4 जून 2022 का पंचांग: शनिवार को पुष्य नक्षत्र होने से बनेगा मित्र योग, ये है राहुकाल का समय
पंचांग वैदिक काल से ही सनातन धर्म में काल गणना का एक प्रमुख अंग रहा है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। उज्जैन. पंचांग वैदिक काल से ही सनातन धर्म में काल गणना का एक प्रमुख अंग रहा है। वैसे तो हमारे देश में कई तरह के पंचांग प्रचलित हैं। इनमें से विक्रम पंचांग सबसे प्रमुख है। वेद, पुराण और अन्य ग्रंथों में सूर्य, चंद्रमा, पृथ्वी व अन्य ग्रहों के साथ ही और नक्षत्र आदि की स्थिति, दूरी और गति के बारे में बताया गया है। स्थिति, दूरी और गति के मान से ही पृथ्वी पर होने वाले दिन-रात और अन्य संधिकाल को विभाजित कर एक पूर्ण सटीक पंचांग बनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, तिथि को तारीख या दिनांक कहते हैं। अन्य तारीख और तिथि में फर्क यह है कि यह दिन या रात में कभी भी शुरू हो सकती है। इसका संबंध चन्द्र के नक्षत्र में भ्रमण से होता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार माह के 30 दिन को चन्द्र कला के आधार पर 15-15 दिन के 2 पक्षों में बांटा गया है- शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। आगे जानिए आज के पंचांग से जुड़ी खास बातें…