Vastu Tips: जाने विस्तार से वास्तु के अनुसार भूमि कितने प्रकार की होती है
Vastu Tips: आज इस लेख में हम यह समझने की कोशिश करते हैं कि यह चार प्रकार की भूमि कौन-कौन सी होती है.
ब्रह्ममिणी भूमि - एक ऐसी भूमि जिसका वर्णन श्वेत, जिसकी सुगंध घी के समान, स्वाद शहद के समान, जिसका स्पर्श करने पर हाथों में सुखद अनुभव होता हो ऐसी भूमि को ब्राह्मणी भूमि कहते हैं। इस प्रकार की भूमि पर दूर्वा और अन्य हवन करने वाले वृक्ष उत्पन्न होते हैं। ऐसी भूमि सभी प्रकार के आध्यात्मिक सुख देने वाली होती है। इस प्रकार की भूमि को विद्यालयों के लिए, मंदिरों के लिए, धर्मशालाओं के लिए अथवा तो Literaryसंस्थाओं के निर्माण के लिए चुनना चाहिए।
क्षत्रिय भूमि - जीसका वर्ण लाल हो, गंध रक्त के समान हो, स्वाद कसैला हो और स्पर्श कठोर हो ऐसी भूमि क्षत्रिय भूमि कहलाती है। इस भूमि में सर्प भी पाए जाते हैं। क्षत्रिय भूमि अपने राज्य के पराक्रम को बढ़ाने के लिए फायदे वाली होती है। इस प्रकार की भूमि में सरकारी कार्यालय, सैनिक छावनी या सैनिक कॉलोनी अथवा तो हथियार रखने के लिए अगर आप कोई भवन बना रहे हैं तो यह भूमि उपयुक्त होती है।
वैश्य भूमि - जिसका रंग हरा पीला हो, सुगंध मधु या अन्न के समान हो, स्वाद थोड़ा अम्लीय हो इस प्रकार की भूमि वैश्य भूमि कहलाती है। इस प्रकार की भूमि पर अन्य और फलों से लदे हुए वृक्ष पाए जाते हैं। वैश्य भूमि धन-धान्य और ऐश्वर्य में वृद्धि करने वाली होती है। इस प्रकार की भूमि व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के लिए दुकानों के लिए व्यापारियों के रहने के लिए उपयुक्त होती है।
शुद्र भूमि - जिसका रंग हल्का Blackness लिए हुए हो, जिसकी गंध मदिरा के समान हो, स्वाद कड़वा हो और उसका स्पर्श अति कठोर हो ऐसी भूमि को शुद्र भूमि कहते हैं। इस प्रकार की भूमि पर कटीली झाड़ियां और झंझार पैदा होते हैं। इस प्रकार की भूमि में अगर कोई व्यक्ति निवास करता है तो वह भूमि कलह और झगड़ा कराने वाली होती है। ऐसी भूमि पर निवास करने से मनुष्य को आर्थिक और स्वास्थ्य की हानि भी भुगतनी पड़ती है इसलिए वास्तु शास्त्र का नियम कहता है कि ऐसे भूखंड पर कभी भी आवासीय भवन नहीं बनाना चाहिए।