आज धूमधाम से मनाई जा रही है नर्मदा जयंती, जानें पूजा विधि

Update: 2024-02-16 02:46 GMT
नई दिल्ली : भारतीय संस्कृति में कई नदियों को पवित्र और पूजनीय माना गया है। इसी के चलते कई नदियों को माता कहकर संबोधित किया जाता है। सात पवित्र नदियों में से एक नर्मदा नदी भी है। नर्मदा नदी के अवतरण की कई कथाएं मौजूद हैं। ऐसे में नर्मदा जयंती के अवसर पर जानते हैं नर्मदा जी के अवतरण की कथा।
नर्मदा जयंती शुभ मुहूर्त (Narmada Jayanti Muhurat)
ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, नर्मदा जयंती 16 फरवरी को मनाई जाएगी।
नर्मदा जंयती कथा (Narmada Jayanti katha)
स्कंद पुराण में नर्मदा नदी के धरती पर अवतरण की कथा मिलती है। कथा के अनुसार, राजा हिरण्यतेजा ने अपने पूर्वजों, पितरों का उद्धार करने के उद्देश्य से चौदह हजार वर्षों तक घोर तपस्या कर शिव भगवान को प्रसन्न किया। तब उन्होंने महादेव से नर्मदा जी को पृथ्वी पर लाने का वरदान मांगा। शिव जी के आदेश से नर्मदा जी मगरमच्छ पर विराजमान होकर उदयाचल पर्वत पर उतरीं और पश्चिम दिशा की ओर बहने लगीं।
ये कथाएं भी हैं प्रचलित
एक और अन्य कथा के अनुसार, जब एक बार भगवान शिव तपस्या में लेने थे, तो उनके पसीने से एक कन्या प्रकट हुई। इस कन्या का अलौकिक सौंदर्य था। तब भगवान शिव और माता पार्वती ने उनका नामकरण करते हुए कहा कि तुमने हमारे हृदय को हर्षित कर दिया है इसलिए आज से तुम्हारा नाम नर्मदा होगा। नर्मदा का शाब्दिक अर्थ है सुख देने वाली।
वहीं, एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, देवताओं और राक्षसों के बीच कई युद्ध हुए, जिस कारण देवता भी पाप के भागीदार बन गए। इस समस्या को लेकर सभी देवता भगवान शिव की शरण में पहुंचे और उनसे इसका समाधान का उपाय पूछने लगे। इस पर भगवान शिव ने देवताओं के पाप धोने के लिए मां नर्मदा को उत्पन्न किया था।
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