Mahakumbh 2025 Amrit Snan: माघ पूर्णिमा के दिन होगा अगला अमृत स्नान, जानें कब है यह तिथि
Mahakumbh 2025 Amrit Snan: हिंदू धर्म में माघ पूर्णिमा को बहुत ही शुभ तिथि माना जाता है और जब यह महाकुंभ के दौरान आती है तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन संगम सहित अन्य तीर्थ स्थलों पर स्नान, दान और जप करने से कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार माघ माह में गंगा में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। खासकर माघ पूर्णिमा पर स्नान करने से स्वर्ग का मार्ग प्रशस्त होता है। मान्यता है कि माघ पूर्णिमा के दिन देवता स्वयं गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्नान करने आते हैं। इसलिए इस दिन गंगा में स्नान करने से करोड़ों यज्ञों के बराबर पुण्य मिलता है। माघ पूर्णिमा कब है
हिंदू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि 11 फरवरी 2025 को शाम 06:55 बजे से शुरू होगी, जो 12 फरवरी को शाम 07:22 बजे तक रहेगी। उदयातिथि को ध्यान में रखते हुए माघ पूर्णिमा 12 फरवरी 2025 बुधवार को मनाई जाएगी। पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय का समय शाम 05:59 बजे है।
माघ पूर्णिमा पर दान और तप का महत्व
इस दिन अन्न, वस्त्र, तिल, गुड़, घी, स्वर्ण और दक्षिणा का दान बहुत फलदायी माना जाता है। खास तौर पर गायों को चारा खिलाना, ब्राह्मणों को भोजन कराना और जरूरतमंदों की सेवा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। जो व्यक्ति अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान, तर्पण और गंगा जल अर्पित करता है, उसे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और उसके वंश में सुख-समृद्धि बनी रहती है। माघ पूर्णिमा पर किए गए योग, ध्यान और जप से मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति होती है। साधक इस दिन विशेष रूप से ओम नमः शिवाय और गायत्री मंत्र का जाप करते हैं।
महाकुंभ में माघ पूर्णिमा स्नान के महत्व की बात करें तो इस स्नान को "अमृत स्नान" माना जाता है। इस दिन लाखों श्रद्धालु प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाकर अपना जीवन धन्य बनाते हैं। संत-महात्मा इस दिन विशेष रूप से गंगा आरती, हवन और भजन-कीर्तन करते हैं। अगर आप संगम स्नान के लिए नहीं जा सकते हैं तो आपको इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए। सूर्य देव को अर्घ्य दें और भगवान विष्णु की पूजा करें। गरीबों को भोजन, जल और गर्म कपड़े दान करें। शिवलिंग पर गंगा जल से अभिषेक करें। सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।