मिथुन संक्रांति कब? जानें पुण्य काल और धार्मिक महत्व
सूर्य का मिथुन राशि में प्रवेश करने की घटना को सूर्य की मिथुन संक्रांति कहते हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सूर्य का मिथुन राशि में प्रवेश करने की घटना को सूर्य की मिथुन संक्रांति (Mithun Sankranti) कहते हैं. सूर्य अभी वृष राशि में है. जैसे ही वह वृष राशि में अपना समय पूरा कर लेगा, तो उसके बाद वह मिथुन राशि में प्रवेश करेगा. सूर्य का यह राशि परिवर्तन 15 जून दिन बुधवार को होगा. 15 जून को सूर्य की मीन संक्रांति होगी. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान और सूर्य पूजा करने की परंपरा है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं मिथुन संक्रांति के पुण्य काल, महा पुण्य काल और संक्रांति क्षण के बारे में.
मिथुन संक्रांति 2022 पुण्य काल
मिथुन संक्रांति का पुण्य काल 15 जून दिन बुधवार को दोपहर 12 बजकर 18 मिनट से शाम 07 बजकर 20 मिनट तक है. इय दिन सूर्य की मीन संक्रांति का कुल समय 07 घंटे 02 मिनट की है.
मिथुन संक्रांति का महा पुण्य काल
15 जून को मिथुन संक्रांति का महा पुण्य काल दोपहर 12 बजकर 18 मिनट से शुरु हो जाएगा, जो दोपहर 02 बजकर 38 मिनट तक रहेगा. इस दिन महा पुण्य काल की कुल अवधि 02 घंटा 20 मिनट की होगी.
मिथुन संक्रांति 2022 क्षण
मिथुन संक्रांति का क्षण 15 जून को दोपहर 12 बजकर 18 मिनट पर है. इस समय से मिथुन संक्रांति प्रारंभ हो जाएगी. इस समय सूर्य का मिथुन राशि में गोचर होगा.
मिथुन संक्रांति से सौर कैलेंडर का तीसरा माह शुरु
सौर कैलेंडर के आधार पर मिथुन संक्रांति से तीसरा माह मिथुन प्रारंभ हो जाएगा. इस दिन हिंदू कैलेंडर के चौथे माह आषाढ़ का प्रांरभ हो रहा है. इस दिन आषाढ़ कृष्ण प्रतिपदा तिथि है.
सौर कैलेंडर में राशियों के क्रम के अनुसार इसके 12 माह के नाम होते हैं. इस समय सौर कैलेंडर का दूसरा माह वृष चल रहा है. सौर कैलेंडर का पहला माह मेष है. मेष माह से सौर कैलेंडर का नया साल शुरु होता है. मीन इस कैलेंडर का 12वां माह है.
मिथुन संक्रांति पर स्नान-दान
मिथुन संक्रांति के दिन स्नान करने के बाद गेहूं, गुड़, घी, अनाज आदि का दान करें. सूर्य भगवान को ध्यान करके यह दान किसी ब्राह्मण को करें.