धर्म : आज पौष शुक्ल त्रयोदशी तिथि है। वर्ष 2023 का आज पहला प्रदोष पर्व है। बुधवार दिवस होने की वजह से इसे बुध प्रदोष व्रत भी कह सकते हैं। मान्यता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव-पार्वती का पूजन करने से साधक की समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं और साधक पर भगवान भोलेनाथ की कृपा बरसती है। पंडित रामजीवन दुबे के मुताबिक प्रदोष व्रत में शिव-पार्वती के साथ ही पूरे शिव परिवार की विशेष पूजा करें। ऐसा करने से पूजा और व्रत जल्दी सफल हो सकते हैं। शिव परिवार में शिव-पार्वती के साथ गणेश जी, कार्तिकेय स्वामी और नंदी शामिल हैं। इन सभी की पूजा एक साथ करने का महत्व काफी अधिक है। प्रदोष व्रत पर सूर्यास्त के बाद पूजा करने की परंपरा है।