बेहद चमत्कारी है महामृत्युंजय मंत्र, जानें इस जाप के फायदे

महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव का बेहद प्रिय मंत्र है. इस मंत्र का जाप भगवान शिव की स्तुति, साधना, जप, तप, शिव जी को प्रसन्न करने और गंभीर बीमारियों से छुटकारा पाने, अकाल मृत्यु के डर से मुक्ति पाने के लिए महामृत्यंजय मंत्र का जाप किया जाता है.

Update: 2022-06-19 01:17 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव का बेहद प्रिय मंत्र है. इस मंत्र का जाप भगवान शिव की स्तुति, साधना, जप, तप, शिव जी को प्रसन्न करने और गंभीर बीमारियों से छुटकारा पाने, अकाल मृत्यु के डर से मुक्ति पाने के लिए महामृत्यंजय मंत्र का जाप किया जाता है. ज्योतिष अनुसार अनिष्ट ग्रहों के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए और आयु बढ़ाने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र का जाप करने से मृत्यु के करीब पहुंचने के बाद भी विजय पाई जा सकती है. इसमें खासतौर से शिव की स्तुति का जाप किया जाता है. आइए जानते हैं इस मंत्र के जाप के फायदे.

महामृत्युंजय मंत्र
"ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥"
महामृत्युंजय मंत्र के फायदे
आयु बढ़ाने के लिए- हर कोई चाहता है कि वे पृथ्वी पर लंबे समय तरक जीवित रहे. परिवार के साथ ज्यादा से ज्यादा समय तक रहे. ऐसे में नियमित रूप से महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है.
अच्छे स्वास्थ्य के लिए- स्वस्थ स्वास्थ्य हर व्यक्ति के जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है. मान्यता है कि इसके मंत्र के जाप से मनुष्य को गंभीर बीमारियां नहीं पकड़ती. साथ ही, रोगों का नाश होता है. नियमित जाप से व्यक्ति निरोगी बना रहता है.
धन-वैभव के लिए- इस मंत्र के जाप से व्यक्ति को न सिर्फ निरोगी काया मिलती है. बल्कि धन, वैभव, सुख और सुविधा की प्राप्ति होती है. साथ ही, भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि भगवान शिव के प्रसन्न होने पर व्यक्ति के पास कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती.
व्यक्ति को मिलता है मान-सम्मान- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नियमित रूप से भगवान शिव की पूजा उपासना करने और महामृत्युंजय के जाप से समाज में व्यक्ति को पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है.
संतना प्राप्ति के लिए- मान्यता है कि संतान प्राप्ति के लिए नियमित रूप से महामृत्यंजय मंत्र का जाप करना चाहिए. ऐसा करने से व्यक्ति कभी भी संतान सुख से वंचित नहीं रहता.


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