवरी 2003 को अमेरिकी स्पेस एजेंस नासा (NASA) का स्पेस शलट कोलंबिया (Space Shuttle Columbia) पृथ्वी की ओर लौटते हुए क्षतिग्रस्त हो गया था जिसमें मौजूद सात अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई थी. इस हादसे में भारतीय मूल के अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला (Kalpana Chawla) भी शामिल थीं जो भारत समेत पूरी दुनिया की लड़कियों और महिलाओं के लिए एक आइकन हैं. इस हादसे ने नासा को अपने काम करने के तौर तरीके बदलने पर मजबूर कर दिया जो आज दुनिया भर में दिखाई दे रहा है.
इस हादसे में मारे गए अंतरिक्ष यात्रियों (Astronauts) में सबसे मशहूर कल्पना चावला (Kalpana Chawla) थीं. भारतीय मूल की कल्पना का जन्म 17 मार्च 1962 को हरियाणा के करनाल जिले में हुआ था. उनकी अपनी शुरुआती पढ़ाई टैगोर बाल निकेतन में हुई. इसके बाद चंडीगढ़ से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की और 1984 में अमेरिका के टेक्सस यूनिवर्सिटी से आगे की पढ़ाई की. उन्हें मार्च 1995 में नासा (NASA) के अंतरिक्ष यात्री कोर टीम में शामिल किया गया और उन्हें 1997 में अपनी पहली अंतरिक्ष उड़ान के लिए चुना गया.
कोलंबिया हादसे (Columbia Disaster) वाली उड़ान कल्पना चावला (Kalpana Chawla) की पहली अंतरिक्ष यात्रा (Space Travel) नहीं थी. इससे पहले 1997 में अपनी पहली यात्रा के दौरान उन्होंने अंतरिक्ष में 372 घंटे बिताए थे. उनकी दूसरी अंतरिक्ष यात्रा 16 जनवरी 2003 से शुरू हुई थी लेकिन जब अंतरिक्ष यान एक फरवरी 2003 को वापस धरती पर लौट रहा था तभी वह अचानक क्षतिग्रस्त हो गया. इस हादसे में कल्पना चावला के साथ छह अन्य अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई थी.
इस हादसे ने कल्पना चावला (Kalpana Chawla) को सुर्खियों में ला दिया. लोग कल्पना चावला को जानने को उत्सुक हो गए. यह कहना गलत नहीं होगा कि इस हादसे से पता चला कि वे कितनी लोकप्रिय थीं. भारत (India) अमेरिका (USA) सहित वे दुनिया के लिए लड़कियों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई थीं. नासा तक ने उनकी इस लोकप्रियता को देखते हुए अपने एक सुपरकम्प्यूटर का नाम कल्पना चावला रखा. दुनिया भर में कई स्कॉलरशिप कार्यक्रम और संस्थानों की विज्ञान शाखाओं का नाम कल्पना चावला के नाम पर रखा.
इस हादसे का सबसे बड़ा प्रभाव नासा (NASA) पर पड़ा. 1986 में चैलेंजर के बाद यह अमेरिका (USA) का दूसरा स्पेस शटल (Space Shuttle) हादसा था. इसके बाद अमेरिका से अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजना बंद कर दिया था. दो साल से भी ज्यादा समय तक कोई भी स्पेस शटल उड़ान नहीं भरी गई जब तक कोलंबिया हादसे की पड़ताल पूरी नहीं हुई. फिर नासा को अपनी सुरक्षा में काफी बदलाव भी करने पड़े.
कोलंबिया स्पेस शटल (Columbia Space Shuttle) साल 2006 में फिर से शुरू हुआ था, लेकिन उससे पहले 26 जुलाई 2005 के स्पेस शटल डिस्कवरी के जरिए सात अमेरिकी यात्री अंतरिक्ष में भेजे गए. इसके बाद 2007 में स्पेस शटल एंडोवर और साल 2011 में स्पेस शटल एटलांटिस, के जरिए यात्रियों को अंतरिक्ष भेजा गया. एटलांटिस आखिरी क्रू युक्त यान था नासा (NASA) ने अमेरिका की धरती से अंतरिक्ष में भेजा था. इससे बाद से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री रूसी सुयोज रॉकेट से भेजे जाने लगे थे.
साल 2011 में अमेरिका (USA) और नासा (NASA) ने निजी क्षेत्र को अंतरिक्ष में लोगों को ले जाने संबंधी शोध और निवेश को बढ़ावा देने का फैसला किया और तब तक नासा ने भी खुद मानवीय अंतरिक्ष उड़ानों से तौबा की जिसके बाद साल 2020 अंतरिक्ष में सबसे पहले क्रू सदस्यीय उड़ान भरी और दो अमेरिकी यात्रियों को सफलता पूर्वक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) भेजा. यह अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी उद्योग का प्रवेश था जिसे कोलंबिया हादसे का सबसे बड़ा प्रभाव माना जाता है.