Vastu Shastra वास्तु शास्त्र: दक्षिण-पूर्व को मंथन का क्षेत्र और कुंडली में षष्ठ भाव में राहु होने से अपार धनार्जन संभव है। केंद्र या त्रिकोण में शुभ ग्रह की स्थितियों से गृह प्राप्ति होती है। मिथुन राशि की बौद्धिक क्षमता और गोत्र का वंश से रिश्ते पर आधारित वैज्ञानिक तथ्य प्रस्तुत किए गए हैं। दिशाओं का संबंध भी ग्रहों से है।
इसे भी आजमाएं
दिशाओं के ज्ञान का नियम कहता है कि Saturdayको अपने घर की यात्रा को छोड़कर अन्य किसी भी स्थान की यात्रा की में सफलता संदिग्ध रहती है। रविवार को पूर्व में जाना अच्छा माना गया है।
ज्ञान का पिटारा
वास्तु के नियम कहते हैं कि गृह में दक्षिण-पूर्व के हिस्से को मंथन का क्षेत्र कहा जाता है। यह मंथन शारीरिक भी हो सकता और मानसिक भी। चिंतन-मनन का यही स्थान माना जाता है। प्राचीन काल में मक्खन और घी निकालने के लिए गृह के इसी हिस्से का इस्तेमाल किया जाता था।
बात पते की
कुंडली के षष्ठ भाव में यदि राहु हों, तो व्यक्ति जीवन में अपार धनार्जन करते हैं। आर्थिक कष्ट इनके निकट आकर चुपचाप सरक जाता है। Healthउत्तम रहता है। इन्हें रोग का डर नहीं होता। इनको आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है। पराक्रम और शक्ति प्रचुर होती है। ये हृदय से उदार, धैर्यवान एवं बुद्धिमान लोगों में शुमार होते हैं। यह राहु शत्रुओं को पराभूत करने के लिए जाना जाता है। ऐसे लोग विरोधियों पर सहजता से विजय हासिल कर लेते हैं। कालांतर में बहुत ख्याति प्राप्त करते हैं। शुभ राहु सरकार की कृपा देते हैं और उत्तम वस्तुओं का उपभोग कराते हैं। वस्त्र, वाहन और आभूषणों का भी श्रेष्ठ सुख मिलता है। जीवनसाथी का उत्तम सुख प्राप्त होता है। राहु के दुष्प्रभाव से नकारात्मक अथवा खराब लोगों के साथ संगति हो सकती है। करियर में अस्थिरता और अनिश्चितता भी व्याप्त हो सकती है। यह राहु ऊपरी बाधाओं और रहस्यमयी विकारों का भी कारक है। मामा, मौसी या चाचा से तनाव मिल सकता है।