सावन में क्यों पहनते हैं हरी चूड़ियां

Update: 2023-07-05 07:25 GMT

Sawan 2023: सावन का महीना हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और इस महीने में विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन होते हैं। इस मास में सुहागिन महिलाएं हरी चूड़ियां पहनने की परंपरा अपनाती हैं और इसको बहुत महत्व दिया जाता है। ये परंपरा धार्मिक, सांस्कृतिक और लोकप्रिय मानी जाती है।

कुछ मुख्य कारणों से सावन में हरी चूड़ियां पहनने का महत्व है (Sawan 2023)

हरी चूड़ियां पहनने का ये परंपरागत रूप सावन में भगवान शिव और पार्वती के विवाह का प्रतीक होता है। मान्यताओं के अनुसार, सुहागिन महिलाएं इन चूड़ियों को धारण करके भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करती हैं और अपने पति की दीर्घायु और खुशहाली की कामना करती हैं। ये परंपरा विवाहित महिलाओं के लिए भी महत्वपूर्ण है, जहां इसे अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाल विवाहित जीवन की कामना करते हुए पहना जाता है।

इस परंपरा के अलावा, हरी रंग की चूड़ियां सावन के मौसम में उच्च संगीतलहरी और प्रकृति की खुशियों का प्रतीक मानी जाती हैं। यह चूड़ियां महिलाओं की सौंदर्य और स्त्रीलक्ष्मी को प्रदर्शित करती हैं और इसलिए उन्हें इस मौसम में पहनने का आदर्श माना जाता है।

भगवान शिव और पार्वती की पूजा: सावन महीने में भगवान शिव और उनकी पत्नी माँ पार्वती की पूजा विशेष रूप से की जाती है। हरी चूड़ियां उनके प्रेम और विवाह के प्रतीक के रूप में पहनी जाती हैं, जो धार्मिक भावना और सम्मान का प्रतीक होते हैं।

सांस्कृतिक महत्व: सावन महीने में हरी चूड़ियां धारण करना भारतीय संस्कृति में एक प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण परंपरा है। यह महिलाओं के लिए अपने पति के साथ लंबे और समृद्धिशाली जीवन की कामना को प्रकट करता है।

सावन का मौसम: सावन के महीने में भारत में मॉनसून का समय होता है, जिसमें हरी रंग का महत्व होता है। हरी चूड़ियां पहनना मौसम के साथ संबंधित और मॉनसून की सुंदरता को दर्शाने का एक तरीका है।

सौभाग्य और सुख की प्रतीक: हरी चूड़ियां सौभाग्य और सुख की प्रतीक मानी जाती हैं। सुहागिन महिलाएं इन्हें पहनकर अपने पति के दीर्घायु और समृद्ध जीवन की कामना करती हैं। इसके अलावा, यह भी संकेत करती हैं कि महिला विवाहित है और पति की सुरक्षा, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करती हैं।

समुद्र-मंथन कथा से संबंधित: हरी चूड़ियां पहनने की परंपरा का एक और कारण समुद्र-मंथन कथा से जुड़ा है। समुद्र-मंथन में शिवजी ने हलाहल विष पीने से बचने के लिए गंगा जी को अपनी जटा में संग लिया था। जटा से निकलने वाली हरी विशाल धाराएं हरी चूड़ियों की शक्ति को दर्शाती हैं।

इस तरह, हरी चूड़ियां पहनना सावन में सुहागिन महिलाओं के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक आदर्श को दर्शाता है, और इसका महत्व मान्यताओं और परंपराओं में समाहित होता है। भारत ही नही हरी चूड़ियों को धारण करने की परंपरा बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और मॉरिशस जैसे अन्य देशों में भी देखी जाती है।

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