वेश्यालय की मिट्टी से क्यों बनाई जाती है मां दुर्गा की मूर्ति, जाने इसके पीछे का इतिहास
उत्तर भारत और उत्तर पूर्व में नवरात्रि (Navratri) का पावन त्योहार मनाया जाता है. पूरे नौ दिन मां की पूजा पाठ विधि विधान के साथ की जाती है. माता की स्थापना से पहले मां की मूर्ति को तैयार किया जाता है.
उत्तर भारत और उत्तर पूर्व में नवरात्रि (Navratri) का पावन त्योहार मनाया जाता है. पूरे नौ दिन मां की पूजा पाठ विधि विधान के साथ की जाती है. माता की स्थापना से पहले मां की मूर्ति को तैयार किया जाता है. क्या आप जानते हैं कि मां की मूर्ति की मिट्टी कहां से लाई जाती है? आपको जानकर आश्चर्य होगा कि मां दुर्गा की मूर्ति का निर्माण करने के लिए वेश्यालय की मिट्टी का प्रयोग किया जाता है.
हिंदू धर्म की मान्यता के मुताबिक मां की मूर्ति बनाने में गंगा की मिट्टी, गोमूत्र, गोबर और चौथी वेश्यालय की मिट्टी अहम होती है. यह सदियों से परंपरा चली आ रही है. आइए जानते हैं वेश्यालय की मिट्टी से ही मां दुर्गा की मूर्ति को तैयार क्यों किया जाता है?
मां दुर्गा की मूर्ति
कानपुर के रहने वाले पंडित राज नारायण के मुताबिक समाज में वेश्याओं को सामाजिक रूप से अलग रखा जाता है. जिनकी अहम भूमिका को दर्शाते हुए वेश्यालय के आंगन की मिट्टी से मां दुर्गा के मूर्ति का निर्माण किया जाता है, जिससे उनकी भी महत्ता बढ़ सके और उन्हें भी पवित्र माना जाए.
वेश्यालय की मिट्टी से दुर्गा माता की मूर्ति के बनाने के पीछे कई सारी मान्यताएं हैं. माना जाता है कि पहले मंदिर के पुजारी वेश्यालय के बाहर जाकर वेश्याओं से उनके आंगन की मिट्टी मांगकर लाते थे और उसके बाद मंदिर के लिए मूर्ति बनाई जाती थी. धीरे-धीरे परंपरा बढ़ती गई और नवरात्रि पूजन के लिए जो मूर्तियां बनाई जाती हैं, उसमें भी इस मिट्टी का उपयोग होने लगा.
तब मां दुर्गा ने उसकी प्रार्थना को स्वीकार करते हुए अपने भक्तों से कहा था कि वह उनकी मूर्ति का निर्माण वेश्यालय के आंगन से लाई गई मिट्टी से ही करें. माता दुर्गा ने वरदान दिया कि वेश्यालय की मिट्टी से बनाई गई मूर्ति की स्थापना करने से ही उनका व्रत फलीभूत होगा और तभी से मां दुर्गा की मूर्ति वेश्यालय के आंगन से लाई गई मिट्टी से बनाई जाने लगी.
क्रेडिट ; न्यूज़ 18