विनायक चतुर्थी शुभ योग, जानें अशुभ समय और पूजन विधि

Update: 2022-06-28 14:02 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Vinayak Chaturthi 2022 Shubh Muhurat: हर माह के दोनों पक्षों की चतुर्थी तिथि गणेश जी को समर्पित है. इस दिन विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने और व्रत आदि रखने से व्यक्ति को गणपति की कृपा प्राप्त होती है और सभी संकटों का नाश होता है. कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की विनायक चतुर्थी 3 जुलाई रविवार के दिन पड़ रही है.

मान्यता है कि इस दिन गणेश पूजा दोपहर तकत संपन्न कर लेनी चाहिए, क्योंकि विनायक चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन को अशुभ माना गया है. इस दिन विनायक चतुर्थी रविवार के दिन पड़ रही है और साथ ही इस दिन दो शुभ योग भी बन रहे हैं. ये दोनों योग रवि योग और सिद्धि योग कार्यों में सफलता प्रदान करते हैं. आइए जानें इस दिन के योग और पूजा के मुहूर्त के बारे में.
विनायक चतुर्थी शुभ योग
विनायक चतुर्थी रविवार के दिन होने पर इस दिन दो शुभ योग बन रहे हैं. एक रवि योग- सुबह 5 बजकर 28 मिनट से सुबह 6 बजकर 30 मिनट तक और सिद्धि योग दोपहर 12 बजकर 7 मिनट से लेकर पूरी रात रहेगा. मान्यता है कि इस योग में सभी कार्यों को सफलता मिलती है. इस दिन शुभ समय दोपहर 11 बजकर 57 मिनट से लेकर 12 बजकर 53 मिनट तक है.
विनायक चतुर्थी पूजा मुहूर्त
हिंदू पंचाग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ 02 जुलाई, शनिवार दोप​हर 03 बजकर 16 मिनट से शुरू होगा और तिथि का समापन 03 जुलाई, रविवार शाम 05 बजकर 06 मिनट तक है. इस दिन गणपति की पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 02 मिनट से शुरू होगा और दोपहर 01 बजकर 49 मिनट तक होगा.
विनायक चतुर्थी अशुभ समय
मान्यता है कि इस दिन अशुभ कार्यों में किसी भी मांगलिक कार्य की शुरुआत नहीं करनी चाहिए. इस दिन राहुकाल समय शाम 05 बजकर 39 मिनट से शाम 07 बजकर 23 मिनट तक है.
विनायक चतुर्थी की पूजन विधि
इस दिन अगर आप व्रत रख रहे हैं, तो सुबह सन्ना के बाद साफ वस्त्र पहन लें और गणेश जी के सामने प्रार्थना करते हुए पूजन का संकल्प लें. इसके बाद शुभ मुहूर्त के अनुसार पूजा करें. इसके लिए गणेश जी को एक चौकी पर स्थापित करें और उनका जलाभिषेक करें. गमेश जी को चंदन का तिलक लगाएं, वस्त्र, कुमकुम, धूप, दीप, लाल फूल अक्षत, पान, सुपारी आदि अर्पित करें.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूजा में दूर्वा का उपयोग अवश्य करें. मान्यता है कि गणेश जी को दूर्वा बेहद प्रिय है. पूजा के बाद गणेश जी को मोदक या मोतीचोर के लड्डू अर्पित करें. गणेश चालीसा और विनायक चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें. इस विधि से पूजा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी.


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