Ganesh Jayanti 2025: विनायक चतुर्थी के दिन पढ़ें ये व्रत कथा, जीवन की हर कठिनाई होगी दूर

Update: 2025-02-01 01:29 GMT
Ganesh Jayanti 2025: हर माह की चतुर्थी तिथि के दिन विध्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा की जाती है. इस विनायक चतुर्थी कहा जाता है. यह दिन भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए बहुत अच्छा माना जाता है. वहीं माघ माह की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश की जयंती मनाई जाती है. इस दिन भगवान गणेश के भक्त श्रद्धा पूर्वक व्रत और पूजन करते हैं. इस बार गणेश चतुर्थी आज यानी 1 फरवरी को मनाई जाएगी. धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान गणेश की पूजा और व्रत का पालन करने से व्यक्ति के सभी बिगड़े काम बनने लगते हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है
 गणेश जयंती पूजा का शुभ मुहूर्त
हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार, गणेश जयंती के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 38 मिनट से लेकर 1 बजकर 40 मिनट तक रहेगा. इस दौरान भक्तों को पूजा के लिए कुल 2 घंटे 2 मिनट का समय मिलेगा. इस दिन शुभ मुहूर्त में पूजा करना शुभ फलदायी होता है|
गणेश जयंती की व्रत कथा
एक दिन भगवान भोलेनाथ स्नान करने के लिए कैलाश पर्वत से भोगवती गए. महादेव के प्रस्थान करने के बाद मां पार्वती ने स्नान प्रारंभ किया और घर में स्नान करते हुए अपने मैल से एक पुतला बनाकर और उस पुतले में जान डालकर उसको सजीव किया गया. पुतले में जान आने के बाद देवी पार्वती ने पुतले का नाम गणेश रखा. मां पार्वती ने बालक गणेश को स्नान करते जाते वक्त मुख्य द्वार पर पहरा देने के लिए कहा. माता पार्वती ने कहा कि जब तक में स्नान करके न आ जाऊं किसी को भी अंदर नहीं आने देना.
भोगवती में स्नान कर जब श्रीगणेश अंदर आने लगे तो बाल स्वरूप गणेश ने उनको द्वार पर रोक दिया. भगवान शिव के लाख कोशिश के बाद भी गणेश ने उनको अंदर नहीं जाने दिया. गणेश द्वारा रोकने को उन्होंने अपना अपमान समझा और बालक गणेश का सिर धड़ से अलग कर वो घर के अंदर चले गए. शिवजी जब घर के अंदर गए तो वह बहुत क्रोधित अवस्था में थे. ऐसे में देवी पार्वती ने सोचा कि भोजन में देरी की वजह से वो नाराज हैं, इसलिए उन्होंने दो थालियों में भोजन परोसा औरउनसे भोजन करने का निवेदन किया.
दो थालियां लगी देखकर शिवजी ने उनसे पूछा कि दूसरी थाली किसके लिए है? तब शिवजी ने जवाब दिया कि दूसरी थाली पुत्र गणेश के लिए है, जो द्वार पर पहरा दे रहा है. तब भगवान शिव ने देवी पार्वती से कहा कि उसका सिर मैने क्रोधित होने की वजह से धड़ से अलग कर दिया. इतना सुनकर पार्वती जी दुखी हो गई और विलाप करने लगी. उन्होंने भोलेनाथ से पुत्र गणेश का सिर जोड़कर जीवित करने का आग्रह किया. तब महादेव ने एक हाथी के बच्चे का सिर धड़ काटकर गणेश के धड़ से जोड़ दिया. अपने पुत्र को फिर से जीवित पाकर माता पार्वती अत्यंत प्रसन्न हुई. कहा जाता है कि जिस तरह शिव ने श्रीगणेश को नया जीवन दिया था, उसी तरह भगवान गणेश भी नया जीवन अर्थात आरम्भ के देवता माने जाते है|
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